दैवज्ञ शिरोमणि डॉ. भोजराज द्धिवेदी की यशस्वी लेखनी से रचित ज्योतिष, वास्तुशास्त्र, हस्तरेखा, अंक विघा, आकृति विघ्यां, यंत्र-तंत्र-मंत्र विज्ञान, कर्मकांड व पौरोहित पर लगभग 400 पुस्तकें, 3 ,००० से अधिक राष्ट्रीय महत्व की भविषयवाणियां, पूर्व प्रकाशित होकर समय चक्र के साथ-साथ चलकर सत्य प्रमाणित हो चुकी है जो ज्योतिष जगत् का एक गौरवपूर्ण कीर्तिमान है| डॉ. द्धिवेदी द्धारा लोगों के व्यक्तिगत जीवन हेतु की गई हजारों- लाखों भविषयवाणियां चमत्कारिक रूप से सत्य सिद्ध हुई है|
डॉ. द्धिवेदी द्धारा रचित पुस्तक 'पांव तले भविष्य ' हाथ की रेखाओं की भांति पांव की रेखाओं के माध्यम से भविष्य की जानकारी देती है| पादतल व पाद- रेखाओं को लेकर अलग से कोई रचना, साहित्य या ग्रंथ शायद ही प्रकाश में आया हो| अगर यह भी कहा जाए की पिछले हजारों वर्षो के अंतराल के पश्चात राष्ट्र भाषा हिन्दी की यह पहली कलम है जो इस विषय पर श्रमपूर्वक लिखने का प्रयास कर रही है तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी|
'भारत में पद-रेखाओं का विवरण''वाल्मीकि रामायण' से 'वाराही- संहिता' तक अनेक ग्रंथो में मिलता है| पांव- तले अंकित ये रेखाएं भूत और भविष्य का ऐसा लेखा है| जो ज्ञानी सहज ही पढ़ सकते है| 'पांव तले भविष्य' इसी ज्ञान एवं विज्ञान की एक सरल प्रस्तुति है|
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