एक्युप्रेशर (प्राण पद्धति) - Acupressure (Pran Paddhati)

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Publisher: Popular Book Depot
Author: डी. पीयूष त्रिवेदी (Dr. Piyush Trivedi)
Language: Hindi
Edition: 2014
ISBN: 9788186098998
Pages: 200 (Throughout B/W Illustrations )
Cover: Paperback
Other Details 8.5 inch X 5.5 inch
Weight 320 gm
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Book Description

जीवन परिचय

डी. पीयूष त्रिवेदी

 

डी. पीयूष त्रिवेदी जुलाई, व 1970 में राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले के ग्राम कुण्डेरा में एक चिकित्सक परिवार से पुष्पित पल्लवित होकर सन् 1995 में आयुर्वेद स्नातक उपाधिकारी हुए, परन्तु पारिवारिक शचि एंव पिताश्री की आतुरों के प्रति निरन्तर सेवाभाव से प्रेरित होकर निःशुल्क चिकित्सा खोज में अल्पायु से ही जुट गए थे ।

 

जहां चाह वहां राह की पूर्णता में एक्यूप्रेशरकी 1991 व 1994-95 में विभिन्न उपाधियों से विभूषित हो जन-जन की एक्यूप्रेशर विधि से समाजसेवी संस्थाओं के माध्यम से निरन्तर सेवा करते रहे हैं और लाखों मानवों को राहत दिलवाते रहे हैं ।

 

विभिन्न राष्ट्रीय पत्र-पत्रकाओं में प्रकाशित ज्ञानवर्धक लेखों के धनी लेखक ने एक्यूप्रेशर की यह पुष्पविज्ञ पुस्तक पाठकों के लिए लिखी है । इस पुस्तक का अंग्रेजी संस्करण भी उपलब्ध है ।

 

डॉ. पीयूष त्रिवेदी सैकड़ों निःशुल्क? चिकित्सा शिविर लगा चुके हैं । उसमें अधिकतर स्लिप डिस्क रोगी हैं, जिनका उपचार अन्य पद्धतियों में असाध्य है । डी. त्रिवेदी और उनकी संस्था ने ऐसे रोगियों पर परीक्षण व अपने अनुभव से सफल उपचार किया है । ऐसे रोगी को ज्यादा से ज्यादा21 दिन तक एक्यूप्रेशर की पद्धति से उपचार कराना होता है, इससे लाभ मिलता है । राजस्थान में कोई भी अन्य ऐसी संस्था नहीं है जो इस रोग के इलाज में सफल हुई है । डॉ. त्रिवेदी अब तक लगभग लाखों लोगों का उपचार कर चुके हैं, जो अपने आप में एक रिकार्ड है ।

 

डी. त्रिवेदी ने लेखन के साथ-साथ एक्यूप्रेशर पद्धति का परिष्कृत रूप कर इसे माइक्रो एक्यूप्रेशर नाम से नई दिशा दी है । डी. पीयूष त्रिवेदी जयपुर समारोह में राज्यपाल द्वारा सम्मानित किए जा चुके हैं । इसके अलावा गुणीजन-2000 में और अन्य समाजसेवा समितियों द्वारा कई बार सम्मानित किए जा चुके हैं । भारत देश के एक्यूप्रेशर शिरोमणि? सम्मान से आप सम्मानित है । डॉ. त्रिवेदी जार से भी सम्मान प्राप्त हैं ।

 

वर्तमान में डी. त्रिवेदी अपनी सेवाएं श्री धन्वन्तरि औषधालय जौहरी बाजार, एवं टाटीवाला ट्रस्ट, सरम संकुल एवं राजस्थान विश्वविद्यालय में विगत कई वर्षों से दे रहे हैं ।

 

आमुख

 

चिकित्सा विज्ञान में बढ़ती हुई चिकित्सा राशि एवं रोगियों की अत्याल्पदेय क्षमता रोगियों को जीवन पर्यन्त असह्य कष्ट एवं मर्मान्तक पीड़ा सहन करनी पड़ रही है । इन्हीं रोगियों की आर्थिक विपन्नता को ध्यान में रख मूल्य रहित, वैज्ञानिक, सुलभ चिकित्सा करने के उद्देश्य से विगत कई वर्षों से एक्यूप्रेशर चिकित्सा पद्धति के माध्यम से लाखों रोगियों की चिकित्सा उनके मुख पर दृष्टिगत शांति एव सहजता की भावना से प्रेरित हो, इस सरल, सहज ज्ञान को जन-जन में जन कल्याणार्थउपलब्ध करवाने के लिए मेरेआतुरों, साथियों एवं विशेष रूप से पी.एन अग्रवाल,पापुलर बुक डिपो के निरन्तर आग्रह एवम् दबाव के कारण इस पुस्तक का लेखन कार्य आरंभ किया गया ।

 

पूरी पुस्तक में 22 मुख्य विषयों में विभिन्न शारीरिक रोगों की व्याख्या करते हुए उनके तात्कालिक निदान एव चिकित्सा का सचित्र वर्णन किया गया है ।

 

एक्यूप्रेशर रोग निदान तथा उपचार की पूर्णत: वैज्ञानिक विधि है, जिसमें शरीर के विभिन्न स्थलों पर विशेष रूप से दबाव देकर उन मर्मों को उत्तेजित कर जीवन क्य को सुचारू रूप से चलाया जाता है, मर्मों पर दबाब डालने से ऊर्जा एव शक्ति ने परिवर्तन-परिवर्धन होता है जिससे आतुरों में रोग शमन होता है । यह ज्ञान भारतीय दर्शन में आदिकाल से विद्यमान था, समय के साथ चीन, जापान, कोरिया, रूस आदि देशों में इस विलुप्त प्राण पद्धति का लान एक्यूप्रेशर के नाम से विकसित हुआ है, जो आज चरम सीमा की ओर पहुँच रहा है । अभी भी वैज्ञानिकों एवं चिकित्सकों में इस विषय की सैद्धांतिक एव प्रायोगिक ज्ञान का अधिक प्रचलन नहीं है, साथ ही प्रकाशित पुस्तकों में रोगों के कारण, लक्षण, चिकित्सा एव उपाय का यथोचित वर्णन भी सुलभता से उपलब्ध नहीं है ।

 

प्रकाशित पुस्तक में शरीर के अंगों, हथेलियों, तलवों आदि पर पाये जाने वाले विभिन्न मास्टर पाईंट, मास्टर लॉक, तत्सम रोग एव इसके प्रभाव में सामंजस्य का एक्यूप्रेशर प्राण-पद्धति । अभाव है । इसी दृष्टि से इस पुस्तक में यह प्रयास किया गया है कि उपरोक्त सभी खामियों का निवारण करते हुए पाठकों को सहज, सरल प्रायोगिक ज्ञान उपलब्ध हो सके । साथ ही साथ प्रथम दृष्टया रोग की सम्पूर्ण जानकारी एवं चिकित्सा बिन्दुओं का भी ज्ञान सुलभ कराने का प्रयास किया गया है ।

ग्रथ के सुन्दर आकर्षक मुद्रण, रूप सज्जा तथा अल्प मूल्य में पाठकों कोउपलब्ध करवाने के लिए प्रकाशक एव मुद्रक का सदैव ऋणी रहूँगा । ग्रंथ की पाण्डुलिपि तैयार करने में मेरे पथ प्रदर्शक डी. मोहन शंकर दशोरा एवं मित्रों का इसमें पूर्ण सहयोग मिला । इनका भी मैं सदैव ऋणी रहूँगा ।

पुस्तक लेखन के समय अनेक अपरिहार्य समस्याएं, व्यवधान एवं कठिनाइयाँ निरन्तर आती रही हैं, परन्तु इन सब परिस्थितियों में मेरे माता-पिता मेरे प्रेरणा स्त्रोत बने रहे एव यह पुस्तक उन्हीं की कृपा का प्रसाद है ।

 

विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं, पुस्तकों एवं ग्रंथों से ली गई प्रत्यक्ष एव परोक्ष सहायता के लिए मैं उन सभी का चिर ऋणी रहूँगा एव मनसा कर्मण वाचा उनका साधुवाद करता हूँ ।

 

गायत्री शक्तिपीठ, शांतिकुंज हरिद्वार के तत्वावधान में तथा अन्य समाजसेवीसंस्थाओं के माध्यम से लगाये गए चिकित्सा शिविर एवं उनमें अनेक रोगियों की नि: शुल्व? चिकित्सा भी मेरे मार्गदर्शन का प्रमुख स्त्रोत रही है । मैं उन सभी का आभारी हूँ ।

 

मुझे विश्वास है कि यह पुस्तक पाठकों को अपना मानस परिवर्तन करएक्यूप्रेशर विधि द्वारा विभिन्न रोगों से त्रस्त मानवता को मुक्ति दिलाने में मदद करेगी । ' लेखन में त्रुटियाँ अवश्यंभावी होगी, विज्ञपाठक त्रुटियों से मुझे अवगत कराकर मेरा, ज्ञानवर्धन करेंगे एव मैं यह प्रयास करूगा कि सभी त्रुटियाँ अगले अक में सुधार सकूँ ।

 

विषय-संख्या

1

माइक्रो एक्यूप्रेशर थैरेपी शरीर में कैसे कार्य करती है?

1

2

प्रकृति और शरीर

6

3

प्राण शाक्त का परिचय

9

4

विभिन्न दर्द में एक्यूप्रेशर द्वारा उपचार.

30

5

पाचन तंत्र के मुख्य रोग एवं उपचार

46

 

पाचन तत्र के तेग एंव चिकित्सा

6

मुँह तथा गले के मुख्य रोग एवं उपचार

65

7

उत्सर्जन तन्त्र के मुख्य रोग एवं उपचार

75

8

आँखों के मुख्य रोग एवं उपचार

82

9

कान के मुख्य रोग एवं उपचार

87

10

नाक के मुख्य रोग एवं उपचार

91

11

नाड़ी संस्थान के मुख्य रोग एवं उपचार

96

12

पुरुष जननेन्द्रिय के रोग एवं उपचार

104

13

स्त्री जननांग के रोग एवं उपचार

108

14

श्वसन तंत्र, रोग एवं उपचार

113

15

त्वचा के मुख्य रोग एवं उपचार

123

16

रुधिर परिसंचारक तन्त्र के रोग एवं उपचार

127

17

विभिन्न रोगों में एक्यूप्रेशर चिकित्सा

133

18

नि: स्रोत या अन्त:स्रावी ग्रन्थियाँ

171

19

एक्यूप्रेशर में प्रयुक्त्त होने वाले उपयोगी उपकरण

181

20

आहार चिकित्सा परामर्श

186

 

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