शक्तिपात एक आध्यात्मिक विज्ञान है, जिसके द्वारा साधक के लिए के लिए अलौकिक आनंद की प्राप्ति तथा माया-निवृत्ति का मार्ग प्रशस्त हो जाता है! ऋषिकालीन या विज्ञान, कभी प्रकट तो कभी अप्रकट, आज तक अनवरत चला आ रहा है! हर सम्प्रदाय, साधन-पध्दति तथा सिध्दांत में विभिन्न नामों से, किसी न किसी रूप में इसका प्रचलन रही है!,सच पूछा जाये तो आध्यात्मिक उत्थान के लिए शक्ति की जागृति अनिवार्य आवश्यकता है, जो की शक्तिपात का विषय है! ब्रह्मलीन स्वामी विष्णु तीर्थ महाराज शक्तिपात के महान आचार्य हो गए है जिन्होंने शास्त्रों में यत्र तत्र फैले, इस विज्ञान के एकत्रित कर, पुस्तकाकार, शूटर रूप में लिपिबद्ध किया है अर्थात इस विज्ञान को अनुशासित कर दिया है! श्री स्वामीजी महाराज का साधकों पर या महान उपकार है! शक्तिपात के उन्हीं सूत्रों की यहाँ सरल तथा रोचक दांत से, व्याख्या करने का प्रयत्न किया गया है ताकि साधक वर्ग सूत्रों में छुपे रहस्यों से भली भांति अवगत हो सके! इसी बात को ध्यान में रखते हुए, पुस्तक की भाषा अत्यंत ही सरल राखी गयी है! पुस्तक, साधकों तथा विद्यानों दोनों के लिए सामान रूप से लाभकारी है!
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