इस वर्ष वैशाखी के पावन पर्व पर प्रेम नगर आश्रम, हरिद्वार में भक्त एवं श्रोता-समाज का एक अद्भुत समागम हुआ था। विशाल संख्या में उपस्थित उस जन-समूह के सम्मुख लगातार चार-पाँच घंटे के अपने धारा प्रवाह प्रवचन में श्री सतपाल जी महाराज ने दुर्लभ मानव जीवन की महत्ता, इसे सफल व कृतार्थ बनाने की आवश्यकता तथा धर्म के मूल आध्यात्मिक ज्ञान की व्याख्या बड़े ही सरल, स्पष्ट एवं सर्व साधारण के लिए बोधगम्य शब्दों में प्रस्तुत की थी।
वर्तमान समय में जब कि धार्मिक आस्थायें अपने जड़-मूल से डगमगा रही हैं और व्यक्ति के जीवन में धर्म से कोई प्रकाश व मार्ग दर्शन नहीं मिल रहा, बल्कि उल्टे उसमें भ्रान्ति और संशय की मात्रा अधिकाधिक व्याप्त होती जा रही है जिससे चत्र्दिक अशांति और अव्यवस्था फैलने के साथ-साथ मानवता का भविष्य ही अंधकारमय प्रतीत होने लगा है, ऐसी अंधकारमय घड़ी में श्री महाराज जी के वचन निश्चय रूप से आशा की एक किरण प्रस्तुत करते हैं और मानव-जीवन को एक सुनिश्चित दिशा प्रदान करते हैं। उन वचनों को पुस्तकाकार रूप देने का उद्देश्य यही है कि निराधार भटकती हुई मानवता को दिशा और संबल मिले और मनुष्य अपने जीवन को आत्म-कल्याण के मार्ग पर लगा सके।
आशा है हमारा यह प्रयास सफल होगा और प्रेमी पाठक इस पुस्तक से वांछित लाभ उठा सकेंगे।
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