स्वभाव से बेहद संकोची और बड़बोलेपन से दूर, भीष्म साहनी जी (8 अगस्त, 1915--11 जुलाई, 2003) ने कभी-कभार ही अपने बारे में कुछ कहा या लिखा था। लेकिन जीवन के अंतिम चरण में प्रकाशित आज के अतीत (आत्मकथा) से उनके जीवन के संघर्ष, रचना- संकल्प और युगीन संदर्भों की प्रामाणिक जानकारी मिलती है। इसमें उन्होंने अपने बाल्यकाल की स्मृतियों से लेकर आरंभिक शिक्षा-दीक्षा, सामाजिक परिवेश, पारिवारिक संस्कार, देश विभाजन एवं विस्थापन, जीविका की तलाश आदि का उल्लेख किया है। साथ ही, जीवन से अर्जित अनुभव और लेखनारंभ और उसकी पाठकीय स्वीकृति से लेकर जीवन के प्रमुख पड़ावों एवं प्रस्थानों को उन्होंने बड़ी सहजता और प्रामाणिकता से उकेरा।
लाहौर विश्वविद्यालय से ही अंग्रेज़ी साहित्य में एम.ए. करने के बाद भीष्म साहनी अंबाला, अमृतसर और फिर दिल्ली चले आए। बाद में वे यहाँ के दिल्ली कॉलेज में अंग्रेज़ी के अध्यापन कार्य से जुड़ गए। इस बीच एक कथाकार के नाते भी वे स्थापित हो गए थे। कोई सात साल तक विदेशी भाषा प्रकाशन गृह, मॉस्को में अनुवादक भी रहे। वहाँ से लौटने के बाद वे ढाई वर्ष तक 'नई कहानियाँ' पत्रिका के मानसेवी संपादक भी रहे।
भीष्म जी के मन में न केवल रंगमंच के लिए बल्कि जनसाधारण के लिए समर्पित 'इप्टा' (इंडियन पीपुल्स थिएटर एसोसिएशन) की भूमिका का बड़ा सम्मान रहा। आज के अतीत में देश-विभाजन, स्वाधीनता एवं विस्थापन की त्रासदी का अनुभवजन्य यथार्थपरक वर्णन करते हुए वे 'इप्टा' के बारे में लिखते हैं-
"इप्टा को लोग आज भी बड़ी श्रद्धा से याद करते हैं, इसलिए कि वह देशव्यापी भावनाओं, आकांक्षाओं को वाणी देता था; जनता ही उसके केंद्र में थी, वह बड़ी स्पष्ट, प्रेरणाप्रद भाषा में उन आकांक्षाओं एवं उद्गारों को व्यक्त करता था। कला के स्तर पर वह न केवल लोक कला की परंपराओं से जुड़ता था, उन्हें अपनाता था, बल्कि उस कला को वर्तमान और भविष्य की अपेक्षाओं के अनुरूप ढालता भी था, वह भविष्योन्मुखी था, नए-नए प्रयोग करता था। जनसाधारण के दिल की बात करता था और उनके दिल तक पहुँचता था। उसकी कलाकृतियों में नए-नए प्रयोग हो रहे थे, उनमें एक विशेष रचनात्मक ओजस्विता पाई जाती थी।"
इप्टा से जुड़कर भीष्म साहनी को अपनी सर्जनात्मक सार्थकता का बोध हुआ, जो उस परिस्थिति विशेष में उन्हें आंतरिक संबल प्रदान करता था। वस्तुतः किसी भी साहित्यिक- सांस्कृतिक आंदोलन की सार्थकता इस बात में निहित होती है कि वह जनता को एक सूत्र में बाँधने तथा उसके जीवन संघर्ष में कितनी सकारात्मक भूमिका निभाता है।
For privacy concerns, please view our Privacy Policy
Hindu ( हिंदू धर्म ) (12482)
Tantra ( तन्त्र ) (984)
Vedas ( वेद ) (704)
Ayurveda ( आयुर्वेद ) (1883)
Chaukhamba | चौखंबा (3347)
Jyotish ( ज्योतिष ) (1441)
Yoga ( योग ) (1091)
Ramayana ( रामायण ) (1393)
Gita Press ( गीता प्रेस ) (731)
Sahitya ( साहित्य ) (23010)
History ( इतिहास ) (8215)
Philosophy ( दर्शन ) (3320)
Santvani ( सन्त वाणी ) (2536)
Vedanta ( वेदांत ) (121)
Send as free online greeting card
Email a Friend
Manage Wishlist