इन थोड़े से पृष्ठों में संत मत अर्थात् राधास्वामी पंथ की आध्यात्मिक शिक्षा का वर्णन संक्षेप में मगर व्याख्या के साथ किया गया है । साथ साथ सुरत शब्द के अभ्यास का महत्व, आवश्यक्ता और लाभ पर भी प्रकाश डाला गया है। यह पुस्तक उस समय लिखी गई थी जब लेखक पूर्वी देशों में भ्रमण कर रहा था ।
इसमें सन्देह नहीं कि संतों की शिक्षा दिन के प्रकाश की तरह स्पष्ट है और इसी स्थिति में वह अत्यन्त सम्मान योग्य व ध्यान देने का विषय हैं मगर जो पंथाइयों और अभ्यासियों के वर्ग से बाहर हैं उनको इस तक पहुंचने का अवसर नहीं मिलता और विशेष कर जो बिना समझे बूझे हर बात पर नुक्ताचीनी करने के आदी हैं वह हमेशा ही बंचित रहे हैं। यह बात आज की नहीं है और न इस मार्ग पर आज से क्रियान्वित होना आरम्भ हुआ है किन्तु सदा से शिक्षा के मोती को अनाधिकारियों से गुप्त रखा गया है। जहां कहीं और जब कभी ध्यान योग की शिक्षा का क्रम चालू हुआ है इस बात का लिहाज भी होता रहा है । परम संत कबीर साहब जिन के विश्वव्यापी सिद्धान्त और उच्च विचार को दुनिया मानती है धर्मदास जी को शिक्षा देते समय कहते हैं:--
धर्मदास कबीर साहब के चेलों में सबसे बड़े और सम्मान योग्य समझे जाते हैं। धार्मिक और आध्यात्मिक जगत की प्रसिद्ध ज्ञाता मेडम व्लेवटस्की (थ्योसोफीकल सोसाइटी की संस्थापक) ने सुरत शब्द योग के सम्बन्ध में खोज करते हुये इस विषय पर (बौद्धों में) 29 पुस्तकों का पता लगाया और उसके विषय पर एक संक्षिप्त मासिकपत्र लिखा है जिसका नाम वाइस आफ साइंस ( हकीकत की आवाज) रखा है। इसकी भूमिका में इसने भी इसी प्रकार के विचार प्रकट किये हैं। उपरोक्त पुस्तकों के छटे हुये लेख के अनुवाद के समय उसको मानना पड़ा है कि ऐसी दुनिया के लिये जिस का अन्त इन्द्रियों के मण्डल तक सीमित है जो अत्यन्त स्वार्थी है, इनका अनुवाद करना व्यर्थ है क्योंकि ऐसी उच्च कोटि की शिक्षा से लाभ उठाने के लिये किसी प्रकार तत्पर नहीं है। न उसको असली रंग में ग्रहण करने की इच्छुक है। जब तक मनुष्य आत्मज्ञान के प्राप्त करने को पूर्णतया तैयार न हो वह इस प्रकार की शिक्षा के सुनने की ओर ध्यान न करेगी। मौलाना जलालुद्दीन रूमी सूफियों के आचार्य इसी हिदायत और नियम का वर्णन करते हैं। उनके एक शेर का अर्थ यह है कि यदि सुनने वाला नहीं है तो चुप रहना अच्छा है। अनाधिकारियों से आत्म रहस्य को गुप्त रखने में ही भलाई है। यह ठीक है कि अधिकारी कम हैं मगर साथ ही कहा जा सकता है कि दुनियाँ में अधिकारियों का नितान्त ही अभाव नहीं है। ऐसे लोग भी हैं जो बड़ी गम्भीरता से आत्म-ज्ञान के मसलों पर सोच विचार करते हैं और दृढ़ता और परिश्रम के साथ इसके प्राप्त करने की ओर आकर्षित होते हैं ।
For privacy concerns, please view our Privacy Policy
Hindu (हिंदू धर्म) (12543)
Tantra ( तन्त्र ) (996)
Vedas ( वेद ) (708)
Ayurveda (आयुर्वेद) (1901)
Chaukhamba | चौखंबा (3354)
Jyotish (ज्योतिष) (1450)
Yoga (योग) (1100)
Ramayana (रामायण) (1391)
Gita Press (गीता प्रेस) (731)
Sahitya (साहित्य) (23137)
History (इतिहास) (8251)
Philosophy (दर्शन) (3392)
Santvani (सन्त वाणी) (2555)
Vedanta ( वेदांत ) (120)
Send as free online greeting card
Email a Friend
Manage Wishlist