Look Inside

किन्नर देश में: In the Country of Kinnars

Best Seller
FREE Delivery
Express Shipping
$28.50
$38
(25% off)
Express Shipping: Guaranteed Dispatch in 24 hours
Quantity
Delivery Ships in 1-3 days
Item Code: HAA197
Author: Mahapandita Rahula Sanktrityayana
Publisher: KITAB MAHAL
Language: Hindi
Edition: 2023
ISBN: 8122500447
Pages: 416
Cover: Paperback
Other Details 8.5 inch X 5.5 inch
Weight 390 gm
Fully insured
Fully insured
Shipped to 153 countries
Shipped to 153 countries
More than 1M+ customers worldwide
More than 1M+ customers worldwide
100% Made in India
100% Made in India
23 years in business
23 years in business
Book Description
<meta content="text/html; charset=windows-1252" http-equiv="Content-Type" /> <meta content="Microsoft Word 12 (filtered)" name="Generator" /> <style type="text/css"> <!--{cke_protected}{C}<!-- /* Font Definitions */ @font-face {font-family:Mangal; panose-1:2 4 5 3 5 2 3 3 2 2;} @font-face {font-family:"Cambria Math"; panose-1:2 4 5 3 5 4 6 3 2 4;} @font-face {font-family:Calibri; panose-1:2 15 5 2 2 2 4 3 2 4;} /* Style Definitions */ p.MsoNormal, li.MsoNormal, div.MsoNormal {margin-top:0in; margin-right:0in; margin-bottom:10.0pt; margin-left:0in; line-height:115%; font-size:11.0pt; font-family:"Calibri","sans-serif";} p.MsoListParagraph, li.MsoListParagraph, div.MsoListParagraph {margin-top:0in; margin-right:0in; margin-bottom:10.0pt; margin-left:.5in; line-height:115%; font-size:11.0pt; font-family:"Calibri","sans-serif";} p.msolistparagraphcxspfirst, li.msolistparagraphcxspfirst, div.msolistparagraphcxspfirst {mso-style-name:msolistparagraphcxspfirst; margin-top:0in; margin-right:0in; margin-bottom:0in; margin-left:.5in; margin-bottom:.0001pt; line-height:115%; font-size:11.0pt; font-family:"Calibri","sans-serif";} p.msolistparagraphcxspmiddle, li.msolistparagraphcxspmiddle, div.msolistparagraphcxspmiddle {mso-style-name:msolistparagraphcxspmiddle; margin-top:0in; margin-right:0in; margin-bottom:0in; margin-left:.5in; margin-bottom:.0001pt; line-height:115%; font-size:11.0pt; font-family:"Calibri","sans-serif";} p.msolistparagraphcxsplast, li.msolistparagraphcxsplast, div.msolistparagraphcxsplast {mso-style-name:msolistparagraphcxsplast; margin-top:0in; margin-right:0in; margin-bottom:10.0pt; margin-left:.5in; line-height:115%; font-size:11.0pt; font-family:"Calibri","sans-serif";} p.msopapdefault, li.msopapdefault, div.msopapdefault {mso-style-name:msopapdefault; margin-right:0in; margin-bottom:10.0pt; margin-left:0in; line-height:115%; font-size:12.0pt; font-family:"Times New Roman","serif";} .MsoChpDefault {font-size:10.0pt;} @page WordSection1 {size:8.5in 11.0in; margin:1.0in 1.0in 1.0in 1.0in;} div.WordSection1 {page:WordSection1;} -->--></style>

प्राक्कथन

प्रथम संस्करण कित्रर देश में (मई अगस्त, 1948 की यात्रा का विवरण होने के साथ हिमालय के इस उपेक्षित भाग का परिचय ग्रन्थ है । मैंने यहाँ नवीन भारत के नवनिर्माण की दृष्टि से वस्तुओं का वर्णन किया है । आरम्भ में ग्रन्थ लिखने का कोई विचार नही था । जो जो बात आई, लिखता गया, वही सामग्री यहाँ इस ग्रन्थ के रूप में आप पा रहे हैं । हो सकता है कही कही पुनरुक्ति हो, हो सकता हैं पूर्वापर को एक करके लिखने का गुण यहाँ न दिखलाई देता हो, किन्तु तो भी मैं समझता हूँ हिमालय के इस अंचल के बारे में बहुत सी ज्ञातव्य बातें यहाँ आई हैं । त्रुटियों के लिए मैं अपने को दोषी मानता हूँ, यदि यहाँ कुछ गुण हैं तो उसके भागी मेरे वे मित्र हैं जिनका नाम स्थान स्थान पर इस पुस्तक में आया है।

 

दूसरा संस्करण

आठ वर्ष बाद यह दूसरा संस्करण निकल रहा है । उस समय यह हिमालय के एक अंचल का परिचय दे रहा था । इसके बाद दार्जिलिंग से चंबा तक कै हिमालय पर अनेक ग्रंथ लिखे, जिनमें कुछ छपे, कुछ फँसे और कुछ छप रहे हैं ।

 

प्रकाशकीय

हिन्दी साहित्य में महापंडित राहुल सांकृत्यायन का नाम इतिहास प्रसिद्ध और अमर विभूतियों में गिना जाता है । राहुल जी की जन्मतिथि 9 अप्रैल, 1893 और मृत्युतिथि 14 अप्रैल, 1963 है । राहुल जी का बचपन का नाम केदारनाथ पाण्डे था । बौद्ध दर्शन से इतना प्रभावित हुए कि स्वय बौद्ध हो गये । राहुल नाम तो बाद मैं पड़ा बौद्ध हो जाने के बाद । साकत्य गोत्रीय होने के कारण उन्हें राहुल सास्मायन कहा जाने लगा ।

राहुल जी का समूचा जीवन घूमक्कड़ी का था । भिन्न भिन्न भाषा साहित्य एव प्राचीन संस्कृत पाली प्राकृत अपभ्रंश आदि भाषाओं का अनवरत अध्ययन मनन करने का अपूर्व वैशिष्ट्य उनमें था । प्राचीन और नवीन साहित्य दृष्टि की जितनी पकड और गहरी पैठ राहुल जी की थी ऐसा योग कम ही देखने को मिलता है । घुमक्कड जीवन के मूल में अध्ययन की प्रवृत्ति ही सर्वोपरि रही । राहुल जी के साहित्यिक जीवन की शुरुआत सन् 1927 में होती है । वास्तविक्ता यह है कि जिस प्रकार उनके पाँव नही रुके, उसी प्रकार उनकी लेखनी भी निरन्तर चलती रही । विभिन्न विषयों पर उन्होने 150 से अधिक ग्रंथों का प्रणयन किया हैं । अब तक उनक 130 से भी अधिक ग्रंथ प्रकाशित हौ चुके है । लेखा, निबन्धों एव भाषणों की गणना एक मुश्किल काम है ।

राहुल जी के साहित्य के विविध पक्षी का देखने से ज्ञात होता है कि उनकी पैठ न केवल प्राचीन नवीन भारतीय साहित्य में थी, अपितु तिब्बती, सिंहली, अग्रेजी, चीनी, रूसी, जापानी आदि भाषाओं की जानकारी करते हुए तत्तत् साहित्य को भी उन्होंने मथ डाला। राहुल जी जब जिसके सम्पर्क मे गये, उसकी पूरी जानकारी हासिल की । जब वे साम्यवाद के क्षेत्र में गये, तो कार्ल मार्क्स लेनिन, स्तालिन आदि के राजनातिक दर्शन की पूरी जानकारी प्राप्त की । यही कारण है कि उनके साहित्य में जनता, जनता का राज्य और मेहनतकश मजदूरों का स्वर प्रबल और प्रधान है।

राहुल जी बहुमुखी प्रतिभा सम्पन्न विचारक हैं । धर्म, दर्शन, लोकसाहित्य, यात्रासाहित्य इतिहास, राजनीति, जीवनी, कोश, प्राचीन तालपोथियो का सम्पादन आदि विविध सत्रों मे स्तुत्य कार्य किया है। राहुल जी ने प्राचीन के खण्डहरों गे गणतंत्रीय प्रणाली की खोज की । सिंह सेनापति जैसी कुछ कृतियों मैं उनकी यह अन्वेषी वृत्ति देखी जा सकती है । उनकी रचनाओं मे प्राचीन के प्रति आस्था, इतिहास के प्रति गौरव और वर्तमान के प्रति सधी हुई दृष्टि का समन्वय देखने को मिलता है । यह केवल राहुल जी जिहोंने प्राचीन और वर्तमान भारतीय साहित्य चिन्तन को समग्रत आत्मसात् कर हमे मौलिक दृष्टि देने का निरन्तर प्रयास किया है । चाहे साम्यवादी साहित्य हो या बौद्ध दर्शन, इतिहास सम्मत उपन्यास हो या वोल्गा से गंगा की कहानियाँ हर जगह राहुल जा की चिन्तक वृत्ति और अन्वेषी सूक्ष्म दृष्टि का प्रमाण गिनता जाता है । उनके उपन्यास और कहानियाँ बिलकुल एक नये दृष्टिकोण को हमारे सामने रखते हैं।

समग्रत यह कहा जा सक्ता है कि राहुल जी न केवल हिन्दी साहित्य अपितु समूल भारतीय वाङमय के एक ऐसे महारथी है जिन्होंने प्राचीन और नवीन, पौर्वात्य एवं पाश्चात्य, दर्शन स्वं राजनीति और जीवन के उन अछूते तथ्यों पर प्रकाश डाला है जिन पर साधारणत लोगों की दृष्टि नहीं गई थी । सर्वहारा के प्रति विशेष मोह होने के कारण अपनी साम्यवादी कृतियों में किसानों, मजदूरों और मेहनतकश लोगों की बराबर हिमायत करते दीखते है ।

विषय के अनुसार राहुल जी की भाषा शैली अपना स्वरुप निधारित करती है । उन्होंने सामान्यत सीधी सादी सरल शैली का ही सहारा लिया है जिससे उनका सम्पूर्ण साहित्य विशेषकर कथा साहित्य साधारण पाठकों के लिए भी पठनीय और सुबोध है।

प्रस्तुत पुस्तक किन्नर देश में राहुल जी ने किन्नर लोगों के बारे में विस्तार से प्रकाश डाला है । वे लिखते है कित्रर या कि पुरुष देवयोनि हैं । उनके देश की यात्रा का अर्थ है देवलोक में जाना । पाठकों को मेरी इस यात्रा पर संदेह हो सकता है । किन्तु साथ ही यह भी कहा जा सकता है कि जिस देश में कभी देवता रहते थे, वहाँ पीछे पिछड़े मनुष्य रहने लगे, और जो पिछड़े मनुष्यों का देश हो, वह फिर देवलोक बन जायेगा ।  कित्रर देश हिमाचल का एक रमणीय भाग है जो तिब्बत की सीमा पर सतलुज की उपत्यका में 70 मील लम्बा और प्राय उतना ही चौड़ा बसा हुआ है । इसकी निम्नतम भूमि 5000 फुट से नीचे नहीं है और ऊँची बस्तियाँ 11000 फुट से भी ऊपर बसी हुई हैं । कित्रर शब्द ही बिगड़कर आजकल कनोर बन गया है । पुस्तक में कित्रर या कनोरी लोगों के सामाजिक जीवन, रहन सहन, परम्परा, रीति रिवाज, धार्मिक अंधविश्वास और उनकी मान्यताओं पर लघु वृत्तान्तों के माध्यम से विस्तार से प्रकाश डाला गया है । ऐतिहासिक भावभूमि पर कित्रररों की सभ्यता, संस्कृति, धार्मिक मान्यताओं, आर्थिक दशा आदि जीवन के विविध रूपों का जितना सांगोपांग चित्रण पुस्तक में सुलभ है, अन्यत्र मुश्किल ही कहा जायेगा । आशा है, प्रस्तुत पुस्तक विद्वानों और जिज्ञासुओं में पहले की भॉति ही समादृत होगी ।

 

विषय सूची

1

यात्रारंभ

1

2

रामपुर को

5

3

रामपुर में

14

4

कित्रर देश की ओर

24

5

राजधानी चिनी को

44

6

भोजन छाजन

57

7

घुमक्कड़ों का समागम

72

8

जंगी तक

92

9

प्रागैतिहासिक समाधियाँ

103

10

तिब्बती सीमांत की ओर

120

11

भारत का सीमांती गाँव

131

12

देवता से बातचीत

151

13

चिनी वापस

169

14

फिर चिनी में

177

15

कोठी देवी महातम

197

16

देवी के चरणों में

208

17

देवी का मेला

224

18

चिनी से प्रस्थान

231

19

साङ्ला में

240

20

सराहन को

261

21

सराहन से कोटगढ़

277

22

यात्रा का अंत

292

23

कित्रर देश पर एक ऐतिहासिक

303

24

कित्रर गीत

327

25

कित्रर भाषा

391

 

 

Sample Pages





















Frequently Asked Questions
  • Q. What locations do you deliver to ?
    A. Exotic India delivers orders to all countries having diplomatic relations with India.
  • Q. Do you offer free shipping ?
    A. Exotic India offers free shipping on all orders of value of $30 USD or more.
  • Q. Can I return the book?
    A. All returns must be postmarked within seven (7) days of the delivery date. All returned items must be in new and unused condition, with all original tags and labels attached. To know more please view our return policy
  • Q. Do you offer express shipping ?
    A. Yes, we do have a chargeable express shipping facility available. You can select express shipping while checking out on the website.
  • Q. I accidentally entered wrong delivery address, can I change the address ?
    A. Delivery addresses can only be changed only incase the order has not been shipped yet. Incase of an address change, you can reach us at [email protected]
  • Q. How do I track my order ?
    A. You can track your orders simply entering your order number through here or through your past orders if you are signed in on the website.
  • Q. How can I cancel an order ?
    A. An order can only be cancelled if it has not been shipped. To cancel an order, kindly reach out to us through [email protected].
Add a review
Have A Question

For privacy concerns, please view our Privacy Policy