लेखकीय मंतव्य
'गाजर, मूली और टमाटर' (रस के द्वारा चिकित्सा) पुस्तक आपके हाथों में पहुँचाते हुए मुझे प्रसन्नता अनुभव हो रही है। प्रसन्नता का कारण है-मेरे अध्ययन, चिन्तन, मनन और अनुभवों से आप नीरोग हों और स्वस्थ रहते हुए दिनचर्या चलती रहे । हर समस्या का समाधान अपना निष्पक्ष ज्ञान ही तो है। आवश्यकता है प्रकृति द्वारा उत्पन्न किये पदार्थों के गुणों को जानकर खाने की, जो इस पुस्तक में पढ़ें । हमारा भोजन ही हमें स्वस्थ रखने का प्रमुख साधन है। दौड़-भाग भरी जिन्दगी में मनुष्य जल्दबाजी, चिन्ता और तेज मसाला युक्त भोजन से दिनचर्या चला रहा है। इसीलिए रोगी होता जा रहा है।
'गाजर, मूली और टमाटर' (रस के द्वारा चिकित्सा) का प्राकृतिक भोजन शान्ति से खाया जाता है। इसलिए इनसे स्वास्थ्य में सुधार होता है। जो कुछ हम खाते हैं उसके स्थूल भाग से मल, उसके मध्यम भाग से माँस और उसका सूक्ष्मतम भाग मन हो जाता है। मन को शुद्ध और पवित्र बनाने के लिए हमें प्रकृति प्रदत्त चीजें जैसे-गाजर, मूली, टमाटर आदि रस के द्वारा चिकित्सा आदि प्राकृतिक भोजन आवश्यक है।
फल, सब्जियों में ईश्वरीय शक्ति है। संघर्ष, आपत्तियों आते ही मनुष्य विचलित हो जाता है और उसे लगता है कि उसका इस दुनिया में कोई नहीं है। ईश्वर आसपास ही मौजूद रहता है और सबकी सहायता के लिए हमेशा तैयार रहता है। ईश्वर हमेशा अपने भक्त के कठिन समय में कवच बन जाते हैं।
ईश्वर प्रकृति में रमे हुए हैं । प्रकृति से उपजी सब्जियाँ, फल, अन्न हमारा पोषण करते हैं। प्रकृति में उपजे हर खाद्य पदार्थ औषधीय गुणों से भरपूर है। बीमार होने पर हमारे खाद्य पदार्थों के गुणों को समझ कर सेवन करेंगे तो ईश्वरीय शक्ति हमारे शरीर में प्रवेश कर रोगमुक्त करेगी। गाजर, मूली और टमाटर (रस के द्वारा चिकित्सा) का सेवन कर इनमें व्याप्त औषधीय गुणों के उपभोग से स्वस्थ रहेंगे। मनुष्य को प्रकृति के मधुर मौसम और सौंदर्य में स्वयं को चिन्तामुक्त कर देना चाहिए।
चटपटे, मैदायुक्त तले हुए भोजन से बचें । प्रकृति द्वारा पैदा की फल, सब्जियाँ खाकर स्वस्थ रह सकते हैं । मेरा लेखनोद्देश्य तो यही है कि आप इसे पढ़ें और स्वस्थ रहें । चिकित्सा हेतु जिस वस्तु का सेवन करें उसका पूरा पाठ पढ़ें। किसी भी वस्तु का दुष्प्रभाव प्रतीत होने पर उसका सेवन बंद कर दें और अन्य प्रयोग करें। चिकित्सा करते समय अधिकाधिक वस्तुएँ 1-1 घंटे के अंतर से लेने पर लाभ शीघ्र होगा।
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