आहार चिकित्सा: Cure Through Food

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Item Code: NZA961
Publisher: Popular Book Depot
Author: डॉ. राजकुमारी गुप्ता (Dr. Rajkumari Gupta)
Language: Hindi
Edition: 2013
ISBN: 9788186098004
Pages: 226
Cover: Hardcover
Other Details 8.5 inch X 5.5 inch
Weight 300 gm
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Book Description

पुस्तक के विषय में

अपक्व-पक्व आहार का इतिहास

आदिकाल में मनुष्य प्रकृति की गोद में रहता था। नीले आकाश के तले धरती पर सोता था। प्रकृति-प्रदत्त कैद, मूल, फल या पत्ते खाकर भी नीरोगी व दीर्घजीवी था। इन प्राकृतिक वस्तुओं से शक्ति प्राप्त करके वह इतना ऊर्जावान एवं सशक्त था कि जंगली जानवरों से तथा सर्दी, गर्मी, बरसात से मुकाबला क्यके अपनी व परिवार की रक्षा करता था।

वैदिक युग में भारतवासियों में दिन को कच्चा व रात्रि को पक्का आहार करने की परम्परा थी। कच्चे भोजन में अंगूर, अनार. खरबूजा, तरबूज, पपीता. गाजर, मूली, चुकंदर, ककड़ी, खीरा, बेर, लौकी, पता गोभी आदि बिना पकाये प्राकृतिक दशा में ही ग्रहण किये जाते थे। कच्चे पेय पदार्थ गन्ना चूसना, नारियल पानी, शहद, धारोष्ण दूध, पानी आदि लेते थे। रात्रि में पक्व भोजन लिया जाता था । जो अन्न सूर्य-रश्मियों से पक जाते थे उनको अंकुरित क्यके खाते थे, जैसे- -गेहूँ मूंग, मोठ, चना, दालें, मूंगफली आदि। यह कच्चा व पक्का आहार बिना पकाये प्राकृतिक अवस्था में ही खाया जाता था। स्वादलीलुपों ने कच्चे भोजन को दाल रोटी, चावल तथा पक्के भोजन को पूरी कचौरी, खीर, मालपुआ, पकाई गई हरी सब्जियाँ आदि में परिवर्तित क्यके भोजन के स्वरूप को बिगाड़कर स्वास्थ्य का सर्वनाश कर डाला।

कैद मूल, फल, अंकुर नीके।

दिये आनि मुनि मनहुँ अमी के ।।

(अयोध्या काण्ड 106/2)

रामचरित मानस में कैद मूल खाने का वर्णन है। शबरी ने भी रामचन्द्र जी की आवभगत बेर से ही की थी। रामचन्द्र जी ने चौदह वर्ष कैद मूल ही खाये तथा प्राकृतिक आहार खाने वाली अपनी वानरों की सेना द्वारा रावण पर विजय प्राप्त की थी।

अग्नि के आविष्कार से पहले मानव अपक्व आहार का ही सेवन करता था। परन्तु अग्नि की खोज के पश्चात् मानव ने धीरे- धीरे भोजन को पकाना शुरू कर दिया। मध्यकाल में भारत पर विदेशी आक्रमणों से यहाँ के प्राकृतिक जीवन, प्राकृतिक चिकित्सा तथा प्राकृतिक आहार पर बड़ा आघात हुआ । आइन ए अकबरी के अनुसार पालक का साग, बिरयानी, खिचड़ी, पुलाव, समोसा तन्दूरी चपाती, कुक्की, फलूदा, बरफ बनाने के स्थानीय तरीके मुगलों की देन हैं। पुर्तगालियों के आगमन के साथ भारतीय आहार में बहुत ज्यादा बदलाव आया। वे अपने साथ लाल व काली मिर्चें, राजमा, काजू आलू टमाटर, तम्बाकू, छेने की मिठाई आदि लेकर आये। अब आहार पकाने के साध-साथ मिर्च मसाले युक्त हो गया।

मध्य एशियाई लोग ज्वार, बाजरा, लोबिया तथा रोटियाँ बनाने की अनेक विधियाँ लेकर आये। भारतीय व्यंजनों पर चीन का प्रभाव भी है। लीची, शहतूत, कपूर, सोयाबीन तथा चाय इन्हीं की देन है। भारत में कॉफी अरब से आई। सेब का आगमन ब्रिटेन से हुआ। फूलगोभी, पत्तागोभी अमेरिका से आया। अमेरिका की देन विषैले खाद्य, फास्ट फूड जैसे पिज्जा, बरगर, फ्रेंच नूडल्स, ब्रेड, बिस्कुट, पेस्ट्री, केक तथा कोका कोला आदि ने हमारे पारम्परिक खान-पान को हमेशा के लिए परिवर्तित कर दिया इनमें स्वाद की तीव्रता तो है पर स्वास्थ्य की दृष्टि से ये अत्यन्त हानिकारक हैं।

हमें अपनी प्रकृति व परिवेश को समझ लेना चाहिये। प्राकृतिक आहार लेने से धन, श्रम, समय व खाद्य की बचत होगी। बाहरी रासायनिक तत्वों की मिलावट का भय भी नहीं रहेगा। प्राकृतिक आहार को चबाने से दाँत, दाढ़ स्वस्थ रहेंगे। साथ ही हम भी नीरोगी, फुर्तीले, सबल और पुष्ट रहेंगे! किन्तु युग गुजर गये हमें पक्व भोजन करते हुए, अब पूर्ण अपक्वाहार असम्भव जान पड़ता है।

 

अनुक्रमणिका

1

कच्चा-पक्का अन्न

1

2

अपक्वाहार-पक्व-आहार

3

3

आहार

5

4

युक्त आहार

7

5

सात्तिवक, राजसिक, तामसिक, आहार

8

6

क्षारीय, एवं श्लेष्मिक तत्व

9

7

आहार के प्रमुख अंग

11

8

संतुलित आहार

26

9

खाद्य पदार्थो का पाचन (कब, कहाँ और कैसे,)

28

10

बेमेल भोजन

31

11

आदर्श मेल भोजन

35

12

एकाहार एवं कल्प चिकित्सा

36

13

कैलोरी सिद्धान्त-एक भ्रम

37

14

अधिक आहार के कुप्रभाव

39

15

मादक द्रव्यों का कुप्रभाव

40

16

भोजन-प्रदूषण

54

17

तरल पदार्थो का प्रयोग

56

18

फल व सब्जियाँ

65

19

भोजन कब और कैसे खाये?

67

20

श्रम का महत्व

70

21

विश्राम का महत्व

71

22

आहार का मन पर प्रभाव

72

23

आहार ही औषधि है

74

24

जीवनी शक्ति

75

25

शाकाहारी क्यों माँसाहारी क्यों नहीं?

78

26

रोग और उसके कारण (तीव्र रोग 84 जीर्ण रोग 84)

83

27

रक्त ही जीवन है

86

28

आहार का चुनाव मध्य मार्ग

87

29

आहार सम्बन्धी कुछ अनमोल बातें

88

30

फलों का महत्व

91

31

शाक-सब्जियों का महत्व

109

32

रोगानुसार आहार

126

33

बच्चों के रोग व उपचार

188

34

निर्धारित आहार तालिकायें (आ.ता.)

190

35

विभिन्न खाद्य पर्दार्थों में खनिज तत्व, रेखा, और ऊर्जा

210-215

36

प्रश्न आपके उत्तर हमारे

216-217

37

अनकही समझना

218

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