दो शब्द
आज संयुक्त परिवार टूट रहे हैं और बच्चे अकेले होते जा रहे हैं । आज अधिकांश माताएं एक भी लोरी नहीं गुनगुना सकतीं । लोरियां धीरे-धीरे पुरानी पीढ़ी के साथ ही तुज होती जा रही हैं और हो सकता है कि निकट भविष्य में लोरियां हमेशा-हमेशा के लिए खो जाएं । इसी चिंता को लेकर नेशनल बुक ट्रस्ट ने लोरियों की एक पुस्तक प्रकाशित करने का निर्णय लिया ।
मैंने स्वयं हिंदी के अनेक विद्वानों और साहित्यकारों को पत्र लिखकर अनुरोध किया कि वे इस सद्कार्य में यथायोग्य अपना योगदान दें । मुझे यह लिखते हुए बहुत खुशी हो रही है कि कई लेखकों ने हमें अनेक लोरियां भेजकर हमारे इस प्रयास को सफल बनाने में हमारी मदद की है । हम उन सबके हृदय से आभारी हैं।
इस संकलन में हमने मध्यकालीन कवि सूरदास से लेकर आधुनिक समय के रचनाकारों तक की लोरियों को शामिल किया है। हमारे तमाम प्रयासों और सदिच्छा के बावजूद हमने सभी महत्वपूर्ण लोरियों को इस संकलन में समेट लिया है ऐसा हम नहीं कह सकते। लोरियों के अथाह सागर में से हम कुछ मोती निकालकर अपने सुहृद पाठकों के समक्ष प्रस्तुत कर रहे हैं। इस संकलन में शामिल कुछ लोरियां पारंपरिक या अज्ञात हैं, यानी उनके रचनाकारों का कोई अता-पता हमें नहीं मालूम । इस पुस्तक में संकलित अनेक लोरियां ऐसी भी हैं जिनके कवियों के पते हमें नहीं मिल पाए हैं। हम इस दिशा में कोशिश कर रहे हैं और जैसे ही हमें उनके पते मिल जाएंगे, हम उनसे तुंरत संपर्क करेंगे। पाठकों के हाथों में यह पुस्तक सौंपते हुए मुझे सचमुच बहुत खुशी हो रही है।
अनुक्रम
नौ
1
पारंपरिक चंदा मामा, आरे आवा
मोरा लालन के लागल नजरिया
सोनै को झुनझुना बाजनो
2
अज्ञात खाना है, खिलाना है
4
3
सूरदास जसोदा हरि पालनै झुलावै
5
अयोध्यासिंह उपाध्याय 'हरिऔध'
आ री नींद लाल को आ जा
6
शम्भू दयाल सक्सेना आ री निंदिया,आ री निंदिया
7
दुर्गादत्त शर्मा आ री निंदिया! आ जा
8
'माधुरी' द्राविड़ (तैलंग) चांदी के झरने झरते हैं झर-झर-झर
9
कन्हैयालाल मत्त सो जा, राजदुलारी!
10
झूले मेरा ललना
गरीब मां की लोरी
विद्यावती कोकिल निंदिया बहुत ललन को प्यारी
13
शकुंतला सिरोठिया जा, सपनों से खेलना
14
राजदुलारी सो जा
निंदिया प्यारी, आ जा तू
गुन-गुन गाना
थम-थम-थम
चंदा प्यारे आ जाओ
चांदनी की चादर
आख बंद कर राजदुलारी
11
ब्रजकिशोर नारायण मेरी बिटिया सो जा
22
12
निरंकारदेव सेवक मेरा मुन्ना बड़ा सयाना
23
लक्ष्मीदेवी चंद्रिका सो जा ललना, सो जा ललना
24
राष्ट्रबंधु कंतक थैयां घुनूं मनइयां
25
15
पद्मा सचदेव सो जा बिटिया सो जा रानी
26
जो कली सो गई रात को
16
विनोदचंद्र पांडेय 'विनोद' मुन्ना! सो जा
28
17
जगदम्बा चोला चंदा मामा दूर के
29
सांझ ढले पंखा झले
तुझे चांद कहूं या सूरज
चंदन का पलना है
लल्ला-लल्ला लोरी
धीरे से आ जा री
18
शंकुतला कालरा सो जा कान्हा श्याम सलोना
35
ठुमक-ठुमककर चलें हवाएं
19
उषा यादव तू सो जा, मेरी लाडली
37
सुनते-सुनते लोरी
सो जाओ अब
चंदन का पालना
20
प्रकाश मनु सो जा बिटिया
41
बिटिया रानी सोएगी
गुड़िया सोई है
21
भगवती प्रसाद द्विवेदी निंदिया आ री
44
सो जा ओ बिटिया रानी
अनामिका 1. दो लोरी गीत : गर्भस्थ शिशु के लिए
46
क. निंदिया का एक द्वीप रच दूं
ख. आधा अंधेरा है, आधा उजाला है
2. सो जा मेरी नन्ही सिहरन
अलका सिन्हा अंखियों में आ जा निंदिया
50
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