ग्रन्थ परिचय
प्रत्येक आगत का पल अगले ही पल अतीत का पल हो जाता है । अत प्रत्येक पल बहुमूल्य है । जो जन्मा है वह मृत्यु को अवश्य प्राप्त करेगा । जीवनदायिनी शक्ति की सार्थकता सक्रियता चेतना तथा ऊर्जा की असीम शक्ति मृत्युंजय मंत्र मे समाहित है जो मृत्युंजय मंत्र संकलन नामक इस कृति ने सानुष्ठान प्रतिष्ठित आविष्ठित है । मृत्यु से रक्षा तो असम्भव है परन्तु अकाल और असमय मृत्यु तथा असाध्य व्याधिकृत असहनीय वेदनासे मुक्त होने हेतु सबलतम तथा सशक्त सेतु महामृत्युंजय मंत्र के सविधि अनुष्ठान का सम्पादन है जो अनेक अवसरों पर चमत्कृत कर देने वाले परिणाम प्रदान करने वाला है । अनिवार्यता है अनुकूल एव उपयुक्त मृत्युंजय मंत्र के प्रकार के चयन एव सम्पादन की।
यह कृति श्रीमती मृदुला त्रिवेदी एव श्री टी पी त्रिवेदी के सारस्वत संकल्प का साकार स्वरूप है जो मृत्युंजय मंत्र से सदर्भित प्रमाणित प्रतिष्ठित एव परीक्षित सामग्री के अभाव के कारण अंकुरित हुए थे । महामृत्युंजय मंत्र के सूक्ष्मातिसूक्ष्म ज्ञातव्य तथ्यो अनिवार्य अभिज्ञान एव अनुष्ठान सम्पादन के विधि विधान आदि के सम्यक रहस्य को इसमें उदघाटित किया गया है
मृत्युजंय मंत्र देवाधिदेव महादेव द्वारा प्रदत्त प्राणरक्षा ओर जीवन शक्ति हेतु प्रांजल प्राशीष एवं पंचामृत है जिसकी विस्तृत व्याख्या मृत्युंजय मंत्र संकलन मे प्रतिष्ठित है यह कृति अग्रांकित 21 पृथक् पृथक अध्यायो मे व्याख्यायित एव विवेचित है 1 तत्र दर्शन 2 शब्द ने सन्निहित स्पदन शक्ति 3 मंत्र आराधना सर्वश्रेष्ठ साधना 4 मंत्र शक्ति ज्ञातव्य तथ्य 5 मंत्र सस्कार विविध प्रकार 8 आराधना एव अज्ञानता ज्ञातव्य तथ्य 7 गणपति पूजन विधान एव प्रविधि 8 मनोबलवर्द्धक शिव संकल्प मंत्र 9 विविध मृत्युंजय मंत्र सन्दर्भित अनुष्ठान विधान, 10 मृत्युंजय मंत्र का तत्त्वार्थ 11 शिव आराधना तथा मृत्युजय मंत्र साधना 12 रूद्राभिषेक13 मृत्युंजय मंत्र विविध प्रकार 14 महामृत्युंजय पूजन विधान प्रविधि एव महामृत्युंजय सहस्रनाम 15 देत्यगुरु शुक्राचार्य एवं महामृत्युंजय मंत्र साधना 16 विविध मृत्युंजय स्तोत्र, 17 मृत्युंजय यत्र निर्माण प्रविधि 18 शास्त्रसंगत हवन विधान 19 श्रीबटुकभैरव स्तोत्र एव कवच 20 वेद मत्रों द्वारा पार्थिव शिवार्चन की विधि एवं विधान, 21 काल विजयी भव ।
इस विशिष्ट कृति में मृत्युंजय नव के भेद प्रकार, अधिष्ठाता पथ। अनुष्ठान के सम्यक विवेचन के साथ साथ काल को व्यवस्थित करने वाली अन्यान्य अनुभूत साधनाएँ समायोजित की गई हैं जिनमें कर्मज व्याधिनाशन मंत्र दस महाविद्या स्तोत्र इन्द्राक्षी स्तोत्र पाशुपतास्त्र स्तोत्र नारायण स्तोत्र पंचमुख हनुमत कवच शनि महाकाल मृत्युंजय स्तोत्र एव सुदर्शन मंत्रदि प्रमुख हैं । कृति में समायोजित विविध मंत्र स्तोत्र आदि के सविधि सम्पादन से प्रबुद्ध पाठक साधक आराधक काल विजयी भव के निहितार्थ के साक्षी होंगे ।
लेखक परिचय
श्रीमती मृदुला त्रिवेदी देश की प्रथम पक्ति के ज्योतिषशास्त्र के अध्येताओं एव शोधकर्ताओ में प्रशंसित एवं चर्चित हैं । उन्होने ज्योतिष ज्ञान के असीम सागर के जटिल गर्भ में प्रतिष्ठित अनेक अनमोल रत्न अन्वेषित कर, उन्हें वर्तमान मानवीय संदर्भो के अनुरूप संस्कारित तथा विभिन्न धरातलों पर उन्हें परीक्षित और प्रमाणित करने के पश्चात जिज्ञासु छात्रों के समक्ष प्रस्तुत करने का सशक्त प्रयास तथा परिश्रम किया है, जिसके परिणामस्वरूप उन्होंने देशव्यापी विभिन्न प्रतिष्ठित एव प्रसिद्ध पत्र पत्रिकाओ मे प्रकाशित शोधपरक लेखो के अतिरिक्त से भी अधिक वृहद शोध प्रबन्धों की सरचना की, जिन्हें अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्धि, प्रशंसा, अभिशंसा कीर्ति और यश उपलव्य हुआ है जिनके अन्यान्य परिवर्द्धित सस्करण, उनकी लोकप्रियता और विषयवस्तु की सारगर्भिता का प्रमाण हैं।
ज्योतिर्विद श्रीमती मृदुला त्रिवेदी देश के अनेक संस्थानो द्वारा प्रशंसित और सम्मानित हुई हैं जिन्हें वर्ल्ड डेवलपमेन्ट पार्लियामेन्ट द्वारा डाक्टर ऑफ एस्ट्रोलॉजी तथा प्लेनेट्स एण्ड फोरकास्ट द्वारा देश के सर्वश्रेष्ठ ज्योतिर्विद तथा सर्वश्रेष्ठ लेखक का पुरस्कार एव ज्योतिष महर्षि की उपाधि आदि प्राप्त हुए हैं । अध्यात्म एवं ज्योतिष शोध सस्थान, लखनऊ तथा द टाइम्स ऑफ एस्ट्रोलॉजी, दिल्ली द्वारा उन्हे विविध अवसरो पर ज्योतिष पाराशर, ज्योतिष वेदव्यास ज्योतिष वराहमिहिर, ज्योतिष मार्तण्ड, ज्योतिष भूषण, भाग्य विद्ममणि ज्योतिर्विद्यावारिधि ज्योतिष बृहस्पति, ज्योतिष भानु एव ज्योतिष ब्रह्मर्षि ऐसी अन्यान्य अप्रतिम मानक उपाधियों से अलकृत किया गया है ।
श्रीमती मृदुला त्रिवेदी, लखनऊ विश्वविद्यालय की परास्नातक हैं तथा विगत 40 वर्षों से अनवरत ज्योतिष विज्ञान तथा मंत्रशास्त्र के उत्थान तथा अनुसधान मे सलग्न हैं। भारतवर्ष के साथ साथ विश्व के विभिन्न देशों के निवासी उनसे समय समय पर ज्योतिषीय परामर्श प्राप्त करते रहते हैं । श्रीमती मृदुला त्रिवेदी को ज्योतिष विज्ञान की शोध संदर्भित मौन साधिका एवं ज्योतिष ज्ञान के प्रति सरस्वत संकल्प से संयुत्त? समर्पित ज्योतिर्विद के रूप में प्रकाशित किया गया है और वह अनेक पत्र पत्रिकाओं में सह संपादिका के रूप मे कार्यरत रही हैं।
श्रीटीपी त्रिवेदी ने बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय से बी एससी के उपरान्त इजीनियरिंग की शिक्षा ग्रहण की एवं जीवनयापन हेतु उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत परिषद मे सिविल इंजीनियर के पद पर कार्यरत होने के साथ साथ आध्यात्मिक चेतना की जागृति तथा ज्योतिष और मंत्रशास्त्र के गहन अध्ययन, अनुभव और अनुसंधान को ही अपने जीवन का लक्ष्य माना तथा इस समर्पित साधना के फलस्वरूप विगत 40 वर्षों में उन्होंने 460 से अधिक शोधपरक लेखों और 80 शोध प्रबन्धों की संरचना कर ज्योतिष शास्त्र के अक्षुण्ण कोष को अधिक समृद्ध करने का श्रेय अर्जित किया है और देश विदेश के जनमानस मे अपने पथीकृत कृतित्व से इस मानवीय विषय के प्रति विश्वास और आस्था का निरन्तर विस्तार और प्रसार किया है।
ज्योतिष विज्ञान की लोकप्रियता सार्वभौमिकता सारगर्भिता और अपार उपयोगिता के विकास के उद्देश्य से हिन्दुस्तान टाईम्स मे दो वर्षो से भी अधिक समय तक प्रति सप्ताह ज्योतिष पर उनकी लेख सुखला प्रकाशित होती रही । उनकी यशोकीर्ति के कुछ उदाहरण हैं देश के सर्वश्रेष्ठ ज्योतिर्विद और सर्वश्रेष्ठ लेखक का सम्मान एव पुरस्कार वर्ष 2007, प्लेनेट्स एण्ड फोरकास्ट तथा भाग्यलिपि उडीसा द्वारा कान्ति बनर्जी सम्मान वर्ष 2007, महाकवि गोपालदास नीरज फाउण्डेशन ट्रस्ट, आगरा के डॉ मनोरमा शर्मा ज्योतिष पुरस्कार से उन्हे देश के सर्वश्रेष्ठ ज्योतिषी के पुरस्कार 2009 से सम्मानित किया गया । द टाइम्स ऑफ एस्ट्रोलॉजी तथा अध्यात्म एव ज्योतिष शोध संस्थान द्वारा प्रदत्त ज्योतिष पाराशर, ज्योतिष वेदव्यास, ज्योतिष वाराहमिहिर, ज्योतिष मार्तण्ड, ज्योतिष भूषण, भाग्यविद्यमणि, ज्योतिर्विद्यावारिधि ज्योतिष बृहस्पति, ज्योतिष भानु एवं ज्योतिष ब्रह्मर्षि आदि मानक उपाधियों से समय समय पर विभूषित होने वाले श्री त्रिवेदी, सम्प्रति अपने अध्ययन, अनुभव एव अनुसंधानपरक अनुभूतियों को अन्यान्य शोध प्रबन्धों के प्रारूप में समायोजित सन्निहित करके देश विदेश के प्रबुद्ध पाठकों, ज्योतिष विज्ञान के रूचिकर छात्रो, जिज्ञासुओं और उत्सुक आगन्तुकों के प्रेरक और पथ प्रदर्शक के रूप मे प्रशंसित और प्रतिष्ठित हैं । विश्व के विभिन्न देशो के निवासी उनसे समय समय पर ज्योतिषीय परामर्श प्राप्त करते रहते हैं।
अनुक्रमणिका
अध्याय 1
तत्र दर्शन
1
अध्याय 2
शब्द ने सन्निहित स्पदन शक्ति
17
अध्याय 3
मंत्र आराधना सर्वश्रेष्ठ साधना
49
अध्याय 4
मंत्र शक्ति ज्ञातव्य तथ्य
75
अध्याय 5
मंत्र सस्कार विविध प्रकार
95
अध्याय 6
आराधना एव अज्ञानता ज्ञातव्य तथ्य
117
अध्याय 7
गणपति पूजन विधान एव प्रविधि
123
अध्याय 8
मनोबलवर्द्धक शिव संकल्प मंत्र
175
अध्याय 9
विविध मृत्युजय मंत्र सन्दर्भित अनुष्ठान विधान,
181
अध्याय 10
मृत्युजय मंत्र का तत्त्वार्थ
207
अध्याय 11
शिव आराधना तथा मृत्युजय मंत्र साधना
253
अध्याय 12
रूद्राभिषेक
319
अध्याय 13
मृत्युंजय मंत्र विविध प्रकार
349
अध्याय 14
महामृत्युंजय पूजन विधान प्रविधि एव महामृत्युंजय सहस्रनाम
359
अध्याय 15
देत्यगुरु शुक्राचार्य एवं महामृत्युंजय मंत्र साधना
415
अध्याय 16
विविध मृत्युंजय स्तोत्र,
437
अध्याय 17
मृत्युंजय यत्र निर्माण प्रविधि
459
अध्याय 18
शास्त्रसंगत हवन विधान
493
अध्याय 19
श्रीबटुकभैरव स्तोत्र एव कवच
521
अध्याय 20
वेद मत्रों द्वारा पार्थिव शिवार्चन की विधि एवं विधान,
543
अध्याय 21
काल विजयी भव
567
For privacy concerns, please view our Privacy Policy
Text Book (150)
आयुर्वेद (1561)
इतिहास (5418)
उपनिषद् (219)
कला एवम् वास्तुकला (650)
कामसूत्र (377)
गीता (414)
गीता प्रेस (773)
चौखंबा (3140)
जीवनी (752)
ज्योतिष (1197)
तन्त्र (865)
तीर्थ (306)
दर्शन (2259)
Send as free online greeting card
Email a Friend