'राजनीति-सिद्धांत की रूपरेखा' का प्रथम मस्करण 1985 में प्रकाशित हुआ था। तब में इसके अनेक संस्करण प्रकाशित हो चुके है जहां इसको विषय-वस्तु में उपयुक्त संशोधन, परिवर्धन और उन्नयन का प्रयल किया गया है। विषय के प्रस्तुतीकरण में नई शैली अपना कर इसे पाठक अनुकूल बनाने की ओर विशेष ध्यान दिया गया है। लेखक शैक्षिक समुदाय के प्रति हृदय से कृतज्ञ है जिसकी एक से अधिक पौड़ियों ने इस विनय प्रयास को स्वीकार करके अपनी उदारता का परिचय दिया है।
'राजनीति-सिद्धांत की रूपरेखा का प्रस्तुत संस्करण पिछले सब संस्करणों का संशोधित और समुन्नत रूप है। प्रत्येक अध्याय में विस्तृत संशोधन करके संपूर्ण विषय-वस्तु को अधिक सारगर्भित और पाठक अनुकूल बनाने का प्रयल किया गया है। जगह-जगह प्रस्तुत विषय से जुड़ी नई स्थितियों पर विचार किया गया है, और उससे जुड़े नए तर्क-वितर्क का विश्लेषण किया गया है। अनेक जटिल विचार और तर्क नए ढंग से सर्वथा सुगम शैली में प्रस्तुत किए गए है।
प्रस्तुत कृति के नवीन संस्करण का ध्येय समकालीन विश्व के संदर्भ में राजनीति-सिद्धांत की मुख्य मुख्य संकल्पनाओं का तुलनात्मक और आलोचनात्मक विवेचन प्रस्तुत करना है। इसमें राजनीति के स्वरूप, राजनीति-सिद्धांत के विचारक्षेत्र और महत्त्व की चर्चा करते हुए इसके अध्ययन से जुड़े परंपरागत उपागम, आधुनिक उपागम और अंतर्विषयक उपागम पर प्रकाश डाला गया है। फिर 'विचारधारा' की संकल्पना को स्पष्ट करते हुए 'विचारधारा के अंत' और 'इतिहास के अंत' से जुड़े विवाद की समीक्षा की गई है। प्रमुख राजनीतिक विचारधाराओं के अंतर्गत उदारवाद, रूढ़िवाद, आदर्शवाद, मार्क्सवाद, लोकतंत्रीय समाजवाद, अराजकतावाद, फासिस्टवाद, गांधीवाद, नारीवाद, समुदायवाद और बहुसांस्कृतिकवाद का मक्षिप्त किंतु निकट परिचय दिया गया है। इसके बाद राज्य और प्रभुसत्ता की संकल्पनाओं के संदर्भ में राष्ट्रवाद और अंतर्राष्ट्रवाद की मान्यताओं का विवेचन करते हुए राष्ट्र राज्य के वर्तमान संकट का निरूपण किया गया है। साथ ही राज्य को प्रकृति और राज्य की उत्पत्ति से जुड़े विविध सिद्धांतों का सर्वेक्षण किया गया है। फिर राजनीतिक दायित्व के आधार और सीमाओं की चर्चा की गई है।
सामाजिक जीवन में शक्ति, सत्ता और वैधता से जुड़े सिद्धांतों का विश्लेषण करते हुए यहां क़ानून की संकल्पना से जुड़े चिंतन का विवरण दिया गया है। अधिकारों के सिद्धांतों का परिचय देकर नागरिकता, मानव अधिकारों और संपत्ति के अधिकार की समालोचना प्रस्तुत की गई है। इसके बाद स्वतंत्रता, समानता, न्याय और सामान्य हित की संकल्पनाओं का विस्तृत विश्लेषण किया गया है।
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