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अन्तहीन- Antheen (Bhojpuri Sortha Hazara)

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Item Code: HBB380
Author: Chaudhary Kanhaiya Prasad Singh 'Aarohi'
Publisher: Satyam Publishing House, New Delhi
Language: Bhojpuri
Edition: 2024
ISBN: 9789389043969
Pages: 479
Cover: HARDCOVER
Other Details 8.5x6 inch
Weight 700 gm
Fully insured
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100% Made in India
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23 years in business
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Book Description

संपादकीय

विद्वान लोग के एह विषय में एके राम था कि साहित्य एगो भाषिक कला हऽ। ओकर आपन व्यक्तित्व के गठन-बनावट आ बिनावट होला। संगे संग ओकर आपन संवेदना के सँसार आ सरोकार होला, संकल्पो आपन अलगे होला। साहित्य के आपन परंपरा से हासिल अनुभव, सामाजिक आ सांस्कृतिक संस्कार आ प्रकृति होले। ईहे कारन बा कि दुनियाभर के भसन में साहित्य के बढ़ती आ विकास कतना-कतना भेवता, उखड़-खाबड़ राह, तिरिछा-बाँक चुनौती आ उलट-पलट के चश्मदीद गवाह बनल बा। साहित्य के एह गवाही में कविता के हिंसदारी बढ़ि चढ़ि के रहल वा। कविता हमेशा जिनिगी के तलासत रहल बिया आ जिनिगियो कविता के खोजबीन में बेचैन रहल बिया। परस्पर एक-दोसरा के ढूँढ़े के बेचैनी से कविता आ जिनिगी दूनों में माटी के सोन्ह गमक आ खेत-खरिहान के बाग-बगइचा के, फसल-फुलवारी के, नहर- नारा के, नदिन के किनारा के, गंगा-सरजू के कगार आ क छार के फूलन के गमगमात महक कवितन में करमोवा गइल बा। कविता अपना आँखी से जीवन के निहारे ले, जीवन के जरावत आगि के गौर से देखेले, उस धीव के संगे संग चन्दन के लकड़ी के सुगन्ध के पी के आहिस्ते आहिस्ते राख में बदलतो देखि के कविता के आँखि में, पलक-पपनी में स्फटिक अइसन लोर भरि जाला। कविता आदमी के अल्हड सपना के पालन करे ले, विरासत के पोसन करे ले। अतने ना, कविता के कोखी में उबड़-खाबड़ राह के ठोकर, पहाड़ के पीरा, आकास के हौसला आ दउगे फाने के हिम्मत के बीज अंकुरत रहेला। लेकिन ई सबकुछ संभव तब होला जब कविता छन्द के लूगा-झूला पहिरि के राग- पराग से, अलंकार-बार के सजाके रस के ईत्तर, भाव-अनुभाव के हाथ में मेंहदी आ पैर में आलता लगा के तइयार हो जाले। काहे कि कविता आ छन्द के रिश्तेदारी पुरान हऽ, धनाही पुश्तैनी हऽ । छन्द के बिना कविता में लय गयता, एकतानता, तरलता-तरावट के कल्पना ना कइल जा सके। वेदन के रिचा मध्यकालीन कवियन के काव्य-पाठ आ वर्तमान के मंचीय कवियन के मिलत वाहवाही के रेशमी मुरेठा छन्दे के माथे बन्हाई छन्द-मुक्त कविता के साँचा अपना गतिशील संचार के चलते अटूट खमीरी मादकता सुनेवाला के सिर प सवार हो जाला।

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