संगीतकार शांति का दूत होता है। संगीत किसी मजहब या राष्ट्र से बंधा नहीं होता, बल्कि हर मजहब तथा राष्ट्र को संगीत की जरूरत होती है। आज जब चारों ओर भय, हिंसा व तनाव का वातावरण व्याप्त है, तो विश्व शांति खतरे में पड़ गई है। हर छोटे- बड़े देशों में परमाणु बम बनाने की होड़ मची हुई है। हर कोई कहता है कि परमाणु विस्फोट अपनी सुरक्षा के लिए कर रहा है। लेकिन जब यही खतरनाक हथियार यदि आतंकियों के हाथों में आ गए तो सोचने वाली बात है कि वे विस्फोट किसके लिए करेंगे ?
इन हथियारों पर लगाम कसने के लिए कई तरह के राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय कायदे-कानून बने हुए हैं, लेकिन सब निष्प्रभावी प्रतीत हो रहे हैं। सभी राष्ट्रों के प्रमुखों को मिलकर इन्हें नष्ट करने के प्रयास करने चाहिए। परन्तु ऐसा संभव प्रतीत नहीं होता। ऐसे में संगीतकारों की भूमिका और भी अहम हो जाती है। संगीत में वह शक्ति होती है, जो लोगों की मानसिकता बदल सकती है। संगीत के द्वारा आत्मा को महात्मा में बदला जाना कोई बड़ी बात नहीं, लेकिन इसके लिए दृढ़ संकल्प और कठिन साधना की जरूरत है। कई बार देखा है! कैदियों के लिए संगीत में कार्यक्रम आयोजित होते हैं, संगीत की शाम में सराबोर निर्दयी क़ैदी या हत्या के जुर्म में सजा काट रहे व्यक्ति का हृदय पिघल जाता है, उसकी आंखों से आंसू टपकने लगते हैं और वह अपने पाप कर्म का पश्चाताप करता हुआ दृष्टिगोचर प्रतीत होता है।
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