अनुवाद
मुझसे निवेदन किया गया कि कम्बन के इस लिप्यन्तरण-भाषान्तरण की भूमिका लिखूं और मैं सहर्ष यह भूमिका लिख रहा हूँ ।
अनेकानेक तमिल ज्ञाता साहित्यप्रेमियों के लिए 'कम्बन' (काअध्ययन) आनन्द और चित्तोल्लास का अचूक और निरन्तर स्रोत रहता आया है । उसकी सुन्दर भाषा, प्रकृति का उज्ज्वल वर्णन, चित्तापहारी चरित्र-चित्रण, मानवीय भावों और भावनाओं के क्षेत्र में उसका विस्मयकारी संवेदन, उसकी सारी रचना में अंतर्निहित रहनेवाला नैतिक उद्देश्य, ईश्वर सम्बन्धी धारणा के क्षेत्र में उसके दर्शन का अनूठा योगदान, उसके दार्शनिक सिद्धान्त जिनका आकर्षण सार्वभौमिक है -इन सबने मिलकर मेरे मन पर अप्रतिम प्रभाव अंकित किया है । कम्बन का अध्ययन मुझे अपने दैनिक कार्य-भार के दबाव से यौवनोल्लासकारी मुक्ति दिलाता आया है । अत: जब मुझे मालूम हुआ कि इस काव्य का हिन्दी में अनुवाद हुआ है तो मुझे इस विचार को लेकर अति आनन्द हुआ कि अब अधिक संख्या में लोग जिनकी मातृभाषा तमिऴ नहीं है और जो तमिल नहीं जानते, कम्बन का रस-भोग कर सकेंगे और लाभ प्राप्त कर सकेंगे ।
मुझे मालूम होता है कि यह अनुवाद लखनऊ के 'भुवन वाणी ट्रस्ट' द्वारा प्रकासित हो रहा है और इस प्रयास के प्राण श्री नन्दकुमार अवस्थी हैं जो उस ट्रस्ट के संस्थापक- अध्यक्ष है । वे विभिन्न भाषाओं के उत्कृष्ट ग्रन्थों के हिन्दी में लिप्यन्तरण-भाषान्तरण द्वारा राष्ट्रीय एकता और भावात्मक ऐकीकरण लाना चाहते हैं और इस दिशा में उनका अथक उत्साह और ज्वलन्त जोश धन्य है कि आज लगभग तीस अत्युत्तम ग्रन्थ हिन्दी में उपलब्ध हैं जिनमें अरबी का क़ुरान शरीफ़, अंग्रेजी से इंजील और तमिऴ से तिरुक्कुऱळ् शामिल हैं । और भी अनेक ग्रन्थ तैयार हो रहे हैं । ट्रस्ट हिन्दी के अच्छे ग्रन्थों का भी अन्य भाषाओं में लिप्यन्तरण-भाषान्तरण प्रस्तुत कर रहा है ।
प्रस्तुत अनुवाद श्री ति० शेषाद्रि द्वारा किया जा रहा है । वे अवकाश-प्राप्त आचाय हैं और उनका अंग्रेजी, तमिल और हिन्दी में अनुवाद कार्य का समृद्ध अनुभव है । इस कृति की रचनाविधि यों है- पहले नागरी लिपि में कम्बन का मूल पद देना; बाद तमिल के शब्दों का, अन्वय के क्रम से हिन्दी अर्थ देना, और उसके बाद धारावाही भावार्थ देना है । यह सिलसिला सभी पदों का रहेगा । यह तो सर्वविदित है कि एक भाषा के साहित्य के दूसरी भाषा में अनुवाद में सारी अन्तर्निहित खूबियाँ लाना-दरसाना असम्भव है; चाहे प्रयास कितने ही किये जाते हों! क्योंकि मामला ही कुछ ऐसा है कि हर भाषा की अपनी-अपनी विशिष्टताएँ हैं, जो उसे उसके शब्दों के सदियों के विशेष अर्थो में प्रयोग के दौरान मिल जाती हैं । एक तरह से शब्द सम्बन्धित लोगों की सारी सम्यता व संस्कृति के सार-संक्षेप ही हो गये रहते । तो भी श्री शेषाद्रि ने कार्य की स्वाभाविक परिसीमाओं के अन्दर रहकर सारे प्रयत्न किये है जो मानवसाध्य हैं । और उन्हें प्रोत्साहन और प्रशंसा मिलनी चाहिए ।
ट्रस्ट के सत्कार्य की मैं तहेदिल से ताईद करता हूँ और उसे इस सदिच्छापूर्ण कार्य में सफलता मिले-इसकी हार्दिक कामना करता हूँ ।
भाग - १
विषय सूची (बालकाण्ड)
तुदीपपाडलहल
40-45
प्रशस्तिपद
46-57
नदी पटल
58-67
देश पटल
67-92
नगर पटल
93-124
शासन पटल
124-129
श्री अवतार पटल
129-179
हस्तधरन पटल
179-189
ताडका वध पटल
190-218
याग पटल
218-241
अहल्या पटल
242-282
मिथिला दृश्य दर्शन पटल
282-350
वंशक्रम परिचय पटल
350-366
कार्मुक पटल
366-395
प्रस्थान पटल
395-430
शैलदर्शन पटल
431-466
पुष्प चयन पटल
466-486
जलक्रीड़ा पटल
486-499
पानक्रीड़ा पटल
500-528
अगवानी पटल
529-543
वीथि भ्रमण पटल
544-566
श्रृंगार सज्जा पटल
566-586
शुभ विवाह पटल
587-628
परशुराम पटल
629-652
भाग - २
विषय सूची (अयोध्याकाण्ड)
प्रशस्तियाँ, अनुवादक की अवतरणिका, प्रकाशकीय
1-24
ईश्वर वन्दना
25
मन्त्रणा पटल
26-65
65-99
मन्थरा षड्यन्त्र पटल
99-149
कैकेयी दुष्कृत्य पटल
149-246
नगर निर्गमन पटल
246-284
तैलापर्ण पटल
284-295
गंगा पटल
295-314
गुह पटल
314-335
वन प्रवेश पटल
335-358
चित्रकूट पटल
359-410
चितर्पण पटल
410-431
मार्ग गमन पटल
431-463
गंगा दर्शन पटल
463-515
पादुका धारण पटल
अरण्यकाण्ड
517
विराध वध पटल
517-547
शरभंग जन्म मोक्ष पटल
547-565
अगस्तय पटल
565-588
जटायु दर्शन पटल
588-605
शूर्पणखा पटल
605-671
खर वध पटल
671-747
शूर्पणखा षड्यन्त्र पटल
747-820
मारीच वध पटल
820-854
जटायु प्राणत्याग पटल
854-945
अयोमुखी पटल
945-985
कबन्धवध पटल
985-1009
शबरी जन्म निवारण पटल
1009-1013
भाग - ३
विषय सूची (किष्किन्धाकाण्ड)
1-40
41
पम्पा पटल
41-60
हनुमान पटल
60-76
मैत्री पटल
76-109
सालवृक्ष पटल
110-119
दुन्दुभी पटल
119-125
आभरण दर्शन पटल
125-138
वाली वध पटल
138-213
शासन शास्त्र पटल
213-227
वर्षाकाल पटल
227-278
किष्किन्धा पटल
278-332
सेना संदर्शन पटल
332-347
अन्वेषण प्रेषण पटल
347-379
बिल प्रवेश निर्गमन पटल
379-408
408-427
सम्पाती पटल
427-449
महेन्द्र पटल
449-461
सुन्दरकाण्ड
समुद्र संतरण पटल
463-506
नगरान्वेषण पटल
506-609
सीता दर्शन पटल
609-677
रूप दर्शन पटल
677-727
चूडामणि पटल
728-758
(अशोक) वन विध्वंस पटल
758-781
किंकर वध पटल
781-810
जम्बुमाली वध पटल
810-833
पंच सेनापति वध पटल
833-858
अक्षकुमार वध पटल
859-883
पाश बन्धन पटल
883-910
बन्धन मुक्ति पटल
910-968
लंका दहन पटल
968-991
शीचरण वन्दना पटल
991-1015
भाग - ४
विषय सूची (युद्धकाण्ड - पूर्वार्ध)
प्रशस्तियाँ, प्रकाशकीय, अनुवादकीय, विषय सूची आदि
1-32
समुद्र संदर्शन पटल
33-39
रावण मंत्रणा पटल
39-88
हिरण्य वध पटल
88-164
विभीषण शरणागति पटल
164-227
लंका श्रवण पटल
227-258
वरुण शरणगमन पटल
258-291
सेतु बन्धन पटल
292-316
गुप्तचर श्रवण पटल
316-353
लंका संदर्शन पटल
353-364
रावण वानरसेना संदर्शन पटल
364-377
मुकुट भंग पटल
377-399
व्यूह रचना पटल
400-412
अंगद दौत्य पटल
412-432
प्रथमदिवस युद्ध पटल
432-534
कुम्भकर्ण युद्ध पटल
534-685
माया जनक पटल
686-728
अतिकाय वध पटल
729-836
नागपाश पटल
836-963
सेनाध्यक्ष वध पटल
963-998
मकराक्ष वध पटल
998-1016
भाग - ५
विषय सूची (युद्धकाण्ड - उत्तरार्ध)
मुखपृष्ठ, प्रशस्तियाँ, प्रकाशकीय, विश्वनागरी लिपि, अनुवादकीय, तमिळ देवनागरी वर्णमाला, तमिळ उच्चारण विधि विषय सूची आदि
ब्रह्मास्त्र पटल
41-137
सीता युद्धस्थल दर्शन पटल
137-150
ओषधि पर्वत पटल
150-197
मद्दपान केलि पटल
197-207
मायासीता पटल
207-244
निकुंभिला याग पटल
244-320
इन्द्रजित वध पटल
320-351
रावण शोक पटल
351-374
374-396
मूल बल वध पटल
396-493
शक्ति धारण पटल
493-514
वानर युद्धभूमि संदर्शन पटल
514-529
रावण युद्धक्षेत्र संदर्शन पटल
529-540
रावण रथारोहण पटल
540-555
श्रीराम रथारोहण पटल
555-665
रावण वध पटल
566-665
प्रत्यागमन पटल
665-804
किरीट धारण पटल
804-822
विदाई पटल
822-840
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