अन का स्थूल भाग मल बनता है, मध्य भाग मांस बनता है और सूक्ष्म भाग मन बनता है | जल का स्थूल भाग मूत्र बनता है, मध्य भाग रक्त बनता है और सूक्ष्म भाग प्राण बनता है | तेज का स्थूल भाग अस्थि बनता है , मध्य भाग मज्जा बनता है और सूक्ष्म भाग वाक् बनता है | इस प्रकार मन अन्नमय है, प्राण अपोमय है और वाक् तेजोमयी है | वाक्, प्राण और मन ही मिलकर आत्मा कहलाते है | "बुद्धि सौरी है, वह प्रकाशित है | मन चान्द्र है, परज्योति है| जैसे चन्द्रमा सूर्य के प्रकाश से प्रकाशित होता है, वैसे मन बुद्धि के प्रकाश से प्रकाशित होता है | विषय मन पर आ जाते है, बुद्धि विषयो पर जाती है | मन पर जो विषय आ जाता है, मन तन्मय हो जाता है ; फिर भी वह विवेक नही कर सकता | बुद्धि विषयो के बीच विवेक करती है | जब मन पर विषय आते है , तो संस्कार बनते है| जब बुद्धि विषयो पर आ जाती है तो विद्य का प्रदुभार्व होता है |"
अन का स्थूल भाग मल बनता है, मध्य भाग मांस बनता है और सूक्ष्म भाग मन बनता है | जल का स्थूल भाग मूत्र बनता है, मध्य भाग रक्त बनता है और सूक्ष्म भाग प्राण बनता है | तेज का स्थूल भाग अस्थि बनता है , मध्य भाग मज्जा बनता है और सूक्ष्म भाग वाक् बनता है | इस प्रकार मन अन्नमय है, प्राण अपोमय है और वाक् तेजोमयी है | वाक्, प्राण और मन ही मिलकर आत्मा कहलाते है | "बुद्धि सौरी है, वह प्रकाशित है | मन चान्द्र है, परज्योति है| जैसे चन्द्रमा सूर्य के प्रकाश से प्रकाशित होता है, वैसे मन बुद्धि के प्रकाश से प्रकाशित होता है | विषय मन पर आ जाते है, बुद्धि विषयो पर जाती है | मन पर जो विषय आ जाता है, मन तन्मय हो जाता है ; फिर भी वह विवेक नही कर सकता | बुद्धि विषयो के बीच विवेक करती है | जब मन पर विषय आते है , तो संस्कार बनते है| जब बुद्धि विषयो पर आ जाती है तो विद्य का प्रदुभार्व होता है |"