अपनी "आदर्श जीवन" सम्बन्धी शिक्षाओं में, परमहंस योगानन्दजी ने सभी संस्कृतियों, जातियों, और धर्मों के लोगों को शारीरिक, मानसिक, एवं आध्यात्मिक विसंगतियों से स्वयं को मुक्त करने- अपने लिए स्थायी प्रसन्नता तथा सर्वतोमुखी सफलता उत्पन्न करने के साधन दिए हैं।
इस शृंखला की पुस्तकें अनेक विषयों पर परमहंसजी के आदर्श जीवन सम्बन्धी ज्ञान को उनके शब्दों में तथा उनके निकटवर्ती शिष्यों के शब्दों में- पाठकों को अपने दैनिक जीवन में आन्तरिक सन्तुलन तथा सामंजस्य लाने हेतु आध्यात्मिक अन्तर्दृष्टि और व्यावहारिक मूल सिद्धान्त प्रस्तुत करती हैं, जो कि योग का सारतत्त्व है। इन पुस्तकों में प्रकाशित ध्यान के अभ्यास तथा सम्यक् कर्म के सार्वभौमिक सिद्धान्तों द्वारा, व्यक्ति प्रत्येक क्षण को ईश्वर की जागरूकता में उन्नत होने के लिए एक अवसर के रूप में अनुभव कर सकता है।
जबकि प्रत्येक पुस्तक एक विशेष विषय को सम्बोधित करती है, शृंखला में एक ही सन्देश प्रतिध्वनित होता है : सर्वप्रथम ईश्वर की खोज करें। चाहे सन्तुष्टिदायक सम्बन्ध बनाने पर, आध्यात्मिक ढंग से बच्चों को बड़ा करने, अपने को पराजित कर देने वाली आदतों से छुटकारा पाने, अथवा आधुनिक जीवन के अन्य विविध लक्ष्यों और चुनौतियों में से किसी पर भी बोलते हुए, परमहंस योगानन्दजी बारम्बार हमारे ध्यान को जीवन की सर्वोच्च उपलब्धि : आत्म-साक्षात्कार - अर्थात् दिव्य जीवों के रूप में, अपने सच्चे स्वभाव को जानने की ओर केन्द्रित करते हैं। उनकी शिक्षाओं की प्रेरणा और प्रोत्साहन से हम - सीमितताओं, भय, तथा दुःख से परे जाते हुए अपने वास्तविक स्वरूप : अर्थात् आत्मा की अनन्त शक्ति एवं आनन्द के प्रति जागते हुए, वास्तविक रूप से विजयी जीवन जीना सीख लेते हैं।
For privacy concerns, please view our Privacy Policy
Hindu (हिंदू धर्म) (12516)
Tantra ( तन्त्र ) (987)
Vedas ( वेद ) (705)
Ayurveda (आयुर्वेद) (1896)
Chaukhamba | चौखंबा (3352)
Jyotish (ज्योतिष) (1443)
Yoga (योग) (1094)
Ramayana (रामायण) (1390)
Gita Press (गीता प्रेस) (731)
Sahitya (साहित्य) (23073)
History (इतिहास) (8226)
Philosophy (दर्शन) (3385)
Santvani (सन्त वाणी) (2533)
Vedanta ( वेदांत ) (120)
Send as free online greeting card
Email a Friend
Manage Wishlist