पुस्तक के विषय में
श्रद्धेय दादा जेपी वासवानी को उनके जीवन काल में ही कितने राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय सम्मानों से विभूषित किया गया। जीव मात्र से प्रेम करने के उपलक्ष्य में उन्हें प्राणी मित्र की उपाधि दी गई। सद्भावना तथा एकात्मकथा की भावना को प्रसारित तथा विस्तारित करने के लिए उन्हें U That Peace Award दिया गया है। Peace Pilgrim Award सन् में दिया गया। Paul Harris Fellowship का सम्मान भी उनके सर्व धर्म एकता शान्ति स्थापना के प्रयासों के लिए दिया गया। उनके द्वारा सद्भावना तथा भ्रातृत्व के लोकप्रिय गीत का अनुवाद कुछ इस प्रकार है-
समग्र धरा हम सब का राष्ट्र
गुम्बद इसका, आकाश;
देश विभिन्न इसके भवन
दिव्य पिता का दिव्य आवास।
चीन के, जापान के,
रूस और सिंध के
अमरीका, हिन्दुस्तान के
हम, भाई-बहन के रूप में।
हिन्दु, मुस्लिम, ईसाई हो,
बौद्ध या बहाई हो
मित्रता सभी की सांझी है
अमर प्रेम से बांधी है।
जीवन आधार-विश्वास एक
सब का प्यारा, गान एक
सेवा के नन्हें, नन्हें कर्म,
उस सम्राट की पूजा
हम सब का मूल धर्म!
निवेदन
वर्षों पूर्व, अस्सी के दशक में साधु-वासवानी के जीवन पर एक निबंध-प्रतियोगिता हुई। वासवानी मिशन की शिमला शाखा की ओर से मुझे इसमें भाग लेने का सुअवसर मिला तथा मुझे प्रथम पुरस्कार भी मिला। तभी मैंने साधु वासवानी मिशन की जानकारी एकत्र की थी। फिर एक लम्बे अन्तराल के बाद सन् में मुझे अपनी बड़ी बहन श्रीमती मोहिनी गुलियानीजी के पास जाने का और उनके साथ साधु वासवानी मिशन को देखने तथा दादा जे पी वासवानी के दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।
दादा के चरण छू कर तथा आशीर्वाद ले कर, मन का विषाद आँसुओं में बह गया। दादा के तेजस्वी किन्तु स्नेहिल व्यक्तित्व तथा व्यवहार से मैं भाव-विहाल हो गई थी।
मोहिनी दीदी, दादा की लिखी पुस्तकों का हिन्दी में अनुवाद करके बहुत संतुष्ट तथा प्रसन्न थीं उन्हीं की प्रेरणा तथा मेरे सौभाग्य से, मुझे दादा की अनुपम पुस्तक 'पाट Life After Death का हिन्दी अनुवाद करने को कहा गया । यह मेरे लिए भगवान की अदृश्य कृपा तथा आदेश के समान था। मेरी सारी शिक्षा को सार्थकता मिल रही थी । 'मृत्यु है द्वार-फिर क्या?' नाम से यह अनुवाद प्रकाशित हुआ । पुस्तक के मुख पृष्ठ पर ही दादा द्वारा लिखे उद्गार मेरे लिए भगवान के प्रसाद समान हैं।
अब उनकी वीं वर्षगाँठ पर उनकी जीवनी लिखने की प्रेरणा सुश्री कृष्ण कुमारी ने दी तो मुझे सहसा विश्वास ही नहीं हुआ था। एक संत या ऋषि को शब्दों में व्यक्त करना अपने आप में एक साधना है।
दादा द्वारा लिखित पुस्तकें तथा उन पर लिखी गई पुस्तकें, कुछ व्यक्तियों से भेंट इत्यादि की सहायता मिली । साधु-वासवानी मिशन की कार्य प्रणाली, कुशल प्रबन्धन, व्यवस्था जन-कल्याण के विभिन्न क्षेत्र नारी शिक्षा के मीरा संस्थान, मूक प्राणियों की सेवा इत्यादि दादा वासवानी के प्रेम के साक्षात जीते-जागते प्रमाण हैं।
दादा की जीवनी को कुछ पृष्ठों में समेट सकना लगभग असंभव ही है, संतों के सागर-समान विराट तथा अथाह व्यक्तित्व को कैसे शब्दों में व्यक्त किया जाए? सागर की कुछ बूँदों के समान दादा के जीवन के कुछेक अंश ही इस 'जीवन-यात्रा' मे समेटे जा सके हैं ।
दादा जे पी वासवानी के लिए प्रेम की प्रतिमूर्ति साक्षात भगवान निश्छल-हृदयी, करुणा-स्वरूप, दरिद्र नारायण के संरक्षक इत्यादि कितने ही उद्गार प्रकट हुए, किन्तु श्री जे पी वासवानी ने स्वय को साधु वासवानी का शिष्य तथा अन्य सभी का 'दाद' माना और इसी में उन्हें आत्मिक संतोष भी मिला।
दादा का व्यक्तित्व तथा जीवन भारत की संत परंपरा को ही आगे बढ़ाता है, जहाँ संतोष, विनम्रता तथा प्रेम ही भगवान की वास्तविक भक्ति है।
दादा वासवानी की इस 'जीवन-यात्रा' को लेखनी बद्ध करना एक ओर मुझे मेरे तुच्छ प्रयास की भावना से भर देता है और दूसरी ओर दादा जैसे महापुरुष की जीवनी लिखने के गौरव से पूर्ण कर देता है और साथ ही मैं भगवदकृपा के आगे नतमस्तक हो जाती हूँ।
इस 'जीवन-यात्रा' में जो भी अच्छा है; हृदयग्राही है, वह सब दादा वासवानी का है; जो भी त्रुटियाँ हैं वह सब मेरी हैं, जिस के लिए मैं क्षमा प्रार्थी हूँ।
एक विराट् तथा कर्मठ व्यक्तित्व को शब्दों में समेटना मेरे लिए सरल नहीं रहा। जैसा भी प्रयास है, आप के सम्मुख है।
इस पुस्तक के माध्यम से यदि श्रद्धेय दादा वासवानी के जीवन का आभास-मात्र भी सुधी-पाठक-जन को जाता है, तो मैं स्वयं को धन्य मानूँगी।
दादा को उनकी वर्षगाँठ पर हृदय की समस्त शुभकामनाओं प्रार्थनाओं, श्रद्धा तथा प्रेम से समर्पित है यह 'जीवन-यात्रा'।
''तेरा तुझ को अर्पण, क्या लागे मेरा! ''
विषय सूची
1
पृष्ठभूमि-संत परम्परा
9
2
जन्मोत्सव
14
3
चिंतनशील बालक-किशोर
17
4
जीवन दर्शन की नींव
22
5
जीवन-लक्ष्य निर्धारण
32
6
साधना
42
7
ज्ञान-भक्ति-प्रेम की त्रिवेणी साधु वासवानी मिशन
53
8
गुरु-बिछोह
62
उत्तरदायित्व, प्रेम-प्रतिभा-सेवा
67
10
सादा जीवन, उच्च विचार
74
11
पथ-प्रदर्शन
78
12
विदेश-यात्राएँ
83
13
साधना शिविर
101
पारलौकिक अनुभव
103
15
सारगर्भित प्रवचन-कुछ अंश
110
16
घर-घर में दादा - टी वी चैनल द्वारा
138
चमत्कारिक प्रभाव - कुछ संस्मरण
142
18
प्रश्नोत्तर एक झलक
153
19
श्रद्धा-सुमन
158
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