श्रीरामचरितमानस (मूल) -मझला साइज: Shri Ramcharitmanas

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Item Code: GPA024
Author: Goswami Tulsidas
Publisher: Gita Press, Gorakhpur
Language: Hindi
ISBN: 9788129300171
Pages: 544 (4 Color Illustrations)
Cover: Hardcover
Other Details 8.5 inch X 5.5 inch
Weight 530 gm
Fully insured
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100% Made in India
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Book Description

गीताप्रेससे श्रीरामचरितमानसका एक सटीक एवं सचित्र संस्करण कुछ अन्य उपयोगी सामग्रीके साथ ' कल्याण ' के विशेषाङ्कके रूपमें तेरहवें बर्षके प्रारम्भमें निकल चुका है । उसमें बहुत-सी त्रुटियाँ होनेपर भी मानसप्रेमी जनताने उसका कितना आदर किया, यह सब लोगोंको विदित ही है । मानसाङ्क निकालते समय यह विचार था और उसे सम्पादकीय निवेदनमें व्यक्त भी कर दिया गया था कि इसके बाद जल्दी ही मानसका एक मूल संस्करण मोटे अक्षरोंमें अलग निकाला जाय; जिसमें पाठभेद आदि दिये जायँ तथा आवश्यक टिप्पणियाँ भी रहें और उसके बाद उसीके आधारपर मूल तथा सटीक, छोटे-बड़े कई संस्करण निकाले जायँ, परंतु इच्छा रहनेपर भी कई कारणोंसे वह संस्करण जल्दी नहीं निकल सका । पहले तो यह आशा थी कि भगवान्की कृपासे सम्भवत: कहींसे गोस्वामीजीके हाथकी लिखी हुई कोई पूरी प्रामाणिक प्रति मिल जाय; जिससे शुद्ध-से-शुद्ध पाठ मानसप्रेमियोंके पास पहुँचाया जा सके; परंतु जब यह आशा जल्दी पूरी होती नहीं देखी गयी तो मानसाद्वके पाठको ही एक बार फिरसे देखकर तथा मानसके कतिपय मर्मज्ञोंका परामर्श लेकर उसीमें आवश्यकतानुसार यत्र-तत्र कुछ संशोधनकरके छपनेको दे दिया गया ।

 

यद्यपि कागज, स्याही आदिके दाम अत्यधिक बढ़ जानेसे इस समय यह संस्करण निकालना बहुत कठिन था, किंतु फिर भी लोगोंके लगातार आग्रहके कारण किसी प्रकार इसे छापकर तैयार किया गया है, जो मानसप्रेमी पाठकोंके सम्मुख प्रस्तुत है । प्ल गोस्वामीजीके हाथकी लिखी हुई कोई पूरी प्रामाणिक प्रति प्रयास करनेपर भी न मिल सकनेके कारण शुद्ध पाठका दावा तो हमलोग कर ही नहीं सकते; इसके अतिरिक्त अपनी समझसे पूरी सावधानी बरती जानेपर भी इसमें प्रूफ आदिकी भूलें रह गयी हों तो कोई आश्चर्य नहीं है । आशा है, कृपालु पाठक हमारी कठिनाइयोंको समझकर इसके लिये हमें क्षमा करेंगे ।

 

पाठके सम्बन्धमें हमें पूज्यपाद परमहंस श्रीअवधबिहारीदासजी महाराज (नागाबाबा ), पूज्य पं० श्रीविजयानन्दजी त्रिपाठी तथा पूज्य पं० श्रीजयरामदासजी 'दीन' रामायणीसे बहुमूल्य परामर्श प्राप्त हुए । इसके लिये हम उनके हृदयसे कृतज्ञ हैं । पाठके निर्णयमें हमें ' मानसपीयूष ' से तथा उसके सम्पादक महात्मा श्रीअंजनीनन्दनशरण शीतलासहायजीसे भी काफी सहायता मिली है, जिसके लिये हम उनके भी विशेष कृतज्ञ हैं । अन्तमें हम सब लोगोंसे अपनी त्रुटियोंके लिये क्षमा माँगते हैं और भगवान्की वस्तु भगवान्को ही समर्पित करते हैं ।

 

विषय

पारायण-विधि

नवाह्नपारायणके विश्राम-स्थान

मासपारायणके विश्राम- स्थान

श्रीरामशलाका-प्रश्नावली

१०

श्रीगोस्वामी तुलसीदासजीकी संक्षिप्त जीवनी

१३

बालकाण्ड

मंगलाचरण

१७

श्रीनाम-वन्दना

२८

याज्ञवल्क्य-भरद्वाज-संवाद

४१

सतीका मोह

४३

शिव-पार्वती-संवाद

६९

नारदका अभिमान

७८

मनु-शतरूपाका तप

८४

प्रतापभानुकी कथा

८७

राम-जन्म

१०४

विश्वामित्रकी यज्ञरक्षा

११२

पुष्पवाटिका-निरीक्षण

१२०

धनुष-भंग

१३४

श्रीसीता-राम-विवाह

१५५

अयोध्याकाण्ड

मंगलाचरण

१८१

राम-राज्याभिषेककी तैयारी

१८२

श्रीसीता-राम-संवाद

२०६

श्रीलक्ष्मण-सुमित्रा-संवाद

२११

वन-गमन

२१४

केवटका प्रेम

२२२

श्रीराम-भाद्वाज-संवाद

२२५

श्रीराम-वाल्मीकि-संवाद

२३२

चित्रकूट-निवास

२३५

दशरथ-मरण

२४५

भरत-कौसल्या-संवाद

२४८

भरतका चित्रकूटके लिये

प्रस्थान

२५७

भरत-भरद्वाज-संवाद

२६५

राम- भरत-मिलन

२८०

जनकजीका आगमन

२९३

श्रीराम-भरत-संवाद

३०४

भरतजीकी विदाई

३१२

नन्दिग्राममें निवास

३१५

अरण्यकाण्ड

मंगलाचरण

३११

जयन्तकी कुटिलता

३२०

श्रीसीता-अनसूया-मिलन

३२२

सुतीक्ष्णजीका प्रेम

३२५

पंचवटी-निवास

३२८

खर-दूषण-वध

३३४

मारीच-प्रसंग

३३६

सीताहरण

३३८

शबरीपर कृपा

३४३

किष्किन्धाकाण्ड

मंगलाचरण

३५१

श्रीराम-हनुमान्-भेंट

३५२

बालि-वध

३५६

सीताजीकी खोजके लिये बंदरोंका प्रस्थान

३६३

हनुमान्-जाम्बवन्त-संवाद

३६६

सुन्दरकाण्ड

मंगलाचरण

३६१

लङ्कामें प्रवेश

३७१

सीता-हनुमान्-संवाद

३७५

लङ्का-दहन

३८१

श्रीराम-हनुमान्-संवाद

३८३

लङ्काके लिये प्रस्थान

३८५

विभीषणकी शरणागति

३९०

समुद्रपर कोप

३९५

लङ्काकाण्ड

मंगलाचरण

३९१

सेतुबन्ध

४००

अंगद-रावण-संवाद

४०९

लक्ष्मण-मेघनाद-युद्ध

४२६

श्रीरामकी प्रलाप-लीला

४२१

कुम्भकर्ण-वध

४३४

मेघनाद-वध

४३८

राम-रावण-युद्ध

४४६

रावण-वध

४५६

सीताजीकी अग्नि- परीक्षा

४६०

अवधके लिये प्रस्थान

४६७

उत्तराकाण्ड

मंगलाचरण

४७१

भरत-हनुमान्-मिलन

४७२

भरत-मिलाप

४७५

रामराज्याभिषेक

४७८

श्रीरामजीका प्रजाको उपदेश

४९४

गरुड़- भुशुण्डि-संवाद

५०३

काकभुशुण्डि-लोमश-संवाद

५२१

ज्ञान-भक्ति-निरूपण

५३२

रामायणजीकी आरती

५४४

 

 

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