लेखक के विषय में
डॉ. गणेश नारायण चौहान(सैनी)
शिवा होम्यो विशारद, वक्ष-रोग विशेषज्ञ; एम.ए. साहित्यरत्न, धर्मालंकार ।
पद:होम्योपैथ, राजस्थान विश्वविद्यालय होम्योपैथिक क्लिनिक, जयपुर। व्यस्त चिकित्सक, रोगियों की भीड़ से घिरे हुए होम्योपैथिक चिकित्सा में लीन। चिकित्सा विषयक 4 पुस्तकों के लेखक।
अभिरुचि:होम्योपैथिक एवं भोजन विषयों का अध्ययन, चिन्तन-मनन एवं अनुभव द्वारा सत्यान्वेषण, लेखन, भाषण, टी. वी. और रेडियो वार्तायें; दैनिक अखबारों, पत्र-पत्रिकाओं में स्वास्थ्य- प्रश्नोत्तर. लेख-प्रकाशन, आध्यात्मिक तत्त्व चर्चा, परोपकारी कार्यो में रुचि । लोग शुद्ध, सात्विक भोजन एवं सस्ती सर्वसुलभ होम्योपैथिक चिकित्सा से निरोग ही, इस कर्मक्षेत्र में निरन्तर क्रियाशील।
विशेषताएँ:रोगियों की चिकित्सा करके स्वस्थ होने पर सुखानुभव; सरल,सस्ती चिकित्सा उपलब्ध कराना, पुराने, असाध्य रोगों की बिना चीरफाड़ चिकित्सा करना; पेट, कमर, वक्ष(Chest) रोगों का अयिक अनुभव, प्राय. होने वाले सभी रोगों, नये एवं जटिल रोगों की दीर्घकाल से चिकित्सा करते हुए गहन अनुभवी, दूर रहने वाले रोगियों की पत्र-व्यवहार द्वारा चिकित्सा एवं परामर्श । अपने ज्ञान और अनुभव को दूसरों को बताना एवं चिकित्सा में रुचि रखने वालों का मार्गदर्शन करना । भारत में जगह-जगह कैम्प लगवा कर चिकित्सा करना ।
लेखकीय
"भोजन के द्वारा चिकित्सा भाग-एक" पाठकों में अति लोकप्रिय रही । इसके प्रकाशन के बाद भी मैं अपने रुचिक विषय'भोजन के द्वारा चिकित्सा' पर निरन्तर श्रम करता रहा । भोजन सम्बन्धी उपलब्ध देश-विदेश के साहित्य,नये अनुसंधानों,चिकित्सकों और परोपकारी व्यक्ति जो पेशेवर चिकित्सक नहीं होते हुए भी रोगियों की सेवा अपने अनुभूत नुस्खों से करते है, इन सब साधनों से प्राप्त सामग्री संचय कर नित्य मैंने चिकित्सा कार्य में रोगियों पर प्रयोग करके इस सामग्री की उपयोगिता का मूल्यांकन करता रहा ।
लोगों का घरेलू चिकित्सा में विश्वास है । बीमार होने पर आरम्भिक चिकित्सा तो जिस व्यक्ति का जैसा ज्ञान होता है, उसके अनुसार सभी अपने परिवार में करते है । जैसे देर रात में, जब प्राय: चिकित्सालय बन्द हो गये ही, डॉक्टर भी सो रहे ही, परिवार में किसी को अचानक क़ै,तेज बुखार,कोई भी रोग हो जाये तो स्वयं ही बर्फ,लौंग,सौंठ आदि कोई घरेलू चीज का प्रयोग सते है और प्रात: होने तक प्राय: बीमार ठीक हो जाता है । इस प्रकार चिकित्सा भी हो जाती है औरतेज दुप्रभावी ओपधियों के सेवन से बच कर अपने शरीर को निर्मल और स्वस्थ रख लेते है। मैंने यह देखा कि वहाँ सैकड़ों रुपयों की दवाइयों से रोग ठीक नहीं हुआ, वहाँ सस्ती घरेलू खान-पान की चीजों से लाभ हो गया ।
जब मैंने अध्ययन, चिन्तन,मनन के बाद खान-पान की चीजों से हुए आशातीत लाभ को देखा, अनुभव किया तो अन्त:करण में व्याप्त परोपकारी भावनायें उदे्वलित हो उठीं और जनता के स्वास्थ्यलाभ की कामना की बलवती इच्छा से अत्यन्त व्यस्त रहते हुए भी दैनिक दिनचर्या में से नित्य किसी तरह घण्टा, आधा घण्टा बचा कर उत्साह से भोज्य पदार्थों में व्याप्त ओषधियों के गुण लेखनीबद्ध हो गये। फलस्वरूप'भोजन के द्वारा चिकित्सा भाग-दो के रूप में यह पुस्तक बन गई। नित्य खाने में आने वाला हमारा भोजन ही हमारी प्राथमिक ओषधि है । जो कुछ अनुभव, ज्ञान हुआ उसका दिग्दर्शन मात्र यह पुस्तक है । परमात्मा की कृपा का ही यह प्रसाद है कि मेरी बुद्धि का उपयोग इस रचना में लग गया । रोग-निवारण शक्ति तो हमारे शरीर में है, आवश्यकता है रोगी की जीवन-शक्ति (Vital Force)बढाने की और इस जीवन-शक्ति के बढ़ाने में भोजन का उपयोग बहुत सहायक होता है । अत: प्राय: सभी रोगों से ग्रस्त रोगियों को भोजन के दारा चिकित्सा सफलता के साथ दी जा सकती है । चिकित्सा इतनी महँगी हो गई है कि हर दीन दु:खी चिकित्सा नहीं करा सकता । इस पुस्तक को पद कर अपनी चिकित्सा अपने आप कर सकते है।
दबा की शीशी पर'विष (Posion)छपा होता है । दवाइयां कड़वी.तीखी भी होती है, रुचिकर नहीं होती। बच्चे रो-रो कर ही दवा लेते है। यही नहीं दवा की गन्ध भी सहन नहीं होती। इन सब दोषों को दूरकरने के लिए "सुगन्ध चिकित्सा"नया अध्याय का समावेश किया है। घिर के स्थान पर स्वादिष्ट भोज्य पदाथों से अमृतमयी भोजन के द्वारा चिकित्सा शाश्वत उपलब्धि है। इसमें प्राय: सभी पाठों में नवीन सामग्री बढ़ाई है। इससे पुस्तक की उपयोगिता बढ़ गई है।
पुस्तक की माँग निरन्तर रहते हुए भी कुछ वर्ष पूर्व यह पुस्तक नहीं छप सकी । पूर्व प्रकाशक राजस्थान होम्यो स्टोर्स, ढढ्ढ़ा मार्केट, जौहरी बाजार, जयपुर प्रेस की असुविधाओं से नहीं छाप सके। अब 1998 में प्रकाशित यह संस्करण नये प्रकाशक एवं स्वास्थ्य-जगत को बहुमूल्य उपयोगी साहित्य देने वाले इण्डिया बुक हाउस, जयपुर द्वारा सुन्दर, सुसज्जित कलेवर में आपके हाथों में पहुँच रही है।
'भोजन के द्वारा चिकित्सा' पहले से ही प्रकाशित है। यह पुस्तक''भोजन के द्वारा चिकित्सा भाग-दो'' उसी के समान होते हुए भी पूर्ण विवेचन नया है, पुनर्आवृत्त्ति बिल्कुल नहीं है।' भोजन के द्वारा चिकित्सा' प्रकाशित होने के बाद नवीन सामग्री इतनी एकत्रित हो गई कि इसी का नाम' भोजन के द्वारा चिकित्सा भाग-दो'' रखा गया।
आशा है यह पुस्तक रोगी को आराम देने में सहायक होगी। सभी चिकित्सा पद्धतियों में, लगे चिकित्सकों के लिए भी सहायक होगी।
इस पुस्तक के विषय का सम्बन्ध हर व्यक्ति से है । यदि स्कूल और कॉलेजों के पुस्तकालयों में इस पुस्तक को रखा गया तो हमारी नव-पीढ़ी का स्वास्थ्य उत्तम होगा, जिससे राष्ट्र सुदृढ़ होगा । इस पुस्तक के प्रचार, प्रसार और ग्राह्यता में मिलने वाला आपका सहयोग मेरी शक्ति को द्वि-गुणित करता रहेगा और ऐसी रचनायें समाज को देता रहूँगा। परमात्मा की कृपा से इस पुस्तक को लाखों की संख्या में लोग पढ़ें। मेरे जीवन का उपयोग पाठकों की सेवा में लगा रहे, यही मेरी कामना है।
मैं मेरे सभी सहयोगियों, ग्रन्थकारों जिनसे सहायता ली है, प्रकाशक महोदय, जिस किसी से जो कुछ सहयोग और सहायता मिली है, सबका आभारी हूँ।
विषय-सूची
1
अखरोट
34
2
अगरबत्ती
103
3
अच्छी नींद के लिए जरूरी बातें
119
4
अजवाइन
52
5
अदरक
53
6
अनन्नास
7
अनार
8
अफीम
35
9
अमृत भोज
106
10
अमरूद
11
अरहर
31
12
असगंध
13
असाध्य रोगियों का उपचार
121
14
आकड़ा
64
15
आम
16
आलू
17
आँवला
18
इमली
19
इलायची
57
20
उपवास
128
21
एड़ियाँ
97
22
एरीबायोटिक्स
107
23
एरण्ड
24
अगर
25
अण्डों का सेवन हानिकारक
118
26
क्रोध से पाचन क्रिया विकृत
126
27
कच्ची सब्जियां और अंकुरित अत्र
110
28
कपूर
87
29
कर्मफल
127
30
करोंदा
कटिदार थूहर
65
32
काफी
98
33
कालीमिर्च
45
केन्सर
केला
36
केसर
43
37
खरबूजा
38
खीरा
39
खस
40
गन्ना
41
गर्मी के मौसम में दिनचर्या
42
ग्लिसरीन
86
गाजर
44
गुड़
गुलाब
102
46
गेहूँ
47
थी
79
48
घंटा-ध्वनि
124
49
घूमना
122
50
चना
51
चन्दन का तेल
101
चमेली
104
चयापचय
125
54
चाय
55
चावल
56
चिकित्सक
123
चिरोंजी
58
चीनी
59
चुकन्दर
60
चेहरे पर झुर्रियां
94
61
चेहरे पर दाग-पने
90
62
छाछ
78
63
छुहारा
जर्दा खाने वालों
111
जामुन
66
जायफल
67
जीरा
68
जौ
69
टमाटर
70
त्वचा का सौन्दर्य
96
71
तरबूज
72
तालमखाना
73
तिल
74
तुलसी
81
75
तेजपात
76
दर्द-निवारक ओषधियाँ
108
77
दही
दीर्घजीवी होने के उपाय
दूध
80
दौड़ना
धतूरा
82
धनिया
83
घूम्रपान
109
84
नमक
85
नागकेशर
नारियल
नारंगी
88
नींद
89
नींद में खर्राटे
नीबू
91
नीम
92
नेत्रों के लिए आराम
93
नेत्रों के लिए भोजन
प्याज
95
पतासे
पपीता
परवल
पान
99
पानी
100
पिस्ता
पीपल
पीपल वृक्ष
पेठा
पोदीना
105
फालसा
फिटकरी
फिनाइल
बबुआ
बर्फ
बाजरा
बाल
112
वील
113
बेर
114
बैगन
115
भाप-स्नान
116
भूख
117
मक्का
मक्खन
मकड़ी का जाला
120
मसूर
महावीर वाणी
माजूफल
मांसाहार
मानसिक भोजन
मालिश
मिट्टी का तेल
मिश्री
मुख-सौन्दर्य
129
मुनक्का
130
मुलहठी
131
मूँग
132
मूँगफली
133
मूली
134
मेथी
135
मेहँदी
136
मोगरा, मोतिया
137
मोच का तेल
138
मोटापा
139
मोतियाबिंद
140
मौसमी
141
राई
142
रेशेदार भोजन
143
लहसुन
144
लाल मिर्च
145
लौकी
146
लौंग
147
विशेष भोजन
148
वैसलीन
149
शक्कर
150
शकरकन्दी
151
शहतूत
152
शहद
153
शासीरिक सौन्दर्य
154
शाकाहार
155
शाकवालेपर्याप्त/अपर्याप्त आहार
156
शिशुओं का पौष्टिक भोजन
157
शंख
158
स्प्रिट
159
सब्ज मोतियाबिंद (ग्लूकोमा)
160
स्वस्थ रहने के लिये आवश्यक
161
स्वस्थ सन्तान
162
सत्यानाशी
163
सफेद गुलाब
164
सरसों का तेल
165
साबूदाना
166
सिंघाड़ा
167
सिरस
168
सुगंधित चिकित्सा
169
सुगंधों से याददाश्त तेज
170
सुपारी
171
सुहागा
172
सेम
173
सेव
174
सोडा
175
सोयाबीन
176
सौंफ
177
हर्र (हरीत की)
178
हरी मिर्च
179
हल्दी
180
हाथों का खुरदरापन
181
हींग
182
त्रिफला
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