विश्व के अधिकतर धर्म मौलिक रूप से विश्वास पद्धतियों पर आधारित है। योग ही केवल एक अपवाद है। यह ऐसा कुछ नहीं मानता और एक व्यवस्थित एव वैज्ञानिक ढंग से कार्य करता है। आपको इस पर विश्वास करने की आवश्यकता नहीं होती। बस, आपको करना यह है कि इस पद्धति का जीवन-प्रयोग के रूप में अभ्यास करें। योग, प्रारंभ में, शारीरिक रूप से स्वस्थ बनाता है और विभिन्न प्रणालियों को सामान्य रूप से कार्य करने में सहायता करता है। और, अंततः आपको एक मानसिक एवं धार्मिक परमानंद की स्थिति में पहुंचा देता है जो किसी भी बाहरी तथ्य से भंग नहीं की जा सकती।
योग द्वारा वजन घटाएँ प्रमाणित करता है कि मोटापा कोई बीमारी नहीं है। यह केवल आपके तंत्र में एक अस्थिरता है जो कि साधारण और प्रभावशाली यौगिक विधियों की सहायता से ठीक की जा सकती है। यह ऐसे उपचार का विस्तृत और सरल विवरण प्रस्तुत करता है जो एक यौगिक विधियों के समूह, आदर्श आहार और अधिक महत्वपूर्ण रुप से, एक स्वस्थ ढंग से वजन घटाने एवं उसे बनाए रखने योग्य होने के उचित व्यवहार को दर्शाता है।
भरत ठाकुर को एक विशिष्ट पृष्ठभूमि वाले योग्य विशेषज्ञ के रूप में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जाना जाता है, जिन्होंने मीडिया जैसे 'टाईम पत्रिका में अपना एक विशेष स्थान बनाया है। चार वर्ष की छोटी-सी उम्र में अपने गुरू, सुखदेव ब्रह्मचारी द्वारा हिमालय पर ले जाने के लिए चुने गए थे, जहां वे 14 वर्षों तक रहे। इन्होंने.. अपने गुरू के मार्गदर्शन में आयुर्वेद, मंत्र-तंत्र जैसे संबंधित विषयों को शामिल करते हुए गहन एवं व्यापक रूप से योग का अध्ययन किया। इन्होंने सूफीवाद, जैन धर्म, एवं बौद्ध धर्म का भी अध्ययन किया और फिर औपचारिक शिक्षा आरंभ करने हेतु हिमालय से वापस लौट आए। इन्होंने शरीर विज्ञान एवं योगाभ्यास में स्नातक एवं स्नातकोत्तर परीक्षाएं उत्तीर्ण कीं। भरत ठाकुर दिल्ली में रहते हैं और लोगों को पुरातन यौगिक ध्यान लगाने वाली विधियां, जिन्होंने कई लोगों के जीवन को शक्तिशाली के अतिरिक्त प्रखर और अप्रत्याशित ढंग से सुधरने और बदलने में सहायता की है, सिखाते हुए पूरे विश्व में भ्रमण करते रहते हैं।
मैं बाजार में घूम रहा था, जब 'योग द्वारा वजन घटाएं' पुस्तक लिखने का विचार मेरे मन में आया। वहां मैंने 80 प्रतिशत लोगों को देखा जो मोटे अथवा सामान्य से अधिक वजन के थे। हालांकि मैं यहां अपने गुरु की शिक्षाओं का प्रचार करने और मनुष्य की जिंदगी को बेहतर और ज्ञानसंपन्न बनाने के लिए आया हूं। मैंने सोचा कि मैं क्यों ज्ञानोदय का प्रवचन दे रहा था, जब लोग स्वयं अपने को शीशे में देखकर यह नहीं पूछ सकते, "मैंने अपने साथ यह क्या किया? हां, आपने अपने साथ क्या किया' आप बिना यह जाने मर जाएंगे कि आप आश्चर्यजनक लग सकते हैं। वह कोई और जो आपके रुग्ण, मोटे और स्थूल शरीर के भीतर छुपा है, जो स्वस्थ और चुस्त है और अपने आप से प्यार करता है।
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