भूमिका
किसी ज़माने में गज़ल की गायकी रईसों की हवेली और तवायफों के कोठों तक कैद थी, लेकिन जब संगीत के विविध पक्ष रेडियो और ग्रामोफोन रिकार्डों के माध्यम से आम जनता तक पहुँचने लगे, तो मनोरंजन का साधन संगीत दुनिया में तेजी से फैलने लगा ।
भारत में मुशायरों की परम्परा तो तभी से चल रही थी, जब से मुगल आए लेकिन सोलहवीं शताब्दी से गज़ल की ऐसी महफिलों का दौर भी शुरू हो गया जिसने गज़ल को संगीत का लिबास पहनाकर और खूबसूरत बना दिया । अनेक भारतीय तथा पाकिस्तानी गायकों ने गज़ल गायकी को तेजी से लोकप्रिय बनाया और ऐसी गज़लों का निर्माण होने लगा, जो संगीत की दृष्टि से मोहक तथा मार्मिक हों।
गज़ल गायकी के लम्बे सफर में जगजीत सिंह और उनकी गायिका पत्नी चित्रासिह ने जब पारम्परिक गज़ल गायकी से हटकर शास्त्रीय आधार पर अपनी गज़लों को प्रस्तुत किया, तो इस क्षेत्र में उनका स्थान बहुत ऊँचा उठ गया । शब्द और स्वरों के सच्चे लगाव तथा संगीत की बारीकियों को जगजीत चित्रासिंह ने बड़ी खूबसूरती से पेश किया । यही कारण था कि वे गज़ल गायकों की भीड़ में जल्दी ही शीर्ष स्थान पर पहुँच गए । आज गज़ल गायकी लोकप्रिय होने के साथ साथ समाज का एक ऐसा अग बन गई है, जिसे फैशन की तरह अधिक इस्तेमाल किया जाने लगा है। इसीलिए अब गजलें प्राय गीतनुमा गजलें बन गई हैं। हिन्दी उर्दू के इस मिलन को भाई बहिन का मिलन समझा जा सकता है। दो पंक्तियों में हृदय के भाव को स्पष्ट कर देना हिन्दी के दोहों और उर्दू के शेरों की ऐसी विशेषता है, जो संसार की किसी अन्य काव्य शैली में नही मिलती ।
स्वर और शब्द की अदायगी में जगजीत चित्रासिह की गाई हुई गजलें बेजोड़ हें। ऐसी गज़लों में से महत्त्वपूर्ण और लोकप्रिय गजलें चुनकर स्वरांकन सहित इस पुस्तक में प्रस्तुत की जा रही हैं। श्री देवकीनन्दन धवन ने परिश्रमपूर्वक इनका स्वरांकन किया है ताकि गायकों की अदायगी को हूबहू उतारा जा सके। ये अमर हैं और अमर रहेंगी, इसी आशा के साथ इनका प्रकाशन किया जा रहा है। प्रख्यात उर्दू शायर खुमार बाराबंकवी के अनुसार जब तक इंसान हँसना रोना जानता रहेगा, तबतक गज़ल भी जिन्दा रहेगी । हम उन सभी शायरों के प्रति कृतज्ञ हैं, जिनकी रचनाओं को इस पुस्तक में स्थान दिया गया है ।
अनुक्रम
1
हँसके बोला करो, बुलाया करो
2
शायद मैं जिन्दगी की सहर लेके आ गया
4
3
बाद मुद्दत उन्हें देखकर यूँ लगा
6
किया है प्यार जिसे हमने ज़िंदगी की तरह
9
5
सदमा तो है मुझे भी कि तुझसे जुदा हूँ मैं
11
परेशाँ रात सारी है, सितारो तुम तो सो जाओ
14
7
झूठी सच्ची आस पे जीना कब तक आखिर
17
8
ये करें और वो करें, ऐसा करें वैसा करें
19
हज़ारों खाहिशें ऐसी कि हर खाहिश पे दम निकले
22
10
० ये कैसी मुहब्बत कहीं के फसाने
25
दिल ही तो है न संगो खिश्त
29
12
आह को चाहिए इक उम्र असर होने तक
31
13
दिन गुजर गया एतबार में
34
पत्थर के खुदा पत्थर के सनम, पत्थर के ही इनसां पाए हैं
39
15
शायद आ जाएगा साकी को तरस, अबके बरस
42
16
एक पुराना मौसम लौटा याद भरी पुरवाई भी
46
तुमने दिल की बात कह दी आज ये अच्छा हुआ
48
18
शाम से आँख में नमी सी है
50
आँखों में जल रहा है क्यों बुझता नहीं धुआँ
54
20
कुछ न कुछ तो जरूर होना
61
21
हम तो यूँ अपनी जिन्दगी से मिले
64
मैंने दिल से कहा, ऐ दीवाने बता
69
23
अपने चेहरे से जो जाहिर है छुपाएँ कैसे
71
24
गुलशन की फकत फूलों से नहीं
73
मिलकर जुदा हुए तो न सोया करेंगे हम
76
26
धूप में निकलो घटाओं में नहा कर देखो
80
27
मौसम को इशारों से बुला क्यों नहीं लेते
84
28
खामोशी खुद अपनी सदा हो
86
अपने होठों पर सजाना चाहता हूँ
89
30
तुझसे मिलने की सजा देंगे तेरे शहर के लोग
93
इक ब्रराहमन ने कहा है कि ये साल अच्छा है
97
32
ये जो जिन्दगी की किताब है
100
33
कोई दोस्त है न रक़ीब है
102
सरकती जाए है रुख से नकाब आहिस्ता आहिस्ता
108
35
कल चौदवीं की रात थी, शब भर रहा चर्चा तेरा
36
जवानी के हीले हया के बहाने
113
37
या तो मिट जाइये या मिटा दीजिये
120
38
फोन कहता है मुहब्बत की जुबाँ होती है
126
जब किसी से कोई गिला रखना
132
40
० मैं भूल जाऊँ तुम्हें अब यही मुनासिब है
135
41
सुनते हैं कि मिल जाती है हर चीज़ दुआ से
139
बेसबब बात बढ़ाने की जरूरत क्या है
146
43
गरज बरस प्यासी धरती पर फिर पानी दे मौला
150
44
बहुत पहले से उन कदमों की आहट जान लेते हैं
153
45
आए हैं समझाने लोग
156
दुनिया जिसे कहते हैं जादू का खिलौना है
159
47
क् उम्र जलवों में बसर हो, ये जरूरी तो नहीं
164
बात निकलेगी तो फिर तलक जाएगी
171
49
मुँह की बात सुने हर दिल के दर्द को जाने कौन
174
तेरा चेहरा कितना सुहाना लगता है
177
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