पुस्तक के विषय में
उर्दू की बेहतरीन ग़ज़लें
जहाँ तक ग़ज़ल का सम्बन्ध है, वह भी भारत में सार्वभाषिक विधा के रूप में विकसित हो रही है। आज ग़ज़ल के पाठक उर्दू से कहीं अधिक हिन्दी में हैं। ग़ालिब को ही लें, अब तक उनके दीवान की हिन्दी में अनेक टीकाएँ लिखी जा चुकी हैं और लिखी जा रही हैं। शायद ही हिन्दी का कोई कवि होगा, जिसने ग़ालिब का अध्ययन न किया हो, मीर को न पढ़ा हो, ज़ौक का नाम न सुना हो। हिन्दी में पचास के दशक में प्रकाश पंडित के सम्पादन में उर्दू शायरों की एक श्रृंखला प्रकाशित हुई थी, जिसने हिन्दी के आम पाठकों का ध्यान खींचा था और देखते ही देखते उसके अनेक संस्करण प्रकाशित हो गये। आज हिन्दी के लगभग समस्त प्रकाशकों ने ग़ज़लों के संकलन प्रकाशित किये हैं जो पाठकों में खूब लोकप्रिय हैं। अक्सर कुछ उच्चभ्रू लोग यह कह कर ग़ज़ल से पल्ला झाडू लेते हैं कि ग़ज़ल हुस्नो इश्क़ पर केन्द्रित एक रोमांटिक विधा है; जबकि सचाई यह नहीं है। ग़ज़ल की रवायत ही कुछ ऐसी है कि हर बात, वह चाहे कितनी भी गहरी क्यों न हो, प्रिय या प्रियतम के माध्यम से ही कही जाती है। यह ग़ज़ल की सीमा भी है और शक्ति भी। यह शायर की प्रतिभा पर निर्भर करता है कि वह किस युक्ति से हुस्न और इश्क़ की सीमा में रहते हुए उसमें जिन्दगी के रंग भरता है और फ़लसफ़े हयात की बात करता है, जीवन और मृत्यु के दर्शन को समझने की कोशिश करता है :
अब तो घबरा के ये कहते हैं कि मर जाएँगे
मर के भी चैन न पाया तो किधर जाएँगे
जटिल रहस्यवादी चिन्तन को सहज सरल ढंग से अभिव्यक्त करना ग़ज़ल में ही सम्भव है।
कुछ लोग ग़ज़ल के विन्यास को देखते हुए उस पर शब्द क्रीड़ा का भी आरोप लगाते हैं, मगर यह उन कवियों के लिए कहा जा सकता है, जो ग़ज़ल के नाम पर शब्दों के साथ खेलते हैं और शब्द क्रीड़ा को ही अपनी उपलब्धि मान लेते हैं। ऐसे कवियों की संख्या भी कम नहीं है। ग़ज़ल में ही क्यों, शब्दों की बाज़ीगिरी किसी भी विधा में दिखाई जा सकती है। बड़ा शायर उसी को माना गया है, जो बहर, काफ़िए और रदीफ़ के अनुशासन के भीतर रह कर सिर्फ़ भाषा के चमत्कार दिखाने में ही नहीं रम जाता, बल्कि आम आदमी के संघर्षों, उम्मीदों, निराशाओं, सपनों को वाणी देता है । धीरे-धीरे ग़ज़ल ने संगीत के क्षेत्र में भी अपने लिए जगह महफूज कर ली। कुछ गायक ग़ज़ल का हाथ थाम कर लोकप्रियता के शिखर तक पहुँचे । बेग़म अख्तर, मेहदी हसन, गुलाम अली और जगजीत सिंह ग़ज़ल गायकी के जगमगाते सितारे हैं।
यह पुस्तक ग़ज़ल का ऐसा संकलन है जिसमें आपको उस्तादों के कलाम भी पढ़ने को मिलेंगे और ग़ज़ल के शुरुआती दौर से अब तक के सफर का एक जायजा भी मिल जाएगा। इसके लिए हमारा यह प्रयास कहाँ तक सफल रहा है, यह तो पाठक ही बताएँगे।
भूमिका
गज़ल उर्दू की एक लोकप्रिय साहित्यिक विधा है । पूछा जा सकता है कि अचानक यह गज़ल विशेषाक क्यों प्रकाशित किया जा रहा है, इसका औचित्य क्या है? वस्तुत साहित्य की किसी भी विधापर किक भाषा या देश का एकाधिकार नहीं होता। आज के कथा साहित्य का अवलोकन करें तो हम पाएगें, उस पर भी कई भाषाओं और कई देशें। का प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष प्रभाव है । आज हिन्दी कहानी का वह रूप नहीं है जो हितोपदेश अथवा कथा सरित्सागर का था। आज कहानी में कई अन्य भाषाओं के कथाकारों की प्रतिध्वनियाँ सुनी वा सकती हैं । किसी भी देश या भाषा की कहानी हो, उस पर चेखव, मोपासाँ, ओ हेनरी हेमिग्वे सामरसेट मॉम, काफ़्ता दास्तोएवस्की, मटो, शरच्चन्द्र. प्रेमचन्द, लू-शुन की प्रतिध्वनियाँ सुनी जा सकती हँ । जहाँ तक गज़ल का सम्बन्ध है, वह भी भारत में सार्वभाषिक विधा के रूप में विकसित हो रही है आज गज़ल के पाठक उर्दू से कहीं अधिक हिन्दी में हैं। गालिब को ही लें, अब तक उनके दीवान की हिन्दी में अनेक टीकाएं लिखी जा चुकी हैं और लिखी जा रही हैं। शायद ही हिन्दी का कोई कवि होगा, जिसने गालिब का अध्ययन न किया हो, मीर को न पड़ा हो, ज़ौक का नाम न सुना हो। हिन्दी में पचास के दशक में प्रकाश पंडित के सम्पादन में उर्दू शायरों की एक शृंखला प्रकाशित हुई थी जिसने हिन्दी के आम पाठकों का ध्यान खींचा था और देखते ही देखते उसके अनेक संस्करण प्रकाशित हो गये।आज हिन्दी के लगभग समस्त प्रकाशकों ने गज़लों के संकलन प्रकाशित किये हैंजो पाठकों में खूब लोकप्रिय है। अक्सर लोग यह कह कर गजल से पल्ला झाड लेते हैं कि गज़ल हुस्नों इश्कपर केन्द्रित एक रोमांटिक विधा है, जबकि सचाई यह नहीं है। गजल की रवायत ही कुछ ऐसी है कि हर बात, वह चाहे कितनी भी गहरी क्यो न हो प्रिय या प्रियतम के माध्यम से ही कही जाती है। यह गज़ल की सीमा भी है और शक्ति भी। यह शायर की प्रतिभा पर निर्भर करता है कि वह किस युक्ति से हुस और इश्क्र की सीमा में रहते हुए उसमे जिन्दगी के रग भरता हे और फ़लसफ़े हयात की बात करता है, जीवन और मृत्यु के दर्शन को समझने की कोशिश करता है :
जटिल रहस्यवादी चिन्तन को सहज सरल ढंग से अभिव्यक्त करना ग़ज़ल में ही सम्भव है ।
कुछ लोग ग़ज़ल के विन्यास को देखते हुए उस पर शब्द क्रीड़ा का भी आरोप लगाते हैं, मगर यह उन कवियों के लिए कहा जा सकता है, जो ग़ज़ल के नाम पर शब्दों के साथ खेलते हैं और शब्द क्रीड़ा को ही अपनी उपलब्धि मान लेते हैं । ऐसे कवियों की संख्या भी कम नहीं है । ग़ज़ल में ही क्यों, शब्दों की बाज़ीगिरी किसी भी विधा में दिखाई जा सकती है । बड़ा शायर उसी को माना गया है, जो बहर, काफ़िए और रदीफ़ के अनुशासन के भीतर रह कर सिर्फ़ भाषा के चमत्कार दिखाने में ही नहीं रम जाता, बल्कि आम आदमी के संघर्षों, उम्मीदों, निराशाओं, सपनों को वाणी देता है। धीरे-धीरे ग़ज़ल ने संगीत के क्षेत्र में भी अपने लिए जगह महफूज कर ली। कुछ गायक ग़ज़ल का हाथ थाम कर लोकप्रियता के शिखर तक पहुँचे । बेग़म अख्तर, मेहदी हसन, गुलाम अली और जगजीत सिंह ग़ज़ल गायकी के जगमगाते सितारे हैं ।
यह पुस्तक ग़ज़ल का ऐसा संकलन है जिसमें आपको उस्तादों के कलाम भी पढ़ने को मिलेंगे और ग़ज़ल के शुरुआती दौर से अब तक के सफर का एक जायजा भी मिल जाएगा । इसके लिए हमारा यह प्रयास कहाँ तक सफल रहा है, यह तो पाठक ही बताएँगे ।
अनुक्रम
1
अमीर ख़ुसरो
9
2
मुहम्मद कुली 'कुतुब' शाह
10
3
शम्मुद्दीन वली दकनी
11
4
मो. रफी सौदा
12
5
सिराज औरंगाबादी
13
6
ख्वाजा मीर दर्द
14
7
मीर मुहम्मद तक़ी 'मीर'
15
8
शैख गुलाम हम्दानी 'मुसहफ़ी'
17
सय्यद ईशा अल्लाह खाँ 'ईशा'
18
इमामबख़्श नासिख
19
बहादुर शाह जफर
20
ख्वाजा हैदर अली 'आतिश'
21
शेख इब्राहीम ज़ौक़
22
मिज़8असद-उल्लाह खाँ 'ग़ालिब'
23
मोमिन खाँ 'मोमिन'
26
16
नवाब मिर्ज़ा खाँ 'दाग़' देहलवी
28
मौलाना अलाफ़ हुसैन हाली
30
अकबर इलाहाबादी
31
अल्लामा मुहम्मद इक़बाल
32
शौकत अली खाँ 'फ़ानी' बदायूँनी
33
सैयद फ़ज़लुल हसन 'हसरत मोहानी'
34
ब्रजनारायण 'चकबस्त'
36
'यास', 'यगान: ' चंगेज़ी, अज़ीमाबादी
37
24
जिगर मुरादाबादी
38
25
'फिराक़' गोरखपुरी
39
शब्बीर हसन ख़ाँ जोश मलीहाबादी
40
27
बिस्मिल अज़ीमाबादी
42
हफ़ीज़ जालन्धरी
43
29
आनन्द नारायण मुल्ला
44
जमील मज़हरी
45
मख़्दूम मोहिउद्दीन
47
असरारुल हक़ 'मजाज़' लखनवी
49
खुमार बराबंकवी
50
नजीर बनारसी
52
35
नुशूर वाहिदी
53
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
55
मीराजी
58
अली सरदार जाफ़री
59
जांनिसार अख्तर
60
एहसान दानिश
61
41
अहमद नदीम क़ासमी
62
शकील बदायूँनी
64
जगन्नाथ आज़ाद
65
मज़रूह सुलानपुरी
66
कैफ़ी आज़मी
67
46
क़तील शिफ़ाई
70
साहिर लुधियानवी
72
48
नासिर काज़मी
73
कृष्य बिहारी 'नूर'
75
कलीम आजिज़
76
51
नरेश कुमार 'शाद'
77
राही मासूम रज़ा
78
इने इंशा
79
54
कुँवर महेन्द्र सिंह बेदी 'सहर'
80
मज़हर इमाम
81
56
मुनीर नियाज़ी
83
57
गुलज़ार
84
जॉन एलिया
87
अहमद फ़राज़
89
मनचन्दा 'बानी'
92
फ़ज़ल ताबिश
95
कृष्ण कुमार 'तूर'
96
63
शकेब जलाली
98
सुदर्शन फ़ाकिर
101
बशीर बद्र
103
शहरयार
105
मुज़फ़्फर हनफ़ी
108
68
नाज़िर सिद्दीक़ी
109
69
निदा फाज़ली
111
ज़हीर ग़ाज़ीपुरी
113
71
वसीम बरेलवी
114
जावेद अख़्तर
117
अमीर आग़ा क़ज़लबाश
119
74
अज़हर इनायती
121
शुजाम्-ख़ावर
122
शाहिद मीर
123
परवीन शाकिर
124
राहत इन्दौरी
126
मुनव्वर राना
128
नवाज देवबन्दी
130
शकील जमाली
131
82
अख्तर नज़्मी
132
कृष्ण अदीब
135
क़ैसर-उल-जाफ़री
137
85
प्रेम बारबर्टनी
140
86
कुमार 'पाशी'
141
राज इलाहाबादी
142
88
क़मी जलालाबादी
143
शमीम जयपुरी
144
90
145
91
शीन काफ़ निज़ाम
146
अहमद कमाल हाश्मी
149
93
शम्मी शम्स वारसी
150
94
सदा अम्बालवी
151
Hindu (हिंदू धर्म) (12615)
Tantra ( तन्त्र ) (1014)
Vedas ( वेद ) (706)
Ayurveda (आयुर्वेद) (1903)
Chaukhamba | चौखंबा (3353)
Jyotish (ज्योतिष) (1458)
Yoga (योग) (1101)
Ramayana (रामायण) (1388)
Gita Press (गीता प्रेस) (731)
Sahitya (साहित्य) (23148)
History (इतिहास) (8260)
Philosophy (दर्शन) (3396)
Santvani (सन्त वाणी) (2591)
Vedanta ( वेदांत ) (120)
Send as free online greeting card
Email a Friend
Manage Wishlist