Item Code: | GPA332 |
Author: | Swami Ramsukhdas |
Publisher: | Gita Press, Gorakhpur |
Language: | Sanskrit Text with Hindi Translation |
Edition: | 2013 |
Pages: | 158 |
Cover: | Paperback |
Other Details | 8.0 inch X 5.0 inch |
Weight | 140 gm |
नम्र निवेदन
परमार्थ-पथके पथिकोंकी सेवामें यह पाथेय-तुल्य पुस्तक प्रस्तुत की जा रही है। इससे पहले भी परमश्रद्धेय स्वामीजी श्रीरामसुखदासजी महाराजकी कई पुस्तकें गीताप्रेससे प्रकाशित हो चुकी हैं, जिनसे भगवत्प्रेमी भाई-बहनोंने बहुत लाभ उठाया है एवं उठा रहे हैं।
गीताप्रेससे निकलनेवाले लोकप्रिय मासिक पत्र 'कल्याण' के विशेषांकोंमें समय-समयपर परमश्रद्धेय श्रीस्वामीजी महाराजके लेख प्रकाशित होते रहते हैं। प्रस्तुत पुस्तकमें प्राय-उन्हीं लेखोंका संग्रह यथावश्यक संशोधन-संवर्धनके साथ प्रकाशित किया जा रहा है। कल्याणकामी भाई-बहनोंसे विनम्र निवेदन है कि वे विविध विषयोंसे समन्वित इस पुस्तकके अध्ययन-मननसे लाभ उठायें । प्रथम संस्करणमें यही पुस्तक कल्याणकारी उपदेशके नामसे प्रकाशित की गयी थी। द्वितीय संस्करणसे इसका नाम परिवर्तित कर कल्याण-पथ कर दिया गया है।
विषय-सूची |
||
1 |
भगवत्तत्त्व |
5 |
2 |
भगवान् और उनकी दिव्य शक्ति |
24 |
3 |
भगवान् विष्णु |
32 |
4 |
भगवान् शंकर |
38 |
5 |
देवता कौन |
46 |
6 |
भक्तशिरोमणि श्रीहनुमान्जीकी दास्य-रति |
55 |
7 |
संकीर्तनकी महिमा |
71 |
8 |
गीतामें चरित्र-निर्माण |
78 |
9 |
योग : कर्मसु कौशलम् |
91 |
10 |
कल्याणका सुगम साधन- कर्मयोग |
102 |
11 |
भगवान् विवस्वान्को उपदिष्ट कर्मयोग |
116 |
12 |
गीताकी अलौकिक शिक्षा |
125 |
13 |
गीतोक्त सदाचार |
133 |
14 |
वामनपुराणका धर्मानुशासन |
144 |
15 |
मुक्तिका उपाय |
152 |
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