प्रजा सुखे सुखं राज्ञः प्रजानां च हिते हितम्।
नात्मप्रिय हितं राज्ञः प्रजानां तु प्रियं हितम् ।।
चाणक्य की चिंतन विचारधारा यथार्थवाद और व्यावहारिकता की भावना का प्रतीक है। यह लोगों को जीवन एवं समाज की सच्चाइयों को स्वीकार करने एवं समझने के लिये प्रोत्साहित करती है ताकि उन्हें नियंत्रित किया जा सके तथा सफलता के नए स्तर तक पहुँचा जा सके। चाणक्य का व्यावहारिक दृष्टिकोण पारंपरिक सोच को चुनौती देता है तथा लोगों को समाज के मानदंडों एवं मान्यताओं पर प्रश्न उठाने के लिये प्रोत्साहित करता है।
इन विचारों को अपनाने से व्यक्ति सशक्त एवं सकारात्मक मानसिकता प्राप्त कर सकते हैं जिससे वे अपने जीवन में आने वाली चुनौतियों का सामना करने तथा ज्ञान और निश्चयात्मकता के साथ अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में सक्षम बन सकते हैं।
संचिता सिंह (जन्म 4 जून 1974) हिन्दी की जानी मानी लेखिका हैं। मध्य-प्रदेश के भिंड जिले में जन्मी प्रारंभिक शिक्षा मध्य-प्रदेश के भिंड में हुई । उन्होंने भिंड के एमजेस महाविध्यालय से स्नातक और इतिहास और समाजशास्त्र में एम.ए. किया । ग्वालियर वि.वि., से बी एड और एम. एड. की उपाधि प्राप्त की। कुछ दिनों तक एमजेस महाविध्यालय में अध्यापन के बाद भोपाल के सेंटर फॉर सोशल स्टडीज में पोस्ट-डॉक्टरल रिसर्च के लिए गईं। वहीं रहते हुए उन्होंने लेखन कार्य शुरू किया। उनका परिवार मूल रूप से भिंड जिले के महुआ गाँव का रहने वाला है । आप का विवाह जाने माने लेखक विचारक डॉ. वीरेंद्र सिंह बघेल से भोपाल मे 2003 मे हुआ ।
उनकी पहली पुस्तक 2011 में प्रकाशित हुई थी। इसके बाद उनकी से अब तक 35 से अधिक पुस्तकें विभिन्न प्रकाशको से प्रकाशित हो चुकी है। अपने लेखन में वैचारिक रूप से स्पष्ट और प्रौढ़ अभिव्यिक्ति के जरिए उन्होंने एक विशिष्ट स्थान बनाया है।
कौटिल्य का नाम, जन्मतिथि और जन्मस्थान तीनों ही विवाद के विषय रहे हैं। 'कौटिल्य नाम' की प्रमाणिकता को सिद्ध करने के लिए पंडित शामाशास्त्री ने विष्णु-पुराण का हवाला दिया है जिसमें कहा गया है- तान्नदान् कौटिल्यो ब्राह्मणस्समुद्धरिष्यति। बता दें कि कोटिल्य के नाम को लेकर भी कई विवाद हुए है। कभी कौटिल्य को लेकर तो कभी कौटल्य को लेकर। बहरहाल इन्हे कई नामों से जाना जाता है जिनमे वात्स्यायन, मलंग, द्रविमल, अंगुल, वारानक, कात्यान इत्यादि बहरहाल इन्हें पहचान चाणक्य और कौटिल्य के नाम से ही मिली।
कौटिल्य का जन्म 371 बीसी में एक ब्राम्हण परिवार में हुआ था। कौटिल्य के पिता ऋषि कनक एक शिक्षक थे। कौटिल्य ने तक्षशिला में अध्ययन किया, जो उस समय शिक्षा के प्रसिद्ध केंद्रों में से एक माना जाता था। कौटिल्य को छोटी-सी उम्र से ही राजनीति के क्षेत्र में जाने के लिए उत्साहित किया गया। अपनी शिक्षा और अनुभव के साथ उन्होंने एक महान रणनीतिकार के रूप में खुद को उभारा।
शिक्षा पूरी करने के बाद, कौटिल्य ने सबसे तक्षशिला में शिक्षण का कार्य शुरू किया। बता दें कि उस समय धनानन्द पाटलिपुत्र राज्य किया करता था। धनानन्द ने बिना किसी कारण कौटिल्य को अपमानित करके राज्य से निष्कासित कर दिया था और शायद यही कारण था कि कौटिल्य ने धनानंद को गद्दी से हटाने का संकल्प किया।
कौटिल्य को नंदवंश का विनाशक तथा मगध साम्राज्य की स्थापना एवं विस्तार के लिए ऐतिहासिक योगदान बताया जाता है। कौटिल्य मौर्य साम्राज्य के महामंत्री थे। कौटिल्य को 'सादा जीवन व उच्च विचार' का प्रतीक माना जाता था। कौटिल्य को संस्कृत के साहित्य के इतिहास में अपनी अतुलनीय एवं अद्भुत कृति के कारण अपने विषय का एकमात्र विद्वान होने का गौरव प्राप्त था। कौटिल्य की विद्वता, निपुणता और दूरदर्शिता का वर्णन भारत के शास्त्रों, काव्यों तथा अन्य ग्रंथों में भी पाया जाता है।
कौटिल्य भारत के मेकियावली कहे जाने वाले पहले व्यक्ति थे। कौटिल्य का अर्थशास्त्र राजनीति शास्त्र का ऐसा व्यापक एवं स्पष्ट ग्रंथ है जिसमें केवल राजनीतिक चिंतन ही नहीं अपितु कूटनीति की विधियों, राज्य की नीतियों, कानून एवं प्रशासन, अर्थव्यवस्था के संगठन आदि का भी ज्ञान प्राप्त होता है। उनके द्वारा रचित अर्थशास्त्र राजनीति, अर्थनीति, कृषि, समाजनीति आदि का महान ग्रंथ है। कौटिल्य ने शासन कला के रूप में अर्थशास्त्र की रचना वैज्ञानिक ढंग से की है। बता दें कि कौटिल्य के अर्थशास्त्र में 15 अधिकरण, 180 प्रकरण, 150 अध्याय तथा 180 विषयों पर लगभग 6000 श्लोक हैं।
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