पुस्तक के विषय में
व्यक्ति और समाज के बीच संतुलन रहे तभी सुख समृद्धि और शांति की आशा की जा सकती है | व्यवस्था का उद्देश्य इसी संतुलन को बनाना और बनाए रखना है | व्यवस्था के लिए आवश्यकता होती है एक ऐसी आचार संहिता की जो निष्पक्ष भाव से समाज की प्रत्येक इकाई के साथ न्याय कर सके | महाराज मनु ने अपने इस ग्रंथ मनुस्मृति में कुछ इसी प्रकार की व्यवस्था का प्रतिपादन किया है | यद्द्पि समय की बदलती धारा के साथ इस ग्रंथ की कुछ व्यवस्थाएं विवादास्पद है और अब अपना अर्थ खो चुकी है फिर भी भारतीय आचार संहिता का आधारभूत ग्रंथ है यह मनुस्मृति |
बिना पढ़े समझे क्योंकि किसी ग्रंथ पर एक स्वस्थ बहस नही हो सकती इसलिए इसके श्लोको की व्याख्या करते समय टीकाकार ने अपना कोई भी पक्ष नही रखा है - सरल और सीधा सादा अनुवाद किया है बस ताकि इस ग्रंथ को पढ़कर आप अपने निष्कर्ष निकल सके |
For privacy concerns, please view our Privacy Policy
Hindu ( हिंदू धर्म ) (12480)
Tantra ( तन्त्र ) (984)
Vedas ( वेद ) (705)
Ayurveda ( आयुर्वेद ) (1884)
Chaukhamba | चौखंबा (3348)
Jyotish ( ज्योतिष ) (1440)
Yoga ( योग ) (1089)
Ramayana ( रामायण ) (1395)
Gita Press ( गीता प्रेस ) (731)
Sahitya ( साहित्य ) (22986)
History ( इतिहास ) (8206)
Philosophy ( दर्शन ) (3314)
Santvani ( सन्त वाणी ) (2537)
Vedanta ( वेदांत ) (121)
Send as free online greeting card
Email a Friend
Manage Wishlist