नम्र निवेदन
भाईजी श्रीहनुमानप्रसादजी पोद्दारके लेखोंका एक और सुन्दर संग्रह आपकी सेवामें प्रस्तुत किया जा रहा है। ये लेख समय-समयपर 'कल्याण'में प्रकाशित हुए हैं । इस संग्रहमें कतिपय स्फुट विषयोंके साथ-साथ आध्यात्मिक साधन-सम्बन्धी अतिशय उपादेय ठोस सामग्रीका भी समावेश हुआ है। व्यक्तिके जीवनका प्रभाव सर्वोपरि होता है और वह अमोघ होता है। श्रीभाईजी अध्यात्म-साधनकी उस परमोच्च स्थितिमें पहुँच गये थे, जहाँ पहुँचे हुए व्यक्तिके जीवनसे जगत्का, परमार्थके पथपर बढ़ते हुए जिज्ञासुओं एवं साधकोंका मङ्गल होता है। हमारा विश्वास है कि जो व्यक्ति इन लेखोंको मननपूर्वक पढ़ेंगे एवं अपने जीवनमें उन बातोंको उतारनेका प्रयत्न करेगे, उनको व्यवहार एवं परमार्थमें निश्चय ही विशेष सफलता प्राप्त होगी।
विषयानुक्रमणिका
1
भारतीय वर्ण-धर्मका स्वरूप और महत्व
2
क्या हम बुद्धिमान् हैं ?
8
3
अध्यात्मप्रधान भारतीय संस्कृति
14
4
भोगवाद और आत्मवाद
25
5
जनतन्त्र या असुरतन्त्र
36
6
जनतन्त्रकी रक्षा कैसे हो?
43
7
परमधाम
46
कौन कर्मबन्धनसे मुक्त होते तथा स्वर्गको जाते हैं
49
9
धृतिका स्वरूप
53
10
परस्वापहरण-त्याग या अस्तेय - धर्म
56
11
सेवाका स्वरूप
61
12
श्रीमद्धगवद्गीतामें मानवका त्रिविध स्वरूप और साधन
67
13
मेरी प्रत्येक चेष्टा भगवान्की सेवा है
71
वैष्णवताका स्वरूप
72
15
गीतामें भगवान्के स्वरूप, परलोक पुनर्जन्म तथा भगवत्पाप्तिका वर्णन
87
16
पति-पत्नी (तथा सब) के लिये हितकर अठारह अमृत-संदेश
112
17
भोजन-शुद्धि
115
18
मांस अंडेका भोजन और चमडेका व्यवहार तुरंत त्याग करें
117
19
पुराणोंमें दिव्य उपदेश
120
20
खान-पानमें भयानक अशुद्धि
124
21
भोजन एक पवित्र यज्ञ है
129
22
मांसाहारका तथा गोमांसका घृणित प्रचार
131
23
पनतकारी सिनेमा और गंदे पोस्टरोंका घोर विरोध परमावश्यक
134
24
अहिंसा परम धर्म और मांसभक्षण महापाप
137
अशोक होटलमें गोमास
150
26
ब्रह्मवैवर्तपुराणके श्रीकृष्ण
151
27
श्रीमद्धागवतकी महत्ता
168
28
योगवासिष्ठका साध्य-साधन
189
29
शिवपुराणमें शिवका स्वरूप
200
30
शिवतत्त्व और शैवोपासना
232
31
पुरुषोत्तम-मासके कर्तव्य
239
32
सत्कथाका महत्व
242
33
भगवान् बुद्धदेव और उनका सिद्धान्त
259
34
बदला लेने या देनेवाले सात प्रकारके पुत्र
275
35
गयापिण्ड सभीको दीजिये
276
अन्य धर्मावलम्बी भी सद्गतिके लिये गया-पिण्ड चाहते हैं
277
37
प्रारब्ध नहीं बदल सकता
278
38
कर्म रहते जीवकी मुक्ति नहीं
279
39
मरनेके समय रोगी क्या करे?
280
40
अच्छी संतानके लिये क्या करे?
281
41
मृतात्माका आवाहन क्या सत्य है?
282
42
मृत्युके बाद क्या किया जाय?
283
श्राद्धकी अनिवार्य आवश्यकता
284
44
वैरसे भयानक दुर्गति
286
45
सुपुत्रके लक्षण तथा उसकी प्राप्तिका उपाय
287
'हरि: शरणम् ' मन्त्रसे महामारी भाग गयी
295
47
पापोंके अनुसार नारकीय गति
298
48
एंटीबायोटिक दवाओंके कारखाने रोगनाशके लिये या विस्तारके लिये?
311
महामना मालवीयजीके कुछ संस्मरण
314
50
चोखी सीख
319
51
हिंदू साधु-संन्यासियोंका नियन्त्रण
320
52
स्त्रियोंके लिये चार आवश्यक नियम
323
दोष देखना दोष है
325
54
दहेजका बढा हुआ पाप
326
55
जर्मन विद्वान्का हिंदी और भारतीय संस्कृतिसे प्रेम
328
समझने -सीखनेकी चीज
330
57
रेशमी कपडा अपवित्र क्यों है?
334
58
दो मित्रोंका आदर्श प्रेम
335
59
गुरुजीका उपदेश
339
60
माँ- बेटेकी बातचीत
342
क्या मत करो और क्या करो
346
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