पुस्तक के बारे में
"मनुष्य से गलती होती है और उसे क्षमा करना दिव्यता है" ये एक प्रसिद्ध कहावत है। अगर आप में कभी अपने अंदर की दिव्यता का बोध करने की इच्छा जागी है, तो आपको इधर-उधर भटकने की जरूरत नहीं है। दादा जे. पी. वासवानी की इस प्रभावशाली पुस्तक के पृष्ठों से आप क्षमाशीलता के जादू में निपुण होने के तरीके सीख सकते हैं।
क्षमाशीलता क्या है? हम किसी को क्षमा क्यों करें? किर तरह क्षमाशीलता हमें शक्ति देती है, हमें राहत देती है और अतीत को भुलाकर, हमें नया जीवन जीने में मदद करती है?
इन प्रश्नों व अन्य कई प्रश्नों के उत्तर इसमें दिए गए हैं। दादा जे.पी. वासवानी का मानव-स्वभाव का ज्ञान बड़ा गहरा है और साथ ही वे करुणाशील व तटस्थ हैं। वे हमें सिखाते हैं कि किस तरह शालीनता से क्षमा माँगनी चाहिए; किस तरह उदारता से क्षमा करना चाहिए, बिगड़े हुए रिश्तों को किस तरह फिर से बनाना चाहिए, बैर व कटुता को कैसे मिटाना चाहिए; और ज़रूरत पड़ने पर हमें स्वयं को कैसे क्षमा करना चाहिए; और सबसे बढ़कर किसी को क्षमा करके कैसे भूल जाना चाहिए।
विषय सूची
1
क्रोध से क्रोध समाप्त नहीं होता
7
2
हम क्षमा क्यों करें?
15
3
क्षमाशीलता क्या है?
24
4
क्षमाशीलता स्व-इच्छा का काम है
28
5
क्षमाशीलता दिव्यता है
36
6
क्षमाशीलता शक्ति है
39
क्षमाशीलता आपको स्वस्थ कर सकती है
42
8
अतीत को दफना दो
56
9
ईश्वर ने जो भुला दिया, उसे आप भी भुला दीजिए
61
10
दुःखदायी बातों को भूलना सीखें
65
11
क्षमाशीलता की चार अवस्थाएँ
67
12
शालीनता से क्षमा माँगना
71
13
रिश्तों को कायम रखना
75
14
क्षमाशीलता को व्यवहार में लाएँ
78
महान लोगों की साक्षी
80
16
व्यावहारिक सुझाव नं:1
89
17
व्यावहारिक सुझाव नं:2
94
18
व्यावहारिक सुझाव नं:3
101
19
व्यावहारिक सुझाव नं:4
106
20
व्यावहारिक सुझाव नं:5
111
21
व्यावहारिक सुझाव नं:6
116
22
व्यावहारिक सुझाव नं:7
124
23
व्यावहारिक सुझाव नं:8
129
व्यावहारिक सुझाव नं:9
132
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