बाईस परिषह जैन दर्शन में चरणानुयोग का विषय हैं। वर्तमान काल बा या पंचमकाल में महाव्रतों जैसे (अहिंसा, सत्य, अचौर्य, ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह) की साधना बहुत कठिन हैं, क्योकि पंचम काल में जीव हीन संहनन के धारी हैं, फिर भी कर्म क्षय की भावना रखने वाले साधक हर कठिनाइयों का सामना करने के लिए तैयार हो जाते हैं। पंचम काल में मोक्ष नहीं है, परन्तु मोक्ष का मार्ग जरूर है। मार्ग के बिना मंज़िल नहीं मिलती। मोक्ष पाना सरल है, पर मार्ग पर चलना कठिन है, क्योंकि बाईस परिषह मोक्ष मार्ग में है, मोक्ष में नहीं। मोक्ष तो शाश्वत है, मार्ग सदैव खुला हुआ है।
जैन दर्शन में इन बाईस परिषह का विशेष स्थान है। कारण जब तक मोक्ष मार्ग पर चलने वाला इनको अंगीकार नहीं करेगा, तब तक वह निराकुलता से अपने धर्म ध्यान में लीन नहीं सकता है।
For privacy concerns, please view our Privacy Policy
Hindu (हिंदू धर्म) (12551)
Tantra ( तन्त्र ) (1004)
Vedas ( वेद ) (708)
Ayurveda (आयुर्वेद) (1902)
Chaukhamba | चौखंबा (3354)
Jyotish (ज्योतिष) (1455)
Yoga (योग) (1101)
Ramayana (रामायण) (1390)
Gita Press (गीता प्रेस) (731)
Sahitya (साहित्य) (23143)
History (इतिहास) (8257)
Philosophy (दर्शन) (3393)
Santvani (सन्त वाणी) (2593)
Vedanta ( वेदांत ) (120)
Send as free online greeting card
Email a Friend
Manage Wishlist