आदर्श ऋषि मुनि: Ideal Sages

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Item Code: GPA134
Publisher: Gita Press, Gorakhpur
Language: Hindi
Edition: 2011
ISBN: 9788129307712
Pages: 64
Cover: Paperback
Other Details 8.0 inch x 5.5 inch
Weight 60 gm
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Book Description

आदर्श ऋषि मुनि

सनकादि कुमार

सृष्टिके आरम्भमें सब जल ही जल था । भगवान् नारायणकी नाभिसे निकले प्रकाशमय कमलपर ब्रह्माजी बैठे थे । बहुत लम्बी तपस्या करके उन्होंने भगवान् नारायणके दर्शन पाये थे । भगवान्ने उन्हें सृष्टि करनेका आदेश दिया था ।

ब्रह्माजीका मन भगवान्का दर्शन करके अत्यन्त सुद्ध हो गया था । उन्होंने शुद्ध सात्त्विक चित्तसे सृष्टिके लिये संकल्प किया। इससे चार कुमार उत्पन्न हुए। उनके नाम हैं सनक, सनन्दन, सनातन और सनत्कुमार । ब्रह्माजीने उनसे सृष्टि करनेको कहा । शुद्ध सत्त्वगुणसे उत्पन्न होनेके कारण उनका चित्त सुद्ध था । उनमें सृष्टि करनेकी इच्छा ही नहीं थी । जन्मसे ही वे परम विरक्त, ज्ञानी और भगवान्के भक्त थे । उन्होंने ब्रह्माजीसे कहा पिताजी! आप हमलोगोंको क्षमा करें । भगवान्का भजन करना ही परम लाभ है। भगवान्के भजनको छोड़कर एक क्षणके लिये भी दूसरे किसी काममें लगना महान् अनर्थ है । हमलोगोंको तो आप आशीर्वाद दीजियेकि हमारा मन भगवान्में ही सदा लगा रहे।

सनकादि चारों कुमार कभी शंकरजीके पास, कभी शेषजीके पास या कभी नर नारायणके पास जाकर भगवान्की कथा सुनते हैं। भगवान्का गुण सुनते सुनते उन्हें कभी तृप्ति नहीं होती । वे आपसमें भी भगवान्की ही चर्चा किया करते हैं और नित्य हरि शरणम्ं का जप करते रहते हैं ।

ये चारों कुमार सदा साथ रहते हैं । भजन और तपस्याके प्रभावसे ये सदा पाँच वर्षके बालक ही रहते हैं । बड़ी अवस्था होनेपर काम, लोभादि आक्रमण करते हैं, यह समझकर ये सदा बालकरूप ही बने रहते हैं ।

सनत्कुमार संहिता इनका उपदेश किया मुरव्य धर्म शास्त्र है । नारदजीको इन्होंने ही श्रीमद्भागवत की कथा सुनायी थी। इनके शापसे ही भगवानके पार्षद जय विजय तीन जन्मोंतक राक्षस योनिमें रहे । पहिले। जन्ममें वे हिरण्यकशिपु और हिरण्याक्ष थे, दूसरे जन्यमें रावण और कुम्भकर्ण हुए और तीसरे जन्ममें शिशुपाल और दन्तवक्त्र हुए ।

सनकादि कुमार नित्य सिद्ध हैं । वे वैसे तो सभी लोकोंमें धूमते रहते हैं; किंतु उनका मुरव्य धाम जनलोक है । वहाँ सदा भगवान्की कथा होती रहती है।

 

विषय सूची

1

सनकादि कुमार

5

2

सनकादि कुमारोंकी शिक्षा

7

3

देवर्षि नारद

8

4

देवर्षि नारदकी शिक्षा

11

5

महर्षि दधीचि

12

6

महर्षि दधीचिकी शिक्षा

14

7

महर्षि वसिष्ठ

15

8

महर्षि वसिष्ठकी शिक्षा

18

9

महर्षि विश्वामित्र

19

10

महर्षि विश्वामित्रकी शिक्षा

22

11

महर्षि मुद्रल

23

12

महर्षि मुद्रलकी शिक्षा

26

13

महर्षि वाल्मीकि

27

14

महर्षि वाल्मीकिकी शिक्षा

30

15

भगवान् वेदव्यास

31

16

भगवान् व्यासकी शिक्षा

33

17

श्रीशुकदेव

34

18

श्रीशुकदेवजीकी शिक्षा

37

19

महर्षि याज्ञवल्क्य

38

20

महर्षि याज्ञवल्क्यकी शिक्षा

41

21

श्रीयामुनाचार्य

42

22

श्रीयामुनाचार्यकी शिक्षा

45

23

भक्तश्रेष्ठ नरसी मेहता

46

24

भक्त श्रीनरसी मेहताकी शिक्षा

48

25

श्रीसूरदास

49

26

श्रीसूरदासजीकी शिक्षा

51

27

गोस्वामी तुलसीदास

52

28

गोस्वामी तुलसीदासकी शिक्षा

54

29

मीराँबाई

55

30

मीराँबाईकी शिक्षा

57

31

श्रीमद्राजचन्द्र

58

32

श्रीमद्राजचन्द्रकी शिक्षा

60

 

 

 

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