लेखक परिचय
श्री विनोद प्रकाश गोयल भारतीय इंजीनियरिंग सेवा के अधिकारी हैं और रक्षा मंत्रालय से कार्यरत रहे। अपना इंजीनियरिंग, निर्माण और एयर कंडीशनिंग व्यवसाय स्थापित करने से पहले भारत और विदेश में वरिष्ठ प्रबंधकीय पदों पर कार्य किया। वर्तमान में रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन में प्रमुख परियोजनाओं पर सलाहकार है।
श्री गोयल आई. आई. टी. खडगपुर से एम.टेक. है और बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय से मैकेनिकल इंजीनियरिंग (आनर्स) के स्नातक है।
वर्ष 1999 और 2000 में ज्योतिष संस्थान, भारतीय विद्या भवन नई दिल्ली मे ज्योतिष अलंकार और ज्योतिष आचार्य के लिए स्वर्ण पदक से सम्मानित किया गया। अब वह संस्थान में संकाय सदस्य है।
इनकी वर्ग कुंडली और योगिनी पर पुस्तक सराहनीय है।
पुस्तक विषय
हिन्दू ज्योतिष के तीन प्रमुख आयाम वर्ग कुंडलियां, दशा प्रणाली और योग हैं। यह पुस्तक वर्ग कुंडलियों से संबंधित है।
वृहत पराशर होरा शास्त्र हमें वर्गों का ज्ञान देता है। इन वर्गों का व्यावहारिक उपयोग पहली बार फलित ज्योतिष में करने की विधि दी गई है। इस पुस्तक में पराशरी और अन्य वर्गों का फलित में बहुमूल्य योगदान की सरलता से व्याख्या की गई है।
पुस्तक में निम्न विषय अत्यन्त उपयोगी है
1. प्रत्येक वर्ग कुंडली की परीक्षा के नियम
2. वर्ग कुंडली के प्रत्येक भाव के कारकत्व
3. वर्गों का आपसी समन्वय
वर्गों के समन्वय की पहली बार चर्चा की गई है । यह पद्धति फलित में एक नया आयाम है और एक अनुसन्धान का विषय है ।
यह पुस्तक ज्योतिष को एक वैज्ञानिक ढंग से प्रत्येक कुंडली पर लगने वाले सिद्धांत समझने में सहायक है । ज्योतिष सिद्धांत आजकल के परिपेक्ष में समझना जरूरी है और इससे ही ज्योतिष विद्या का रोमांच है ।
प्रत्येक अध्याय में नियमों को उदाहरणों में लगा कर देखा गया है जिससे उनका अर्थ समझने में सुविधा हो । यह पुस्तक सभी ज्योतिष प्रेमी और विद्वानों के लिए लाभकारी हो ऐसी कामना से इसे प्रस्तुत करता हूं ।
प्रस्तावना
वर्ष 2009 में भारतीय विद्या भवन के अनेक छात्रों वर्गों पर एक पुस्तक नहीं होने से वह वर्गों का ज्योतिष उपयोग नहीं कर पा रहे थे । ऐसा ही अधिकांश ज्योतिष प्रेमी भी सोचते थे । इसी विचार से यह पुस्तक पाठकों के समक्ष रखने का मन बनाया । हमारे ज्योतिष गुरू श्री के. एन. राव जी ने भरपूर प्रोत्साहन दिया । इस पुस्तक को प्रथम अंग्रेजी भाषा में 2010 में प्रकाशित किया गया ।
वर्ग हिन्दु ज्योतिष का गौरव है । ये हमारे पूर्वजों के ज्योतिष ज्ञान की गहराई दर्शाते हैं । प्रत्येक वर्ग कुंडली मानव जीवन के एक विशिष्ट क्षेत्र को चिन्हांकित करता है । हमारे ऋषियों ने प्रत्येक वर्ग कुंडली का गहराई से अध्ययन करने की सलाह दी है जिससे हम उन्हें साकल्यवादी ढंग से समझे ।
वर्ग कुंडली का अध्ययन 23 अध्यायों में प्रस्तुत किया है । इनमें सोलह वर्ग पराशरी और चार वर्ग गैर पराशरी दिये गये हैं । उच्च वर्ग कुंडलियां और वर्गो का समन्वय का एक दिलचस्प अध्याय एक प्रभावी और सरल तरीके से दिया गया है। मेरा आभार श्रीमती सुषमा शर्मा और श्रीमती रेखा शर्मा को है जिन्होंने हिन्दी अनुवाद में पूर्ण सहयोग दिया । श्री दिनेश जैन का अति आभार उनके अथक प्रयास से यह कार्य पूरा हुआ । अंत में श्री नरेन्द्र सागर को उनके उत्साह के लिए जो इस पुस्तक को पाठकों के समक्ष लाने में किया ।
मेरा प्रयास सफल होगा यदि पाठकगण लाभान्वित होते हैं ।
विषय-सूची | |||
1 | वर्ग कुण्डलियाँ | 1 | |
2 | जन्म-कुंडली | डी 1 | 14 |
3 | होरा | डी 2 | 45 |
4 | द्रेष्कोण | डी 3 | 68 |
5 | चतुर्थांश | डी 4 | 94 |
6 | सप्तांश | डी 7 | 109 |
7 | नवांश | डी 9 | 125 |
8 | दशमांश | डी 10 | 163 |
9 | द्वादशांश | डी 12 | 178 |
10 | षोडशांश | डी 16 | 194 |
11 | विशांश | डी 20 | 217 |
12 | चतुर्विंशांश | डी 24 | 234 |
13 | सप्तविमशांश | डी 27 | 253 |
14 | त्रिशांश | डी 30 | 266 |
15 | खवेदांश | डी 40 | 279 |
16 | अक्षवेदांश | डी 45 | 295 |
17 | षष्टयांश | डी 60 | 309 |
18 | पंचामशा | डी 5 | 324 |
19 | षष्टांश | डी 16 | 336 |
20 | अष्टांश | डी 8 | 344 |
21 | एकादशांश | डी 11 | 355 |
22 | उच्च वर्ग कुण्डलियाँ | 369 | |
23 | वर्गों का समन्वय | 384 |
लेखक परिचय
श्री विनोद प्रकाश गोयल भारतीय इंजीनियरिंग सेवा के अधिकारी हैं और रक्षा मंत्रालय से कार्यरत रहे। अपना इंजीनियरिंग, निर्माण और एयर कंडीशनिंग व्यवसाय स्थापित करने से पहले भारत और विदेश में वरिष्ठ प्रबंधकीय पदों पर कार्य किया। वर्तमान में रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन में प्रमुख परियोजनाओं पर सलाहकार है।
श्री गोयल आई. आई. टी. खडगपुर से एम.टेक. है और बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय से मैकेनिकल इंजीनियरिंग (आनर्स) के स्नातक है।
वर्ष 1999 और 2000 में ज्योतिष संस्थान, भारतीय विद्या भवन नई दिल्ली मे ज्योतिष अलंकार और ज्योतिष आचार्य के लिए स्वर्ण पदक से सम्मानित किया गया। अब वह संस्थान में संकाय सदस्य है।
इनकी वर्ग कुंडली और योगिनी पर पुस्तक सराहनीय है।
पुस्तक विषय
हिन्दू ज्योतिष के तीन प्रमुख आयाम वर्ग कुंडलियां, दशा प्रणाली और योग हैं। यह पुस्तक वर्ग कुंडलियों से संबंधित है।
वृहत पराशर होरा शास्त्र हमें वर्गों का ज्ञान देता है। इन वर्गों का व्यावहारिक उपयोग पहली बार फलित ज्योतिष में करने की विधि दी गई है। इस पुस्तक में पराशरी और अन्य वर्गों का फलित में बहुमूल्य योगदान की सरलता से व्याख्या की गई है।
पुस्तक में निम्न विषय अत्यन्त उपयोगी है
1. प्रत्येक वर्ग कुंडली की परीक्षा के नियम
2. वर्ग कुंडली के प्रत्येक भाव के कारकत्व
3. वर्गों का आपसी समन्वय
वर्गों के समन्वय की पहली बार चर्चा की गई है । यह पद्धति फलित में एक नया आयाम है और एक अनुसन्धान का विषय है ।
यह पुस्तक ज्योतिष को एक वैज्ञानिक ढंग से प्रत्येक कुंडली पर लगने वाले सिद्धांत समझने में सहायक है । ज्योतिष सिद्धांत आजकल के परिपेक्ष में समझना जरूरी है और इससे ही ज्योतिष विद्या का रोमांच है ।
प्रत्येक अध्याय में नियमों को उदाहरणों में लगा कर देखा गया है जिससे उनका अर्थ समझने में सुविधा हो । यह पुस्तक सभी ज्योतिष प्रेमी और विद्वानों के लिए लाभकारी हो ऐसी कामना से इसे प्रस्तुत करता हूं ।
प्रस्तावना
वर्ष 2009 में भारतीय विद्या भवन के अनेक छात्रों वर्गों पर एक पुस्तक नहीं होने से वह वर्गों का ज्योतिष उपयोग नहीं कर पा रहे थे । ऐसा ही अधिकांश ज्योतिष प्रेमी भी सोचते थे । इसी विचार से यह पुस्तक पाठकों के समक्ष रखने का मन बनाया । हमारे ज्योतिष गुरू श्री के. एन. राव जी ने भरपूर प्रोत्साहन दिया । इस पुस्तक को प्रथम अंग्रेजी भाषा में 2010 में प्रकाशित किया गया ।
वर्ग हिन्दु ज्योतिष का गौरव है । ये हमारे पूर्वजों के ज्योतिष ज्ञान की गहराई दर्शाते हैं । प्रत्येक वर्ग कुंडली मानव जीवन के एक विशिष्ट क्षेत्र को चिन्हांकित करता है । हमारे ऋषियों ने प्रत्येक वर्ग कुंडली का गहराई से अध्ययन करने की सलाह दी है जिससे हम उन्हें साकल्यवादी ढंग से समझे ।
वर्ग कुंडली का अध्ययन 23 अध्यायों में प्रस्तुत किया है । इनमें सोलह वर्ग पराशरी और चार वर्ग गैर पराशरी दिये गये हैं । उच्च वर्ग कुंडलियां और वर्गो का समन्वय का एक दिलचस्प अध्याय एक प्रभावी और सरल तरीके से दिया गया है। मेरा आभार श्रीमती सुषमा शर्मा और श्रीमती रेखा शर्मा को है जिन्होंने हिन्दी अनुवाद में पूर्ण सहयोग दिया । श्री दिनेश जैन का अति आभार उनके अथक प्रयास से यह कार्य पूरा हुआ । अंत में श्री नरेन्द्र सागर को उनके उत्साह के लिए जो इस पुस्तक को पाठकों के समक्ष लाने में किया ।
मेरा प्रयास सफल होगा यदि पाठकगण लाभान्वित होते हैं ।
विषय-सूची | |||
1 | वर्ग कुण्डलियाँ | 1 | |
2 | जन्म-कुंडली | डी 1 | 14 |
3 | होरा | डी 2 | 45 |
4 | द्रेष्कोण | डी 3 | 68 |
5 | चतुर्थांश | डी 4 | 94 |
6 | सप्तांश | डी 7 | 109 |
7 | नवांश | डी 9 | 125 |
8 | दशमांश | डी 10 | 163 |
9 | द्वादशांश | डी 12 | 178 |
10 | षोडशांश | डी 16 | 194 |
11 | विशांश | डी 20 | 217 |
12 | चतुर्विंशांश | डी 24 | 234 |
13 | सप्तविमशांश | डी 27 | 253 |
14 | त्रिशांश | डी 30 | 266 |
15 | खवेदांश | डी 40 | 279 |
16 | अक्षवेदांश | डी 45 | 295 |
17 | षष्टयांश | डी 60 | 309 |
18 | पंचामशा | डी 5 | 324 |
19 | षष्टांश | डी 16 | 336 |
20 | अष्टांश | डी 8 | 344 |
21 | एकादशांश | डी 11 | 355 |
22 | उच्च वर्ग कुण्डलियाँ | 369 | |
23 | वर्गों का समन्वय | 384 |