भूमि- भवन का क्रय या निर्माण आम आदमी के जीवन का सर्वाधिक महत्वपूर्ण पहलू है| वाहन भी आज के व्यस्त जीवन का एक अत्यधिक आवश्यक अंग बन गया है| मनुष्य का सारा धन, दौलत व ऐश्वर्य यश के सामने फीका पड़ जाता है| अगर जीवन में यश नहीं तो जीवन निस्सार हो जाता है| शास्त्रों में कहा है यश रूपी शारीर से जो जीवित है वे ही वास्तव में जीवित है| अपयश का जीवन तो मृत्यु से बढ़कर दारुण दुखदाई है| इस ईर्ष्यालु जगत में कोई बिरला भाग्यशाली व्यक्ति ही अपने विमल यश की कीर्ति-पताका-दिग्दिगंतर में फहरा सकता है| आपकी जन्मकुंडली में भू-भूमि-भवन-वाहन एवं कीर्ति का योग है या नहीं? है तो कितना विस्तृत है? उसकी सीमाएं क्या है? इन सभी तथ्यों का ज्योतिष योगों की दृष्टि से विवेचनात्मक विवेचन आप पहली बार इस पुस्तक के माध्यम से पढ पाएंगे |
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