पुस्तक के बारे में
वृक्षों एवं पौधों का हमारे जीवन में अतुलनीय महत्व है। यह वृक्ष एवं पौधे हमारे जीवन की अनेक आवश्कताओं को पूरा करने के साथ-अनेक संदर्भेां में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ईशवर ने पेड़-पौधे हमारी रक्षा तथा स्वास्थ्य प्रदान किय हैं। इस कारण से यह हमारे जीवन के लिए हमें उपहार स्वरूप प्रदान किये है। इस कारण से हमारे जीवन के अनेक पक्षों को प्रभावित करते हैं। प्राचीनकाल से ही इनके अनेक प्रयोग किये जाते रहे हैं। यह हमारी धार्मिक आस्थाओं के साथ जुड़े हुए हैं, इसलिए अनेक वृक्षों की जड़ों में जल अर्पित करने से पुण्य लाभ प्राप्त होता है। छोटे पौधों को गमलों में लगाकर लोग अपने घरों में भी रखते हैं। तुलसी का पौधा इस श्रेष्ठ उदाहरण है। तुलसी की जड़ों में जल अर्पित करने तथा दीपक लगाने से भगवान श्रीहरि विष्णुजी का कृपा प्राप्त हो जाती है। अनेक वृक्षों एवं पौधों का ज्योतिष की दृष्टि से भी महत्व बताया गया है।
प्राचीनकाल से ही वृक्षों के द्वारा वास्तु दोषों को दूर करने का प्रयास किया गया जाता था। वृक्षों एवं पौधों का सबसे अधिक महत्व औषधीय रूप में देखा जाता है। इसमें इनकी जड़ों को, पत्तों एवं फलों को तथा फूल एवं छाल को उपयोग में लाया जाता है। इस दृष्टि से वृक्ष हमारे स्वास्थ की रक्षा करके हमें दीर्घायु प्रदान करते हैं।
वृक्षों के धार्मिक, ज्योतिष, वास्तु तथा औषधीय महत्व पर आधारित चमत्कारिक जड़ी-बूटियाँ पुस्तक वर्तमान समय में अत्यन्त उपयोगी सिद्ध होगी। इस पुस्तक में दिये गये उपायों का प्रयोग करने पर अवश्य ही लाभ की प्राप्ति होती है। मैं आशा करता हूँ कि समस्त पाठक इस पुस्तक के द्वारा लाभान्वित होंगे।
लेखकीय-दो शब्द
अति प्राचीनकाल से मनुष्य अपने स्वास्थ्य के प्रति विशेष सावधान रहा है । कालान्तर में स्वास्थ्य के साथ-साथ धन, मान-प्रतिष्ठा तथा जीवन के अन्य आयामों के प्रति भी उसने ध्यान देना प्रारम्भ किया । आज का युग तो मनुष्य के लिये परम असंतुष्टि का युग हो गया है । हर व्यक्ति धन चाहता है, जो धनवान हैं वे और धनवान बनना चाहते हैं...कोई शत्रुओं से परेशान है...किसी को चोरी का भय है तो कोई प्रेम में असफल है...किसी घर में सब कुछ है तो शांति, अमन-चैन नहीं है...पति-पली में दूरी बढ़ रही है...किसी को संतान से तो किसी को संतानों का कष्ट है... तात्पर्य ये कि हर कोई व्यक्ति किसी न किसी कारण से परेशान है...।
ईश्वर कहें या प्रकृति-वह हम पर अत्यन्त कृपालु है...प्रकृति ने हमें सब कुछ दिया है...देने वाले के हाथ बहुत लम्बे भी हैं किन्तु लेने वालों की झोली छोटी है...प्रकृति ने वृक्ष के रूप में साक्षात् देवता हमारे समक्ष, हमारे बीच में भेज दिये हैं...उनसे हमें सदैव प्राप्त ही होता है...हमें उन्हें कुछ देना नहीं पड़ता...और अनेक वस्तुयें तो स्वयं जो पौधों से हमें प्राप्त होती हैं, उन पर प्रकृति ने अपने हस्ताक्षर करके हमें भेजा है...अंतर केवल इतना है कि हम प्रकृति के उन हस्ताक्षरों को पहचान नहीं पा रहे हैं...उन्हें समझ नहीं पा रहे हैं...उपरोक्त सभी समस्याओं का हल प्रकृति के पास है...पुस्तक में उनको समेटने का प्रयास किया गया है... ।
इस पुस्तक में मैंने हमारे आसपास के कुछ पौधों को वर्णन के रूप में आपके समक्ष रखा है...ये पौधे साधारण हैं किन्तु इनमें महान दिव्यता छिपी हुई है... इन्हें मैं भी पहले साधारण ही समझता था किन्तु समय के अन्तराल में, अनेक साधू-महात्माओं के सत्संग से अथवा लोक अंचल के बड़े-बुजुर्गों से मुझे इनके सम्बन्ध में बहुत कुछ ज्ञात हुआ । उन्हीं तथ्यों को आपके समक्ष इस पुस्तक के माध्यम से रख रहा हूँ । इस पुस्तक में इन पौधों के औषधीय महत्त्व को तो लिखा ही गया है किन्तु साथ ही उनके ज्योतिषीय, धार्मिक अथवा विशिष्ट एवं वास्तु सम्मत उपयोगों को भी लिखा है। इनमें से अनेक पौधों के कुछ दिव्य प्रयोग भी हैं जो सहज ही उस पौधे की विलक्षणता को हमारे सामने प्रकट करते हैं। इनमें वर्णित कई प्रयोगों की सत्यता को स्वयं मेरे द्वारा अनेक व्यक्तियों के माध्यम से परखा गया है-ये प्रयोग करने में भी सरल हैं... सभी प्रभावी एवं निरापद हैं... इन्हें श्रद्धापूर्वक एवं विश्वास के साथ सम्पन्न करने वाला अवश्य ही इनसे लाभान्वित होगा। आप सभी पौधों को व्यवस्थित रूप से पहचान सकें, इस हेतु उनके विभिन्न नामों का उल्लेख किया है ताकि अन्य प्रदेशों के लोग इन पौधों के बारे में जान सकें- समझ सकें। पुस्तक के लेखन में भाषा की सरलता पर भी विशेष ध्यान मैंने दिया है ताकि विषय वस्तु पाठकों को आसानी से समझ में आ सके । मैंने पूरा प्रयत्न किया है कि पुस्तक की विषय वस्तु त्रुटि रहित हो फिर मानव स्वभाववश यदि कोई त्रुटि रह गई हो तो विज्ञ पाठकगण उसे क्षमा करेंगे...।
मेरे गुरुजन श्रद्धेय डॉ. वी. बी. दीवान जी, डॉ. सी.एम. सोलंकी एवं डॉ. एस. आर. उपाध्याय एवं डॉ. एम-एल. गंगवाल का भी आभार प्रकट करता हूँ । साथ ही मैं श्री एल. के. एस. चौहान, एम.पी. हाउस, दिल्ली तथा श्री नागेश्वर बाबा का भी आभार व्यक्त करता हूँ । इस पुस्तक में वर्णित जड़ी-बूटियों के सम्बन्ध में मुझे स्व. श्री भालचन्द्र जी उपाध्याय एवं स्व. श्री बसंत कुमार जी जोशी का भी विशिष्ट मार्गदर्शन प्राप्त हुआ - उनका भी आभार...। मैं श्री ललित गोखरू, श्री दीपक मिश्रा, डॉ. ताराचन्द रूपाले, डॉ. प्रफुल्ल दवे, श्री मनोज सुनेरी, श्री रवि पाटीदार एवं श्री एस.के. जोशी का भी आभारी हूँ जिन्होंने इस पुस्तक के पूर्ण करने में अपना अमूल्य सहयोग प्रदान किया। यह पुस्तक मेरी बेटी कुमारी पायल पाण्डे (बोस्की) को समर्पित है।
अनुक्रमणिका |
||
1 |
दो शब्द |
5 |
2 |
उपयोगी है- वृक्ष एवं पौधे |
7 |
3 |
जीवनरक्षक जड़ी-बूटियां |
9 |
4 |
जड़ी-बूटियों से संबंधित आवश्यक जानकारियां |
16 |
5 |
तुलसी |
22 |
6 |
गुलाब |
27 |
7 |
कालीमिर्च |
31 |
चित्र पृष्ठ सं. 33 से 40 आंवला |
||
8 |
आवंला |
41 |
9 |
ब्राह्मी |
47 |
10 |
जामुन |
51 |
11 |
सूरजमुखी |
55 |
12 |
अतीस |
58 |
13 |
अशोक |
61 |
14 |
क्रौंच |
67 |
15 |
अपराजिता |
69 |
16 |
कचनार |
73 |
17 |
गैंदा |
77 |
18 |
निर्मली |
80 |
19 |
गोरखमुण्डी |
83 |
20 |
कर्ण फूल |
86 |
चित्र पृष्ठ सं. 89 से 96 |
||
21 |
अनार |
97 |
22 |
अपामार्ग |
103 |
23 |
गुंजा |
107 |
24 |
पलास |
111 |
25 |
निर्गुण्डी |
116 |
26 |
चमेली |
121 |
27 |
नींबू |
126 |
28 |
लाजवन्ती |
131 |
29 |
रुद्राक्ष |
136 |
30 |
कमल |
139 |
31 |
हरश्रृंगार |
145 |
32 |
देवदारू |
149 |
33 |
अरणी |
152 |
34 |
पायनस |
155 |
35 |
गोखरू |
157 |
36 |
नकछिकनी |
159 |
रगीन चित्र पृष्ठ सं. 161 से 168 श्वेतार्क |
||
37 |
श्वेतार्क |
169 |
38 |
अमलतास |
174 |
39 |
काला धतूरा |
179 |
40 |
गूगल |
184 |
41 |
कदम्ब |
191 |
42 |
ईश्वरमूल |
195 |
43 |
कनकचम्पा |
199 |
44 |
भोजपत्र |
203 |
45 |
सफेद कटेली सेमल |
207 |
46 |
सेमल |
211 |
47 |
केतक |
216 |
48 |
गरूड़ वृक्ष |
219 |
49 |
मदन मस्त |
221 |
50 |
बिछुआ |
223 |
51 |
रसौंत |
225 |
52 |
जंगली झाऊ |
228 |
पुस्तक के बारे में
वृक्षों एवं पौधों का हमारे जीवन में अतुलनीय महत्व है। यह वृक्ष एवं पौधे हमारे जीवन की अनेक आवश्कताओं को पूरा करने के साथ-अनेक संदर्भेां में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ईशवर ने पेड़-पौधे हमारी रक्षा तथा स्वास्थ्य प्रदान किय हैं। इस कारण से यह हमारे जीवन के लिए हमें उपहार स्वरूप प्रदान किये है। इस कारण से हमारे जीवन के अनेक पक्षों को प्रभावित करते हैं। प्राचीनकाल से ही इनके अनेक प्रयोग किये जाते रहे हैं। यह हमारी धार्मिक आस्थाओं के साथ जुड़े हुए हैं, इसलिए अनेक वृक्षों की जड़ों में जल अर्पित करने से पुण्य लाभ प्राप्त होता है। छोटे पौधों को गमलों में लगाकर लोग अपने घरों में भी रखते हैं। तुलसी का पौधा इस श्रेष्ठ उदाहरण है। तुलसी की जड़ों में जल अर्पित करने तथा दीपक लगाने से भगवान श्रीहरि विष्णुजी का कृपा प्राप्त हो जाती है। अनेक वृक्षों एवं पौधों का ज्योतिष की दृष्टि से भी महत्व बताया गया है।
प्राचीनकाल से ही वृक्षों के द्वारा वास्तु दोषों को दूर करने का प्रयास किया गया जाता था। वृक्षों एवं पौधों का सबसे अधिक महत्व औषधीय रूप में देखा जाता है। इसमें इनकी जड़ों को, पत्तों एवं फलों को तथा फूल एवं छाल को उपयोग में लाया जाता है। इस दृष्टि से वृक्ष हमारे स्वास्थ की रक्षा करके हमें दीर्घायु प्रदान करते हैं।
वृक्षों के धार्मिक, ज्योतिष, वास्तु तथा औषधीय महत्व पर आधारित चमत्कारिक जड़ी-बूटियाँ पुस्तक वर्तमान समय में अत्यन्त उपयोगी सिद्ध होगी। इस पुस्तक में दिये गये उपायों का प्रयोग करने पर अवश्य ही लाभ की प्राप्ति होती है। मैं आशा करता हूँ कि समस्त पाठक इस पुस्तक के द्वारा लाभान्वित होंगे।
लेखकीय-दो शब्द
अति प्राचीनकाल से मनुष्य अपने स्वास्थ्य के प्रति विशेष सावधान रहा है । कालान्तर में स्वास्थ्य के साथ-साथ धन, मान-प्रतिष्ठा तथा जीवन के अन्य आयामों के प्रति भी उसने ध्यान देना प्रारम्भ किया । आज का युग तो मनुष्य के लिये परम असंतुष्टि का युग हो गया है । हर व्यक्ति धन चाहता है, जो धनवान हैं वे और धनवान बनना चाहते हैं...कोई शत्रुओं से परेशान है...किसी को चोरी का भय है तो कोई प्रेम में असफल है...किसी घर में सब कुछ है तो शांति, अमन-चैन नहीं है...पति-पली में दूरी बढ़ रही है...किसी को संतान से तो किसी को संतानों का कष्ट है... तात्पर्य ये कि हर कोई व्यक्ति किसी न किसी कारण से परेशान है...।
ईश्वर कहें या प्रकृति-वह हम पर अत्यन्त कृपालु है...प्रकृति ने हमें सब कुछ दिया है...देने वाले के हाथ बहुत लम्बे भी हैं किन्तु लेने वालों की झोली छोटी है...प्रकृति ने वृक्ष के रूप में साक्षात् देवता हमारे समक्ष, हमारे बीच में भेज दिये हैं...उनसे हमें सदैव प्राप्त ही होता है...हमें उन्हें कुछ देना नहीं पड़ता...और अनेक वस्तुयें तो स्वयं जो पौधों से हमें प्राप्त होती हैं, उन पर प्रकृति ने अपने हस्ताक्षर करके हमें भेजा है...अंतर केवल इतना है कि हम प्रकृति के उन हस्ताक्षरों को पहचान नहीं पा रहे हैं...उन्हें समझ नहीं पा रहे हैं...उपरोक्त सभी समस्याओं का हल प्रकृति के पास है...पुस्तक में उनको समेटने का प्रयास किया गया है... ।
इस पुस्तक में मैंने हमारे आसपास के कुछ पौधों को वर्णन के रूप में आपके समक्ष रखा है...ये पौधे साधारण हैं किन्तु इनमें महान दिव्यता छिपी हुई है... इन्हें मैं भी पहले साधारण ही समझता था किन्तु समय के अन्तराल में, अनेक साधू-महात्माओं के सत्संग से अथवा लोक अंचल के बड़े-बुजुर्गों से मुझे इनके सम्बन्ध में बहुत कुछ ज्ञात हुआ । उन्हीं तथ्यों को आपके समक्ष इस पुस्तक के माध्यम से रख रहा हूँ । इस पुस्तक में इन पौधों के औषधीय महत्त्व को तो लिखा ही गया है किन्तु साथ ही उनके ज्योतिषीय, धार्मिक अथवा विशिष्ट एवं वास्तु सम्मत उपयोगों को भी लिखा है। इनमें से अनेक पौधों के कुछ दिव्य प्रयोग भी हैं जो सहज ही उस पौधे की विलक्षणता को हमारे सामने प्रकट करते हैं। इनमें वर्णित कई प्रयोगों की सत्यता को स्वयं मेरे द्वारा अनेक व्यक्तियों के माध्यम से परखा गया है-ये प्रयोग करने में भी सरल हैं... सभी प्रभावी एवं निरापद हैं... इन्हें श्रद्धापूर्वक एवं विश्वास के साथ सम्पन्न करने वाला अवश्य ही इनसे लाभान्वित होगा। आप सभी पौधों को व्यवस्थित रूप से पहचान सकें, इस हेतु उनके विभिन्न नामों का उल्लेख किया है ताकि अन्य प्रदेशों के लोग इन पौधों के बारे में जान सकें- समझ सकें। पुस्तक के लेखन में भाषा की सरलता पर भी विशेष ध्यान मैंने दिया है ताकि विषय वस्तु पाठकों को आसानी से समझ में आ सके । मैंने पूरा प्रयत्न किया है कि पुस्तक की विषय वस्तु त्रुटि रहित हो फिर मानव स्वभाववश यदि कोई त्रुटि रह गई हो तो विज्ञ पाठकगण उसे क्षमा करेंगे...।
मेरे गुरुजन श्रद्धेय डॉ. वी. बी. दीवान जी, डॉ. सी.एम. सोलंकी एवं डॉ. एस. आर. उपाध्याय एवं डॉ. एम-एल. गंगवाल का भी आभार प्रकट करता हूँ । साथ ही मैं श्री एल. के. एस. चौहान, एम.पी. हाउस, दिल्ली तथा श्री नागेश्वर बाबा का भी आभार व्यक्त करता हूँ । इस पुस्तक में वर्णित जड़ी-बूटियों के सम्बन्ध में मुझे स्व. श्री भालचन्द्र जी उपाध्याय एवं स्व. श्री बसंत कुमार जी जोशी का भी विशिष्ट मार्गदर्शन प्राप्त हुआ - उनका भी आभार...। मैं श्री ललित गोखरू, श्री दीपक मिश्रा, डॉ. ताराचन्द रूपाले, डॉ. प्रफुल्ल दवे, श्री मनोज सुनेरी, श्री रवि पाटीदार एवं श्री एस.के. जोशी का भी आभारी हूँ जिन्होंने इस पुस्तक के पूर्ण करने में अपना अमूल्य सहयोग प्रदान किया। यह पुस्तक मेरी बेटी कुमारी पायल पाण्डे (बोस्की) को समर्पित है।
अनुक्रमणिका |
||
1 |
दो शब्द |
5 |
2 |
उपयोगी है- वृक्ष एवं पौधे |
7 |
3 |
जीवनरक्षक जड़ी-बूटियां |
9 |
4 |
जड़ी-बूटियों से संबंधित आवश्यक जानकारियां |
16 |
5 |
तुलसी |
22 |
6 |
गुलाब |
27 |
7 |
कालीमिर्च |
31 |
चित्र पृष्ठ सं. 33 से 40 आंवला |
||
8 |
आवंला |
41 |
9 |
ब्राह्मी |
47 |
10 |
जामुन |
51 |
11 |
सूरजमुखी |
55 |
12 |
अतीस |
58 |
13 |
अशोक |
61 |
14 |
क्रौंच |
67 |
15 |
अपराजिता |
69 |
16 |
कचनार |
73 |
17 |
गैंदा |
77 |
18 |
निर्मली |
80 |
19 |
गोरखमुण्डी |
83 |
20 |
कर्ण फूल |
86 |
चित्र पृष्ठ सं. 89 से 96 |
||
21 |
अनार |
97 |
22 |
अपामार्ग |
103 |
23 |
गुंजा |
107 |
24 |
पलास |
111 |
25 |
निर्गुण्डी |
116 |
26 |
चमेली |
121 |
27 |
नींबू |
126 |
28 |
लाजवन्ती |
131 |
29 |
रुद्राक्ष |
136 |
30 |
कमल |
139 |
31 |
हरश्रृंगार |
145 |
32 |
देवदारू |
149 |
33 |
अरणी |
152 |
34 |
पायनस |
155 |
35 |
गोखरू |
157 |
36 |
नकछिकनी |
159 |
रगीन चित्र पृष्ठ सं. 161 से 168 श्वेतार्क |
||
37 |
श्वेतार्क |
169 |
38 |
अमलतास |
174 |
39 |
काला धतूरा |
179 |
40 |
गूगल |
184 |
41 |
कदम्ब |
191 |
42 |
ईश्वरमूल |
195 |
43 |
कनकचम्पा |
199 |
44 |
भोजपत्र |
203 |
45 |
सफेद कटेली सेमल |
207 |
46 |
सेमल |
211 |
47 |
केतक |
216 |
48 |
गरूड़ वृक्ष |
219 |
49 |
मदन मस्त |
221 |
50 |
बिछुआ |
223 |
51 |
रसौंत |
225 |
52 |
जंगली झाऊ |
228 |