Look Inside

भारतीय सिनेमा का शताब्दी वर्ष पहचान और प्रतिरोध: Bharatiya Cinema Ka Shatabdi Varsh Pahchan Aur Pratirodh

FREE Delivery
$27
$36
(25% off)
Quantity
Delivery Usually ships in 10 days
Item Code: HBD667
Author: Edited By Vandana Jha
Publisher: Pratishruti Prakashan, Kolkata
Language: Hindi
Edition: 2016
ISBN: 9789383772483
Pages: 247
Cover: HARDCOVER
Other Details 9x6 inch
Weight 422 gm
Book Description
भूमिका

भारतीय सिनेमा की शताब्दी यात्रा

सिनेमा का चिंतन एक ऐसे परिप्रेक्ष्य का चिंतन है, जिसमें कल्पना, फंतासी और यथार्थ का सम्मिश्रण है। निश्चित रूप से कलात्मकता एवं सृजनात्मकता इसके औजार हैं। चित्र, छवि तथा रूप को माध्यम बनाकर सिनेमा ने परिवेश और समाज के निर्माण में सकारात्मक भूमिका निभाई है।

1913 से 2013 तक भारतीय सिनेमा की यात्रा विभिन्न सोपानों से होकर गुजरी। देश परतंत्र था, सिनेमा ने स्वच्छन्द चेतना की अलख जगाई। जब राष्ट्र पराधीनता की दुर्दमनीय स्थिति से साक्षात्कार कर रहा था भारतीय सिनेमा आदर्श, उपदेश, धर्म का अंकन कर लोगों में जीने की चाह बनाये रखने का प्रयास कर रहा था। भारतीय सिनेमा अपनी उपस्थिति से भारतीय संस्कृति के रूपक को धार देना चाह रहा था। उपनिवेशवाद, साम्राज्यवाद, स्वतंत्रता, जिजीविषा का समन्वित रूप बनकर भारतीय सिनेमा ने नये लोक में प्रवेश किया।

आस्वाद का संस्कार कर और संस्कार को आधुनिकता के साँचे में ढाल कर भारतीय सिनेमा ने विभिन्न वादों को अपने तरीके से प्रस्तुत किया। विश्व- बंधुत्व, मानवता, धर्म, संस्कृति इसके मूल अंकन में रहे रहे तो तो यथार्थवाद, उत्तर आधुनिकता, लोकप्रिय संस्कृति ने उसे मनोरंजन का सस्ता माध्यम बना दिया। भारत के दृढ़ चारित्रिक मानस को सेक्स, हिंसा और खुलेपन की चाशनी में लपेटकर कई बिंबों में प्रकट किया गया। सरहदों को तोड़ सिनेमा एशियाई संस्कृति का संस्करण वन वैश्विक पटल पर उभरा और उसने अपनी छवि का निर्माण किया। जहाँ हॉलीवुड की फिल्में कॉफी टेबल से शुरू होकर, स्नूकर और विलियर्ड के बोर्ड पर ऊँचाई पाती थी और सिगरेट के कुछ छल्लों से होते हुए बंदूकों की आवाज के साथ समाप्त हो जाती थी वहाँ भारतीय सिनेमा मूल्यों की छटपटाहट का, भारतीयता की खोज का प्रयास करता रहा।

धर्म, अध्यात्म, उपदेश, मूल्य जैसे विषय भारतीय सिनेमा के प्रारंभिक विषय रहे क्योंकि जनमानस विदेशी प्रभुत्व के मध्य अपनी देशजता के साथ आत्मबल को बनाए रखने वाली औषधि की तलाश में था।

Frequently Asked Questions
  • Q. What locations do you deliver to ?
    A. Exotic India delivers orders to all countries having diplomatic relations with India.
  • Q. Do you offer free shipping ?
    A. Exotic India offers free shipping on all orders of value of $30 USD or more.
  • Q. Can I return the book?
    A. All returns must be postmarked within seven (7) days of the delivery date. All returned items must be in new and unused condition, with all original tags and labels attached. To know more please view our return policy
  • Q. Do you offer express shipping ?
    A. Yes, we do have a chargeable express shipping facility available. You can select express shipping while checking out on the website.
  • Q. I accidentally entered wrong delivery address, can I change the address ?
    A. Delivery addresses can only be changed only incase the order has not been shipped yet. Incase of an address change, you can reach us at [email protected]
  • Q. How do I track my order ?
    A. You can track your orders simply entering your order number through here or through your past orders if you are signed in on the website.
  • Q. How can I cancel an order ?
    A. An order can only be cancelled if it has not been shipped. To cancel an order, kindly reach out to us through [email protected].
Add a review
Have A Question

For privacy concerns, please view our Privacy Policy

Book Categories