निवेदन
गांधीजीके विचार आसान हिन्दुस्तानीमें जनताके सामने रखना 'गांधी हिन्दुस्तानी साहित्य सभा, दिल्ली' के अनेक कामोंमें से एक खास काम है । गांधीजी अकसर आसान भाषामें ही लिखते थे। उन्होंने गुजराती भाषामें जो लिखा है, वह बिलकुल सरल है । फिर भी मुमकिन है कि गुजराती, हिन्दी और दूसरी भाषाओंमें जो शब्द आसानीसे समझे जाते हैं, वे सिर्फ़ उर्दू जाननेवालोंके लिए नये हों । इसलिए अनुवादमें ऐसे शब्दोंके साथ साथ आसान उर्दू शब्द भी देना ठीक समझा है । उम्मीद है कि इस तरह उर्दू जबान हिन्दीके नजदीक आयेगी और उर्दू जाननेवाली जनता हिन्दुस्तानकी दूसरी भाषाओंका साहित्य भी आसानीसे समझ सकेगी ।
अनुक्रमणिका
निवेदन' का कालेलकर
3
मंगल-प्रभात' काका कालेलकर
5
1
सत्य
7
2
अहिंसा
11
ब्रह्माचार्य
15
4
अस्वाद
20
अस्तेय (चोरी न करना)
25
6
अपरिग्रह (जमा न रखना)
29
अभय
33
8
अस्पृश्यता-निवारण
36
9
खान-मेहनत
40
10
सर्वधर्म-समभाव -1
43
सर्वधर्म-सभभाव -2
46
12
नम्रता
49
13
स्वदेशी
53
14
स्वदेशी-व्रत
54
व्रतकी जरूरत
58
परिशिष्ट
62
शब्दोंके अर्थ
68
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