प्रस्तावना
शिक्षा संबंधी राष्ट्रीय नीति संकल्प के अनुपालन के रूप मे विश्वविद्यालयों में उच्चतम स्तरों तक भारतीय भाषाओं के माध्यम से शिक्षा के लिए पाठ्य सामग्री सुलभ करने के उद्देश्य से भारत सरकार ने इन भाषाओ मे विभिन्न विषयों के मानक ग्र थों के निर्माण, अनुवाद और प्रकाशन की योजना परिचालित की है । इस योजना के अंतर्गत अग्रेजी और कय भाषाओं के प्रामाणिक ग्रथों का अनुवाद किया जा रहा है तथा मौलिक ग्रथ भी लिखाये जा रहे हैं यह कार्य भारत सरकार विभिन्न राज्य सरकारों के माध्यम से तया अंशत केन्द्रीय अभिकरण द्वारा करा रही है । हिंदी भाषी राज्यों में इस योजना के परिचालन के लिए भारत सरकार के शत प्रतिशत अनुदान से राज्य सरकार द्वारा स्वायत्तशासी निकायों की स्थापना हुई है । बिहार मे इस योजना का कार्यान्वयन बिहार हिंदी ग्रथ अकादमी के तत्त्वावभान में हो रहा है ।
योजना के अंतर्गत प्रकाश्य ग्रथों मे भारत सरकार द्वारा स्वीकृत मानक पारिभाषिक शब्दावली का प्रयोग किया जाता है, ताकि भारत की सभी शैक्षणिक सस्थाओं में सभान पारिभाषिक शब्दावली के आघार पर शिक्षा का आयोजन किया जा सके ।
प्रस्तुत ग्रथ वैष्णव साधना और सिद्धान्त हिन्दी साहित्य पर उसका प्रभाव स्व० डॉ० भुवनेश्वरनाथ मिश्र माधव की मौलिक कृति है, जो भारत सरकार के शिक्षा तथा समाज कन्याण मत्रालय के शत प्रतिशत अनुदान से बिहार हिंदी ग्रथ अकादमी द्वारा प्रकाशित की जा रही है यह ग्रथ विश्वविद्यालय स्तर के छात्रों के लिए महत्वपूर्ण होगा ।
आशा है, अकादमी द्वारा मानक ग्रथों के प्रकाशन संबंधी इस प्रयास का सभी क्षेत्रों में स्वागत किया जायेगा।
प्रकाशकीय वक्तव्य
प्रस्तुत ग्रथ वैष्णव साधना और सिद्धान्त हिन्दी साहित्य पर उसका प्रभाव मध्यकालीन हिंदी साहित्य के अधिकारी विद्वान् स्वर्गीय डॉ० भुवनेश्वरनाथ मिश्र माधव की अनुपम कृति है।डॉ० माधव वैष्णव साहित्य के गम्भीर अध्येता और साधक विद्वान् थे । प्रस्तुत ग्रथ में उन्होने दीर्घकालीन साधना का अमृत निचोड़कर रख दिया है । मुझे बेद है, यह ग्रंथ माधव जी के जीवनकाल मे मुद्रित होकर प्रकाशित न हो सका अब यह पाठकों के हाथों मे है
मेरा विश्वास है, हिंदी भाषी क्षेत्र के विश्वविद्यालयो के उच्चस्तरीय विद्यार्थी इस महत्वपूर्ण ग्रंथ से भरपूर लाभान्वित होगे और इस कृति के प्रकाशन का सर्वत्र इस ग्रंथ का मुद्रण बिहार प्रिंटिंग प्रेस, पटना ४ मे सम्पन्न हुआ है । प्रूफ संशोधन का कार्य विद्वदवर श्री श्रीरंजन हरिदेवजी ने किया है आवरणशिल्पी श्री बी० के० सेन हे आवरण का मुद्रण हिंद आर्ट काटेज, पटना मे सम्पन्न हुआ है । ये सभी हमारे धन्यवाद के पात्र है।
विषय सूची
1
आत्मनिवेदन (लेखक महामहोपाध्याय पं० गोपीनाथ कविराज)
2
भूमिका
15
3
पहला अध्याय वैष्णव साधना का मूल सोते और उसका क्रम विकास
4
दूसरा अध्याय वैष्णव साधना में रागमयी भक्ति
33
5
तीसरा अध्याय युगल उपासना का रहस्य
69
6
चौथा अध्याय दक्षिण के द्वादश आलवार भक्त एवं वैष्णव आचार्यों के सिद्धान्त
105
7
वैष्णव साधना और सिद्धान्तों का हिन्दी साहित्य पर प्रभाव
227
8
सन्त कवियों की सामान्य विशेषताएँ
242
9
वैष्णव साधना का विविध कलाकृतियों पर प्रभाव
264
10
वैष्णव साधना का महाराष्ट्र के सन्तों पर प्रभाव (वारकरी सम्प्रदाय)
288
11
वैष्णव साधना का हिन्दी निर्गुणोपासके कवियों पर प्रभाव
312
12
वष्णव साधना का रामाश्रयो शाखा पर प्रभाव
361
13
कृष्णाश्रयी शाखा की रसिक साधना का साहित्य
395
14
श्रीराधामाधव रस सुधा महाभाव रसराज वन्दना
432
सहायक ग्रन्थ सूची
453
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