स्त्री को पुरुष समाज कितना भी कमज़ोर समझे, लेकिन वह कमजोर नहीं है। ओमप्रकाश वाल्मीकि ने अपनी कहानियों में ऐसी ही अदम्य साहस से परिपूर्ण स्त्रियों का चित्रण किया है। वाल्मीकि जी की कहानियों में सिर्फ दलित चिंतन ही नहीं है बल्कि स्त्री शोषण, अत्याचार आदि पर भी उनकी लेखनी उतनी ही पैनी है जितनी दलित शोषण और चिंतन को लेकर।
अपनी कहानियों के माध्यम से वाल्मीकि जी ने समाज तथा परिवार में हो रहे स्त्री शोषण का बहुत ही बारीकी से चित्रण किया है। इनकी कहानियों को पढ़कर ऐसा लगता है कि ये स्त्री चरित्र सिर्फ वाल्मीकि की कहानियों का ही प्रतिनिधित्व नहीं करतीं, बल्कि हमारे समाज की अधिकांश स्त्रियों का प्रतिनिधित्व करती हैं जो हमेशा इस समस्या से टकराती हैं। नारी शोषण की समस्या हमारे समाज में कोढ़ की तरह है जो दिन-पर-दिन घटने के बजाय बढ़ती जा रही है।
हम 21वीं सदी के प्रांगण में प्रवेश तो कर गए हैं लेकिन स्त्री के प्रति हमारा जो दृष्टिकोण है वह आज भी पुरातन है। समाज के इस नज़रिए का प्रतिरोध करती वाल्मीकि जी की ये यादगारी कहानियाँ अपने-आप में बेजोड़ हैं। उनकी यही प्रखरता दलित साहित्य को एक नया आयाम देती है।
30 जून 1950 को मुजफ्फरनगर (उत्तर प्रदेश) जिले के बरला गाँव में एक अछूत वाल्मीकि परिवार में जन्मे ओमप्रकाश वाल्मीकि वर्तमान दलित साहित्य के प्रतिनिधि रचनाकारों में से एक हैं। वाल्मीकि कुछ समय तक महाराष्ट्र में रहे। वहाँ वे दलित लेखकों के संपर्क में आए और उनकी प्रेरणा से भीमराव अंबेडकर की रचनाओं का अध्ययन किया। इससे उनकी रचना-दृष्टि में बुनियादी परिवर्तन हुआ। वे देहरादून स्थित आर्डिनेंस फैक्टरी में एक अधिकारी के रूप में काम करते हुए अपने पद से सेवानिवृत्त हुए।
उन्हें सन् 1993 में डॉ अंबेडकर राष्ट्रीय पुरस्कार, सन् 1995 में परिवेश सम्मान, न्यू इंडिया बुक पुरस्कार 2004, कथाक्रम सम्मान 2001, 8वाँ विश्व हिंदी सम्मलेन 2006 न्यूयॉर्क, अमेरिका सम्मान और साहित्यभूषण पुरस्कार (2008-09) से अलंकृत किया गया।
For privacy concerns, please view our Privacy Policy
Hindu ( हिंदू धर्म ) (12500)
Tantra ( तन्त्र ) (987)
Vedas ( वेद ) (705)
Ayurveda ( आयुर्वेद ) (1893)
Chaukhamba | चौखंबा (3352)
Jyotish ( ज्योतिष ) (1444)
Yoga ( योग ) (1093)
Ramayana ( रामायण ) (1390)
Gita Press ( गीता प्रेस ) (731)
Sahitya ( साहित्य ) (23054)
History ( इतिहास ) (8222)
Philosophy ( दर्शन ) (3384)
Santvani ( सन्त वाणी ) (2532)
Vedanta ( वेदांत ) (120)
Send as free online greeting card
Email a Friend
Manage Wishlist