पुस्तक के विषय में
साहित्य अकादेमी राष्ट्रीय महत्व की संस्था है, जिसकी स्थापना भारत सरकार ने सन् 1954 में की थी । यह एक स्वायत्त संस्था है, जिसकी नीतियाँ अकादेमी की परिषद् द्वारा निर्धारित होती हैं। परिषद् में विभिन्न भारतीय भाषाओं, राज्यों और विश्वविद्यालयों के प्रतिनिधि होते हैं।
साहित्य अकादेमी का प्रमुरव उद्देश्य है भार- तीय भाषाओं की साहित्यिक गतिविधियों का समन्वयन और उन्नयन करना और अनुवादों के माध्यम से विभिन्न भारतीय भाषाओं में उपलब्ध उत्तम साहित्य को समग्र देश के पाठकों तक पहुँचाना। अपने इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए साहित्य अकादेमी ने एक विस्तृत प्रकाशन-योजना हाथ में ली है । इस योजना के अंतर्गत जो ग्रंथ प्रकाशित हो चुके हैं उनकी सूची साहित्य अकादेमी के विक्रय-विभाग से प्राप्त की जा सकती है।
व्यापक अर्थों में कह जाए तो 1850 के बाद सौ वर्षों तक की अवधि मलयालम साहित्य का स्वर्णकाल है क्योंकि इस अवधि मे ही केरल वर्मा, ए० आर० राजराज वर्मा, चदू मेनन, सी० वी० रामन पिल्लै तथा 'कवित्रयम्' आशान-उल्लूर-वल्लत्तोल जैसे प्रतिभावान सामने आए और उन्होने ऐसा साहित्य प्रस्तुत किया जो हर तरह से महान् था।
केरल वर्मा और राजराज वर्मा वास्तव में शिखरबिंदु थे और उनका स्थान अप्रतिम है। राजराज वर्मा की विद्वत्ता और रचनात्ममक प्रतिभा विरली थी वह केरल में महान् साहित्यिक पुनर्जागरण की आत्मा थे।
ए० आर० राज राज वर्मा के बारे मे उल्लूर का कथन है, 'यदि अन्य लोगों ने अपनी रंगकला और चित्रकला से मलयालम सहित्यागार की दीवालों पर कसीदाकारी की तो ए० आर० ने उस की नीव और गु बद दोनो पर श्रम किया तथा केरल की जनता के हित के लिए उस साहित्य की संरचना को दीर्घ स्थायी बनाया। उनकी प्रसिद्धि इसी स्थापत्यविषयक कौशल पर निर्भर है और हमेशा रहेगी।'
इस पुस्तक के लेखक प्रसिद्ध विद्वान और अलोचक डॉ० के० एम० जॉर्ज है, जो कई रूपों में साहित्य अकादेमी के साथ सबद्ध रहें अंग्रेजी और मलयालम मे अनेक रचनाओं के अतिरिक्त डॉ० जॉर्ज ने साहित्य अकादेमी के लिए दो पुस्तकें लिखी एक इसी श्रृंखला में कुमारन आशान तथा दूसरी का शीर्षक है 'वेस्टर्न इन्फ्लुएन्स आन मलयाल लैंग्वेज एंड लिटरेचर' ।
अनुक्रम
1
पृष्ठभूमि
9
2
रचनाकाल
13
3
शिक्षक और शोधकर्त्ता
21
4
जीवन का चरमोरंकर्ष
27
5
भाषा और साहित्य संबंधी कृतियाँ
33
6
अनुवाद
45
7
रचनात्मक और आलोचनात्मक लेखन
51
8
साहित्यिक पुनर्जागरण के अग्रदूत
58
घटनाक्रम
68
संदर्भ ग्रंथसूची
70
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