मुझे असीम प्रसन्नता है कि ईश्वर के अनुग्रह से संगीत के प्रयोगात्मक पक्ष पर लिखित पुस्तक 'राग-रहस्य' का प्रथम खंड पाठकों के समक्ष प्रकाशित होकर आ गया है। इस प्रकार की पुस्तक प्रकाशित करने का यह मेरा पहला प्रयास है जिसका साहस मैंने अपने पूज्य पिताजी आचार्य बृहस्पति के आशीर्वाद से ही किया है।
बचपन से ही पिताश्री की छत्रछाया में पला, हर समय मैं संगीत-विषयक चर्चा सुना करता था। संगीत विषय से अनभिज्ञ होने पर भी उन विद्वानों की बातचीत में बड़ा आनन्द आता था। मुझे खेद है कि पिताजी के जीवन काल में मैं कुछ नहीं कर सका। अब चेष्टा कर रहा हूं कि उनके द्वारा लिखित सरस और उपयोगी सामग्री को प्रकाशित करके, साहित्य-संगीत की कुछ सेवा करके, पिताजी की आत्मा को किचित शान्ति दे सकूं। उनकी इच्छानुसार श्रृंखला की प्रथम कड़ी 'राग-रहस्य' भाग १ अपने पूज्य पिताश्री को ही सर्मापत करता हूं। भविष्य में इस श्रृंखला की आगामी कड़ियां प्रकाशित करने का मेरा प्रयत्न होगा।
इस पुस्तक को प्रकाशित करने में कुमारी सरयू कालेकर, अध्यक्ष, संगीत विभाग, राजकीय महिला कालेज, चंडीगढ़, ने अपने व्यस्त जीवन से समय निकाल कर प्रूफ रीडिंग आदि का जो महत्त्वपूर्ण व श्रम-साध्य कार्य किया है उसके लिए मैं उनका आभारी हूं। पुस्तक प्रकाशन के लिए 'संगीत नाटक एकेडमी' नई दिल्ली ने जो आर्थिक सहयोग दिया उसके लिए मैं उन्हें धन्यवाद देता हूं। मैं आभारी हूं श्री सुरेशचन्द्र अग्रवाल, रूपाभ प्रिंटर्स, दिल्ली का जिनके सहयोग के बिना यह पुस्तक आप तक पहुंचना मुश्किल थी।
सुविज्ञ पाठकों से निवेदन है कि प्रकाशन की त्रुटियों से मुझे अवगत कराएँ, ताकि भविष्य में उसका सुधार कर सकूं ।
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