पुस्तक के विषय में
इस पुस्तक कि जितनी प्रशंसा कि जाये वह कम है | जिस प्रकार एक छोटे बच्चे को उंगली पकड़ कर चलना सिखाया जाता है उसी प्रकार इसमें गुरुदेव ने ध्यान के नवाभ्यासी को ध्यान करना सिखाया है | धारणा और ध्यान कंसंट्रेशन एण्ड मैडिटेशन का हिन्दी रूपान्तरण है | अंग्रेजी में इसके अभी तक ११ संस्करण निकल चुके है | यह पुस्तक गुरुदेव ने ध्यान जैसे गूढ़ विषय पर लिखी है और इसमें उन्होंने ध्यान को अत्यंत सरल तरीके से समझाया है | पूर्व कल में ध्यान को प्रत्यक्ष गुरु के निर्देशन में ही सीखा जाता था किन्तु गुरुदेव ने इसे पुस्तक के रूप में प्रस्तुत करके जिज्ञासुओं के लिए मार्ग आसान कर दिया है | इस पुस्तक को पढ़ने के बाद पाठक स्वयं ही ध्यान करके आत्मसाक्षात्कार कर सकता है | साथ ही साथ आभा मण्डल (अौरा) के बारे में और उसका विकास किस प्रकार किया जाये यह भी बताया है | गुरुदेव कहते है कि आभा मण्डल के विकास से आप अन्यो के विचारो और रोगो तथा विरोधी बलों के आक्रमण से सुरक्षित रह सकते है |
जिज्ञासु और योगभ्यासियो के लिए इस पुस्तक में दिया हुआ ज्ञान अति उपयोगी है आवश्यक है |
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