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हिंदुओं के धर्मग्रन्थ (Hinduo ke Dharmagranth)

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Item Code: HAA130
Publisher: Hindology Books
Author: गोपालजी गुप्त: (Gopalji Gupt)
Language: Sanskrit Text and Hindi Translation
Edition: 2008
ISBN: 9788122310184
Pages: 239
Cover: Paperback
Other Details 8.5 inch X 5.5 inch
Weight 250 gm
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Book Description

हिंदुओं के धर्मग्रन्थ

 

इक्कीसवीं शताब्दी विभिन्न धर्म व संस्कृतियों के आपसी परिचय और मिलन का युग है । इस युग में जीवन की हताशा के कारण विभिन्न धर्म-दर्शनों के दृष्टिकोणों, संस्कारों व विचारों को देखने, जानने और समझने की प्रवृत्ति बढ़ी है ।

इण्टरनेट-संस्कृति के इस युग में व्यक्ति मानसिक, आत्मिक और वैचारिक शान्ति की खोज में धर्म, दर्शन और अध्यात्म की ओर देख रहा है ।

वर्तमान पीढ़ी भले ही कम्प्यूटर में प्रवीण हो रही है, किन्तु वह भी धर्म, दर्शन, संस्कृति और अध्यात्म से अनजान नहीं रहना चाहती तथा यह जानना चाहती है कि भारतीय धर्मग्रन्थों में क्या है, उसकी विषय-वस्तु क्या है, उसकी रचना किसने की आदि । इन जिज्ञासाओं का प्रामाणिक समाधान जरूरी है ।

प्रस्तुत पुस्तक ' हिंदुओं के धर्मग्रन्थ ' आधुनिक पीढ़ी के इन्हीं जिज्ञासाओं को शान्त करने की दिशा में एक प्रयास है । हिंदू धर्मग्रन्थ के मूल आधार वेद हैं, तत्पश्चात् ब्राह्मण, आरण्यक, उपनिषद्, पुराण आदि आते हैं । प्रस्तुत पुस्तक में ' हिंदू धर्मग्रन्थों ' के सम्बंध में रोचक, सारगर्भित जानकारी दी गयी है, जो आधुनिक पीढ़ी ही नहीं, सभी की जिज्ञासाओं का समाधान करेगी ।

गोपालजी गुप्त भारतीय रिजर्व बैंक से अधिकारी के रूप में सेवा-निवृत्ति के उपरान्त पूर्णतया रचनात्मक-लेखन में सक्रिय हैं । गोरखपुर विश्वविद्यालय से स्नातक, प्रयाग विश्वविद्यालय से वाणिज्य संकाय के परास्नातक, हिंदी साहित्य सम्मेलन (प्रयाग) से विशारद, भारतीय बैंकर्स संस्थान (मुम्बई) से सी०ए० आई० आई०बी० तथा बैंकिंग उन्मुख (हिंदी) परीक्षा उपाधिधारक गोपालजी गुप्त का हिंदी तथा अंग्रेजी पर समान-अधिकार है । उनके व्यंग्य, बाल-कथा, कहानी, ललित-निबंध, लघु-कथा, धर्म-दर्शन-अध्यात्म विषयों पर गम्भीर चिन्तन-पूर्ण लगभग 250 रचनाएं एवं लेखादि देश की विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं ।

गोपालजी गुप्त ने अनेक वर्षा तक साहित्य-जगत् की अनियतकालीन कथा-पत्रिका ' यथार्थ ' के सम्पादक मण्डल में अपना अमूल्य योगदान दिया है एवं श्रीकृष्ण के ऊपर एक आत्म-कथ्यात्मक लघु-उपन्यासिका ' युगपुरुष ' का सृजन भी किया है ।

 

अंदर के पृष्ठों में

मेरी बात

7

उपोद्धात (प्रस्तावना)

9

1

सृष्टि की धारणा और विकास

17

2

आधिभौतिक जगत् की त्रैलोक्य-व्यवस्था

25

3

वैदिकधर्म एवं ओम (ॐ) की महत्ता

32

4

संस्कार, पुरुषार्थ एवं वर्णाश्रम-व्यवस्था

36

5

वेद एवं वेद-स्वरूप निरूपण

45

6

वेदों के वर्ण्यविषय

53

7

ब्राह्मण, आरण्यक और उपनिषद्परिचय

63

8

वेदांग

73

9

स्मृतियां एवं उपांग

83

10

उपनिषदों का स्वरूप-निरूपण

101

11

पुराण-साहित्य

111

12

इतिहास-ग्रंथ

123

13

तन्त्र एवं आगम-साहित्य

139

14

ऋग्वेद

150

15

यजुर्वेद

156

16

सामवेद

164

17

अथर्ववेद

168

18

अन्य धर्म ग्रन्थादि

173

I.

पुराण-इतिहास

173

II.

धर्म-सूत्र

187

III.

नीतिग्रन्थ

194

IV.

तन्त्र-आगम

200

V.

योग एवं दर्शन

211

VI.

अन्य रामायण-ग्रन्थ

224

उपसंहार

229

परिशिष्ट-1

ब्रह्मा का आयुर्मान

231

परिशिष्ट-2

नासदीय सूक्त (सृष्टि प्रकरण)

235

परिशिष्ट-3

हिंदू धर्मग्रन्थों का विकास

238

 

**Contents and Sample Pages**










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