Item Code: | GPA112 |
Author: | Jayadayal Goyandka |
Publisher: | Gita Press, Gorakhpur |
Language: | Sanskrit Text With Hindi Translation |
Edition: | 2013 |
ISBN: | 9788129305718 |
Pages: | 144 |
Cover: | Paperback |
Other Details | 8.0 inch X 5.5 inch |
Weight | 120 gm |
प्रकाशकीय निवेदन
'अमूल्य समयका सदुपयोग ' नामक यह पुस्तक सहृदय पाठकोंके हाथोंमें समर्पित करते हुए हमें हर्ष हो रहा है । इसमें भगवत्प्राप्त श्रीजयदयालजी गोयन्दकाके दस प्रवचनोंका संग्रह है । ये प्रवचन (अन्तिमको छोड्कर शेष) प्राचीन कैसेटोंसे तैयार कराकर समय- समयपर ' कल्याण ' में प्रकाशित किये गये हैं । अब इन्हें पुस्तकरूपमें प्रकाशित किया जा रहा है । आत्म-कल्याणके पथपर चलनेवाले साधकोंके लिये प्रस्तुत पुस्तक परम उपयोगी है और आवश्यक भी । हमें विश्वास है कि यह पुस्तक साधकोंके लिये अच्छा मार्गदर्शक सिद्ध होगी ।
'अमूल्य समयका सदुपयोग ' शीर्षक प्रवचनमें साधक पायेंगे कि किस प्रकार भगवत्यप्राप्तिके उद्देश्यसे किये गये प्रयत्नोंमें समय लगाना ही समयका सदुपयोग है । इसीमें मानव-जीवनकी सार्थकता है । ' भगवद्भक्त महात्माका स्वरूप एवं प्रभाव ' शीर्षकमें संतोंके स्वरूप, लक्षण और अनुभवोंका विशद विवेचन है । भगवान्की अकारण करुणा, भगवान्का ध्यान कैसे किया जाए, नीति, ज्ञान, भक्ति, वैराग्य, आत्मोत्थान आदि विषयोंका विवेचन पुस्तकमें सम्यक् रूपसे हुआ है जो सभीके लिये प्रेरक एवं लाभदायक है ।
संपादन और प्रकाशन संबंधी अपनी सीमा और लघुताके लिये हम क्षमा प्रार्थी हैं । अपनी ओरसे केवल इतना ही कि जो बन पड़ा वह भगवत्कृपा और जो कमियाँ रह गयी हैं उनका उत्तरदायित्व हमारा । अत: पाठकोंसे नम्र निवेदन है कि प्रस्तुत पुस्तककी भूलोंकी तरफ हमारा ध्यान आकर्षित करें, ताकि अगले संस्करणमें विचारकर सुधारा जा सके ।
पूज्य श्रीजयदयालजी गोयन्दकाके प्राचीन प्रवचनोंके कैसेटसे कुछ और नयी पुस्तकोंके प्रकाशनकी योजना है ।
विषय-सूची |
||
1 |
अमूल्य समयका सदुपयोग |
5 |
2 |
भगवद्भक्त महात्माका स्वरूप एवं प्रभाव |
21 |
3 |
भगवान्की दयाका रहस्य |
34 |
4 |
भगवान्का हेतुरहित सौहार्द |
48 |
5 |
भगवत्प्रेमकी प्राप्ति कैसे हो? |
65 |
6 |
शीघ्र भगवत्प्राप्ति कैसे हो? |
79 |
7 |
भगवान्के गुण - प्रभावके तत्त्व -रहस्यका वर्णन |
98 |
8 |
भगवान् श्रीकृष्णका ध्यान |
115 |
9 |
व्यवहार -सुधार |
131 |
10 |
भगवान् के चपरासी |
140 |
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