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सर्जना और आलोचना- Creation and Criticism

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Item Code: HAF418
Author: Chandradev Yadav
Publisher: HANS PRAKASHAN, DELHI
Language: Hindi
Edition: 2024
ISBN: 9788196995133
Pages: 269
Cover: HARDCOVER
Other Details 9x6 inch
Weight 440 gm
Fully insured
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100% Made in India
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23 years in business
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Book Description
पुस्तक परिचय

एक लेखक के लिए रचना और मानवीय कर्म व्यवहार का संतुलन असंभव सा है, तिस पर रचना उत्कृष्ट कोटि की हो तो कहना ही क्या! हर अंतरे और पाई में उसे वास्तविक जीवन की गहरी पीड़ा का अनुभव होता रहता है। किन्तु यह पीड़ा प्रेमचंद को हलकू, और परिवर्तित हलकू से प्रेमचंद बना देती है। रचनाकार का यही आंतरिक द्वन्द्व है और इसी से आजीवन लड़ता रहता है। 'सर्जना और आलोचना' उसी लड़ने, जनने और जीने का परिणाम है। रचना की जनतांत्रिकता या अ-जनतांत्रिकता का सवाल रचना के रूप-विन्यास या केवल अर्थ-निष्पत्ति से है, बल्कि यह उस विचार और सम्प्रेषणीयता का परिचायक है, जिसमें रचनात्मक व्यक्तित्व का ताना-बाना विन्यस्त होता है। लेखक का सामंती आदर्श टूटता है और जनतांत्रिक आदर्श की निर्मिति होती है। इसके लिए कई बार हमारे आसपास के अनुभवलोक से कहीं अधिक रूपात्मक, कल्पातीत संसार प्रभावित होने लगता है। इसका अर्थ यह नहीं है कि रचनाकार सृजनलोक में पूर्ण जनतांत्रिक होता है, बल्कि हमें यह समझना चाहिए कि वह अपने अनुभवलोक, अपने समाज के विघटनकारी मूल्यों, खोखले आदशों और सामंतीबोध में कितना कम हुआ है। इस मानदंड का आधार समकाल की जरूरतें, उसका आदर्श होता है न कि अतीत के मूल्य, परम्पराएँ। ये परम्पराएँ तब तक मूल्यवान होती हैं, जब तक उसका जनतांत्रिक अर्थ, उसकी उपयोगिता बनी रहती है। कवि-समाज अनुपयोगी मूल्यों की जगह विकसनशील मूल्यों का नवसृजन करता रहता है। इसी नवसृजन से समाज को नवीन दिशा मिलती है। उससे रंग भी मिलता है, रूप भी, संज्ञाएँ भी, लय भी।

लेखक परिचय

चन्द्रदेव यादव 1 अगस्त, 1962 को गाजीपुर के विक्रमपुर नामक गाँव में जन्म। प्रारंभिक शिक्षा गाँव में। उदय प्रताप कॉलेज, वाराणसी से 1985 में हिन्दी साहित्य में एम.ए. तदुपरांत 1995 में जामिया मिल्लिया इस्लामिया (केन्द्रीय विश्वविद्यालय), नई दिल्ली से पीएच.डी.।

लेखन की शुरुआत गीत और कहानी-लेखन से। हिन्दी और भोजपुरी में रचनात्मक और आलोचनात्मक लेखन। पत्रकारिता पर दो पुस्तकें प्रकाशित । विभिन्न राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मंचों से हिन्दी और भोजपुरी भाषा तथा साहित्य से संबंधित बौद्धिक और रचनात्मक कायक्रमों में भागीदारी।

प्रकाशित कृतियाँ

कविता संग्रह : देस-राग, माटी क वरतन (भोजपुरी), गाँवनामा, पिता का शोकगीत (हिन्दी)। जीवन का उत्सव और राग-रंग प्रकाशन के क्रम में।

आलोचना : आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी की आलोचना-दृष्टि, छायावाद के आलोचक, हिन्दी के प्रारंभिक उपन्यासों की भाषा, लोक-समाज और संस्कृति, विद्यापति समय से संवाद, छायावाद की आलोचना ।

पत्रकारिता : हिन्दी पत्रकारिता स्वरूप और संरचना, शब्द-बोध।

संपादन : अब्दुल बिस्मिल्लाह का कथा-साहित्य, भारतीय मुसलमान सामाजिक और आर्थिक विकास की समस्याएं, मध्यकालीन कविता ।

प्रौढ़ साक्षरों के लिए इंसानियत, समझदारी (कहानी पुस्तिकाएँ) इनके अतिरिक्त अनेक जन-जागरूकतापरक नुक्कड़ नाटकों की रचना।

सम्मान: 2001 में अखिल भारतीय भोजपुरी परिषद्, लखनऊ, उ.प्र. द्वारा भोजपुरी भास्कर सम्मान सम्प्रति : जामिया मिल्लिया इस्लामिया, नई दिल्ली के हिन्दी विभाग में हिन्दी साहित्य और मीडिया-लेखन का अध्यापन।


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