डॉ. कुमार ऋषितोष : नालंदा में स्व. श्री नागेश्वर प्रसाद अंबष्ठके छोटे पुत्र के रूप में जन्में तबला वादक डॉ. ऋषितोष को संगीत की प्रेरणा अपनी माता श्रीमती उर्मिला सिन्हा से मिली! अपने तबला वादन की विधिवत शिक्षा गुरु शिष्य परम्परा के तहत बनारस घराने के विश्वविख्यात तबला महर्षि पण्डित छोटे लाल मिश्र जी से प्राप्त की है! इनके निर्देशन में ही इन्होनें बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय से B. Mus. एवं M. Mus.की उपाधि भी प्राप्त की है! आप बिहार के पहले तबला वादक है जिन्हे उच्च शिक्सा हेतु UGC के द्वारा फेलोशिप अवार्ड प्रदान किया एवं इसके तहत दिल्ली विश्वविद्यालय के संगीत विभाग ताल वाद्यों के साथ नए प्रयोग कर चुके डॉ. ऋषितोष कई विश्वविद्यालयों CBSe Board एवं CCRT जैसे कई संस्थाओं में परीक्षक, निर्णयक मंडल एवं सलाहकार के रूप में भी जुड़े हुए है! तालमणि (मुंबई), संगीत साधक, नाद साधक, संगीत रत्न, तबला श्री (दिल्ली), ताल चक्रवर्ती (कोटा), मृदंग विद्वान कुम्बाकोनम पी. संग्राम पिल्लै ताल भक्ति अवार्ड जैसे विभिन्न उपाधियों से पुरस्कृत एवं सम्मानित डॉ. ऋषितोष भारत सरकार के संस्कृति विभाग से नेशनल फेलोशिप अवार्ड भी प्राप्त कर चुके है! दिल्ली सरकार के साहित्य कला परिषद के संगीत कार्यशालाओं में ६ वर्ष निर्देशक रहे चुके डॉ. ऋषितोष टीचिंग एसोसिएट के तहत बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के संगीत संकाय में तीन वर्ष अध्यापन का भी कार्य किया है! इनके द्वारा लिखित कई संगीत विषयक शोधपूर्ण लेख राष्ट्रीय पात्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहे है! इनकी कई पुस्तकें प्रकाशित हुए है! जिनमें पहली पुस्तक संगीत शिक्षण के विविध आयाम को अच्छी प्रसिद्धि प्राप्त हुई है एवं दूसरी पुस्तक तबले का उद्गम एवं दिल्ली घराना - प्राचीन बंदिशों का संचयन है! केंद्रीय संगीत नाटक अकादेमी एवं ICCR द्वारा आयोजित विशेष कार्यक्रम मं डॉ. ऋषितोष द्वारा रचित एवं निर्देशित रीदम डिवाइन व ले अभिव्यक्ति की अच्छी ख्याति प्राप्त हुई है! XIX वें कॉमनवेल्थ गेम्स में उद्घाटन समारोह मं शिरकत कर चुके डॉ. ऋषितोष चीन और भारत के बीच राजनयिक संबंधों की ६० वी वर्षगांठ के अवसर पर अपने तबला वादन से भारत का प्रनिधित्व भी कर चुके है! सम्प्रति डॉ. ऋषितोष दिल्ली विश्वविद्यालय के संगीत विभाग में तबला के असिस्टेंट प्रोफेसर है एवं सांस्कृतिक संस्था नादओरा के संस्थापक अध्यक्ष के रूप में विगत ९ वर्षों से दिल्ली में अखिल भारतीय संगीत समारोह का आयोजन सफलतापूर्वक कर रहे है तथा बनारस घराने के पारम्परिक विद्या द्वारा ने पीढ़ियों को निरंतर प्रशिक्षित कर रहे है!
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