बच्चों की सुभद्रा: Poems for Children by Subhadra Kumari Chauhan

Express Shipping
$13.50
$18
(25% off)
Express Shipping: Guaranteed Dispatch in 24 hours
Quantity
Delivery Usually ships in 3 days
Item Code: NZD222
Publisher: National Book Trust, India
Author: चन्द्रा सदायत (Chandra Sadayat)
Language: Hindi
Edition: 2020
ISBN: 9788123748580
Pages: 32 (Throughout Color Illustrations)
Cover: Paperback
Other Details 9.5 inch X 7.0 inch
Weight 120 gm
Fully insured
Fully insured
Shipped to 153 countries
Shipped to 153 countries
More than 1M+ customers worldwide
More than 1M+ customers worldwide
100% Made in India
100% Made in India
23 years in business
23 years in business
Book Description
भूमिका

आजादी का अलख जगाने वाली स्वतंत्रता सेनानी और हिन्दी की अत्यंत लोकप्रिय कवयित्री सुभद्रा कुमारी चौहान का जन्म 16 अगस्त 1904 को इलाहाबाद के निहालपुर मुहल्ले में हुआ । उनकी शिक्षा इलाहाबाद के क्रास्टवेट स्कूल में हुई, जहां उन्हें महादेवी वर्मा जैसी दोस्त मिलीं । महादेवी जी उस समय पांचवीं कक्षा की छात्रा थीं और सुभद्रा जी सातवीं कक्षा की । दोनों की दोस्ती आजीवन कायम रही। आठवीं कक्षा में ही सुभद्रा जी का विवाह खंडवा निवासी ठक्कर लक्ष्मण सिंह से हुआ और ससुराल चले जाने की वजह से उनकी पढ़ाई बीच में ही छूट गई, वे उच्च शिक्षा प्राप्त नहीं कर सकीं ।

सन् 1920 में गांधी जी के आहान पर वे पति के साथ आजादी के आदोलन में कूद पड़ी । आजादी के लिए लड़ने के कारण उन्हें कई बार घर-परिवार और बाल-बच्चों को छोड्कर जेल जाना पड़ा । उन्होंने संघर्ष का यह रास्ता तब चुना था जब देश की अधिकांश स्त्रियां पर्दा प्रथा और अन्य सामाजिक रूढ़ियों की जंजीरों में जकड़ी हुई थीं ।

सुभद्रा जी बचपन में ही तुकबंदियां करने लगी थीं । उनकी पहली कविता 'नीम' नाम से सन् 1913 में हिन्दी की प्रतिष्ठित प्रत्रिका 'मर्यादा' में छपी, उस समय वे मात्र नौ वर्ष की थीं । धीरे-धीरे उनकी राजनीतिक और सामाजिक सक्रियता, उनकी लेखनी द्वारा रचनात्मक अभिव्यक्ति पाने लगी । राजनीतिक पराधीनता ही नहीं, सामाजिक रूढ़ियों के खिलाफ भी वे आजीवन लड़ती रहीं । चवालिस वर्ष की उम्र में 15 फरवरी 1948 को कार दुर्घटना में उनका निधन हो गया ।

सुभद्रा जी ने अपने जीवन में जो कुछ किया या कहा, उसे पहले अपने आचरण में उतारा । उनकी कथनी और करनी में भेद न था । जाति बंधन की सारी सीमाओं को तोड़ते हुए उन्होंने अपनी बड़ी बेटी सुधा का विवाह बिना दान-दहेज के प्रेमचंद के पुत्र अमृतराय से किया । विवाह के समय उन्होंने कन्यादान करने से इनकार कर दिया । कहा कि मनुष्य, मनुष्य का दान नहीं कर सकता, विवाह के बाद भी वह बेटी मेरी ही रहेगी ।

उन्हें जो न्यायोचित लगता था उसे पाने के लिए वे जी जान से भिड़ जाती थीं, और पाकर ही रहती थीं । स्वभाव से वे सरल, मिलनसार और सुन की पक्की थीं ।

उनकी लोकप्रियता का कारण उनकी सहज आत्मीयता और लोक भावनाओं से गहरा जुड़ाव था । उनके साहित्य का प्रमुख स्वर है स्वाधीनता की चेतना था, जिसकी अभिव्यक्ति उनके देश-प्रेम, सामाजिक रूढियों का विरोध, स्त्री चेतना तथा साहस और बलिदान के रूप में हुई । प्रकृति और प्रेम के विविध चित्र भी उनके साहित्य में अंकित हुए हैं । उन्होंने अपनी रचनाओं में पारिवारिक जीवन की सहज और सुंदर झांकी प्रस्तुत की है । इसी झांकी को दर्शाते हुए उन्होंने बच्चों के लिए कुछ बहुत अच्छी कविताएं लिखी हैं । अपने बच्चे के खेलकूद, पढ़ाई-लिखाई, लड़ाई-झगड़े सभी कुछ उनके सामने होते थे और वे अपने विनोदी स्वभाव के कारण उनमें आनंद पाती थीं । बच्चों के साथ वे अपने बचपन को फिर से जी रही थीं । बच्चों के अपने जीवन के जाने-पहचाने और परिचित प्रसंगों को ही सुभद्रा जी ने अपनी कल्पना से, अपनी कला से पुनर्सृजित किया है। वहां खिलौने हैं, पतंग है, कोयल है, बांसुरी है, रूठना है, रोना है, शिकायत है, मान-मनौवल है, कल्पना की ऊंची उड़ान है, बच्चों की शरारत और नटखटपन तथा मां की ममता भी है ।

सुभद्रा जी की बाल कविताओं का महत्व यह जानने के लिए भी है कि एक मां और एक स्त्री कवि बच्चों के बारे में क्या सोचती और लिखती है । एक मां बाल सुलभ क्रीड़ाओं का जितना सूक्ष्म अवलोकन कर सकती है, उतना कोई पुरुष रचनाकार नहीं कर सकता ।

बच्चों में सहज जिज्ञासा वृत्ति होती है, जिज्ञासा प्रश्नों को जन्म देती है और वे प्रश्न उत्तर की अपेक्षा रखते हैं । इस बात को जानने वाला ही श्रेष्ठ बाल साहित्य रच सकता है । सुभद्रा जी ने इसे पहचाना था । उनकी अधिकांश बाल कविताओं में मां के साथ बच्चे का सहज आत्मीय संवाद है, जिनमें उसकी जिज्ञासा, कौतूहल और कल्पनाशीलता व्यक्त हुई है । इन कविताओं का उद्देश्य है बच्चों की कल्पना और उनकी तर्कशीलता को जगाना, उनके सोच-विचार को गतिशील बनाना और उनमें अपने आस-पास के परिवेश और प्रकृति के प्रति साहचर्य तथा प्रेमभाव पैदा करना ।

बच्चों की सुभद्रा नामक इस संग्रह में उनकी बाल कविताओं के साथ 'झांसी की रानी' भी शामिल की गई है जो बच्चों और बड़ों, दोनों में समान रूप से लोकप्रिय है । आशा है यह संग्रह बच्चों को अपनी विरासत से जोड्ने और सार्थक जीवनमूल्यों को आत्मसात करने में सहायक होगा ।

contents

1भूमिका5
2कोयल7
3रामायण की कथा8
4पानी और धूप10
5खिलौने वाला12
6कोयल14
7पतंग15
8कदंब का पेड़16
9बांसुरी वाला18
10मुन्ना का प्यार20
11अजय की पाठशाला22
12कुट्टी24
13नटखट विजय25
14सभा का खेल26
15झांसी की रानी28

Sample Pages





Frequently Asked Questions
  • Q. What locations do you deliver to ?
    A. Exotic India delivers orders to all countries having diplomatic relations with India.
  • Q. Do you offer free shipping ?
    A. Exotic India offers free shipping on all orders of value of $30 USD or more.
  • Q. Can I return the book?
    A. All returns must be postmarked within seven (7) days of the delivery date. All returned items must be in new and unused condition, with all original tags and labels attached. To know more please view our return policy
  • Q. Do you offer express shipping ?
    A. Yes, we do have a chargeable express shipping facility available. You can select express shipping while checking out on the website.
  • Q. I accidentally entered wrong delivery address, can I change the address ?
    A. Delivery addresses can only be changed only incase the order has not been shipped yet. Incase of an address change, you can reach us at [email protected]
  • Q. How do I track my order ?
    A. You can track your orders simply entering your order number through here or through your past orders if you are signed in on the website.
  • Q. How can I cancel an order ?
    A. An order can only be cancelled if it has not been shipped. To cancel an order, kindly reach out to us through [email protected].
Add a review
Have A Question

For privacy concerns, please view our Privacy Policy

Book Categories