प्रस्तुत ग्रन्थ
म०म० पण्डित गोपीनाथ कविराज मनीषी थे । भारतीय अध्यात्म, धर्म तथा साधना का उन्होंने गम्भीर चिन्तन किया । समय समय पर अध्येताओं ने अपने शोधपरक तथा अध्यात्म ग्रन्थों की भूमिका लिखने के त्र लिए कविराज जी से अनुरोध किया । उन्होंने सहृदयतापूर्वक अध्येताओं का मार्गदर्शन किया और उनके ग्रन्थों की भूमिका भी लिखी । धर्म दर्शन विषयक ये भूमिकाएँ स्वतंत्र आलेख हैं जो विचारपूर्ण सामग्री प्रस्तुत करती हैं । यह संग्रह इसी उद्देश्य से प्रस्तुत किया जा रहा है ताकि भारतीय धर्म तथा साधना पर कविराज जी के विभिन्न क्त थों में भूमिका स्वरूप बिखरी सामग्री एकत्र रूप में पाठकों को सुलभ हो जाय ।
विषय सूची |
||
पण्डित गौपीनाथ कविराज प० बलदेव उपाध्याय |
1 |
|
1 |
श्रीमद्भगवद्गीता |
7 |
2 |
बौद्धधर्म साधना के विविध रूप |
33 |
3 |
रामभक्ति में रस साधना |
68 |
4 |
नाथ तथा संत साधना |
81 |
5 |
संत परिचय |
87 |
6 |
भारतीय संस्कृति |
93 |
7 |
वल्लभाचार्य और उनका वल्लभ सम्प्रदाय |
99 |
8 |
धर्म का सनातन स्वरूप |
115 |
प्रस्तुत ग्रन्थ
म०म० पण्डित गोपीनाथ कविराज मनीषी थे । भारतीय अध्यात्म, धर्म तथा साधना का उन्होंने गम्भीर चिन्तन किया । समय समय पर अध्येताओं ने अपने शोधपरक तथा अध्यात्म ग्रन्थों की भूमिका लिखने के त्र लिए कविराज जी से अनुरोध किया । उन्होंने सहृदयतापूर्वक अध्येताओं का मार्गदर्शन किया और उनके ग्रन्थों की भूमिका भी लिखी । धर्म दर्शन विषयक ये भूमिकाएँ स्वतंत्र आलेख हैं जो विचारपूर्ण सामग्री प्रस्तुत करती हैं । यह संग्रह इसी उद्देश्य से प्रस्तुत किया जा रहा है ताकि भारतीय धर्म तथा साधना पर कविराज जी के विभिन्न क्त थों में भूमिका स्वरूप बिखरी सामग्री एकत्र रूप में पाठकों को सुलभ हो जाय ।
विषय सूची |
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पण्डित गौपीनाथ कविराज प० बलदेव उपाध्याय |
1 |
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1 |
श्रीमद्भगवद्गीता |
7 |
2 |
बौद्धधर्म साधना के विविध रूप |
33 |
3 |
रामभक्ति में रस साधना |
68 |
4 |
नाथ तथा संत साधना |
81 |
5 |
संत परिचय |
87 |
6 |
भारतीय संस्कृति |
93 |
7 |
वल्लभाचार्य और उनका वल्लभ सम्प्रदाय |
99 |
8 |
धर्म का सनातन स्वरूप |
115 |