पुस्तक के विषय में
प्रस्तुत पुस्तक सासमानस्य पाठकों को ध्यान में रखकर सरल और सुबोध भाषा में लिखी गई है। इसमें लगभग सौ किस्म के पौधों के स्थानीय नाम, वर्णन, प्राप्ति स्था और औषधीय गुण आदि के बारे में जानकारी दी गई है।
इस पुस्तक के लेखक डॉ. सुधांशु कुमार जैन बोटेनिकल सर्वे ऑफ इंडिया के निदेशक रह चुके हैं। अनेक वर्षों से वे भारत की वनस्पति पर शोध कर रहे हैं। उन्होंने अनेक आदिम जाति क्षेत्रों में औषधि और खाद्य आदि में प्रयुक्त पौधों का अध्ययन किया है। उन्होंने लगभग दस पुस्तकें और दो सौ शोधपत्र लिखे हैं, जिनमें औषधीय जड़ी-बूटियां, सर्वेक्षण, वनस्पति-नामकरण, पौधों का संरक्षण तथा लुप्तप्राय पौधे जैसे विषय शामिल हैं।
लेखकी हिंदी में लिखते हैं और इन्होंने राजस्थान तथा मध्य प्रदेश हिंदी अकादमी के लिए कई पुस्तकों के अनुवाद भी किए हैं।
पुस्तक के विषय में
प्रस्तुत पुस्तक सासमानस्य पाठकों को ध्यान में रखकर सरल और सुबोध भाषा में लिखी गई है। इसमें लगभग सौ किस्म के पौधों के स्थानीय नाम, वर्णन, प्राप्ति स्था और औषधीय गुण आदि के बारे में जानकारी दी गई है।
इस पुस्तक के लेखक डॉ. सुधांशु कुमार जैन बोटेनिकल सर्वे ऑफ इंडिया के निदेशक रह चुके हैं। अनेक वर्षों से वे भारत की वनस्पति पर शोध कर रहे हैं। उन्होंने अनेक आदिम जाति क्षेत्रों में औषधि और खाद्य आदि में प्रयुक्त पौधों का अध्ययन किया है। उन्होंने लगभग दस पुस्तकें और दो सौ शोधपत्र लिखे हैं, जिनमें औषधीय जड़ी-बूटियां, सर्वेक्षण, वनस्पति-नामकरण, पौधों का संरक्षण तथा लुप्तप्राय पौधे जैसे विषय शामिल हैं।
लेखकी हिंदी में लिखते हैं और इन्होंने राजस्थान तथा मध्य प्रदेश हिंदी अकादमी के लिए कई पुस्तकों के अनुवाद भी किए हैं।