भगवतीचरण वर्मा रेखा
व्यक्ति के गुह्यातम मनोवैज्ञानिक चरित्र चित्रण के लिए सिद्धहस्त प्रख्यात लेखक श्री भगवतीचरण वर्मा ने इस उपन्यास में शरीर की भूख से पीड़ित एक आधुनिक, लेकिन एक ऐसी असहाय नारी की करुण कहानी कही है जो अपने अंतर के संघर्षों में दुनिया के सब सहारे गँवा बैठी । रेखा ने श्रद्धातिरेक से अपनी उस से कहीं बड़े उस व्यक्ति से विवाह कर लिया जिसे वह अपनी आत्मा तो समर्पित कर सकी, लेकिन जिसके प्रति उसका शरीर निष्ठावान् नहीं रह सका ।
शरीर के सतरंगी नागपाश और आत्मा के उत्तरदायी संयम के बीच हिलोरें खाती हुई रेखा एक दुर्घटना की तरह है, जिसके लिए एक ओर यदि उसका भावुक मन जिम्मेदार है, तो दूसरी ओर पुरुष की वह अक्षम्य कमजोरी भी जिसे समाज स्वाभाविक कहकर बचना चाहता है ।
वस्तुत रेखा जैसी युवती के बहाने आधुनिक भारतीय नारी की यह दारुण कथा पाठकों के मन को गहरे तक झकझोर जाती है ।
लेखक परिचय
जन्म 30 अगस्त, 1903
जन्मस्थान उन्नाव जिले (उ.प्र.) का शफीपुर गाँव, इलाहाबाद से बीए., एल.एल.बी. । प्रारम्भ में कविता लेखन । फिर उपन्यासकार के नाते विख्यात । 1933 के करीब प्रतापगढ़ के राजा साहब भदरी के साथ रहे । 1936 के लगभग फिल्म कार्पोरशन, कलकत्तामें कार्य । कुछ दिनों विचार नामक साप्ताहिक का प्रकाशन सम्पादन । इसके बाद बम्बई में फिल्म कथालेखन तथा दैनिक नवजीवन का सम्पादन । फिर आकाशवाणी के कई केन्द्रों में कार्य । बाद में, 1957 में मृत्यु पर्यंत स्वतंत्र साहित्यकार के रूप में लेखन । चित्रलेखा उपन्यासपर दो बार फिल्म निर्माण और भूले बिसरे चित्र साहित्य अकादमी से सम्मानित । पद्मभूषण तथा राज्यसभा की मानद सदस्यता प्राप्त ।
प्रकाशित पुस्तकें अपने खिलौने पतन तीन वर्ष चित्रलेखा भूले बिसरे चित्र टेढे मेढ़े रास्ते सीधी सब्बी बातें सामर्थ्य और सीमा रेखा वह फिर नहीं आई सबहिं नचावत राम गोसाई प्रश्न और मरीयिका युवराज चूण्डा, धुप्पल (उपन्यास) प्रातिनिधि कहानियाँ मेरी कहानियाँ मोर्चाबंदी तथा समूर्ण कहानियाँ (कहानी संग्रह) मेरी कविताएँ सविनय और एक नाराज़ कविता (कविता संग्रह) मेरे नाटक वसीयत (नाटक) अतीत के गर्त वे कहि न जाय का कहिए (संस्मरण) साहित्य के सिद्धात तथा छप (साहित्यालोचन), भगवतीचरण वर्मा रचनावली (14 खंड) 1
निधन 5 अक्तूबर, 1981
आवरण विक्रम नायक
मार्च 1976 में जन्मे विक्रम नायक ने एमए. (पेंटिंग) के साथ साथ वरिष्ठ चित्रकार श्री रामेश्वर बरूटा के मार्गदर्शन में त्रिवेणी कला संगम में कला की शिक्षा पाई ।
कई राष्ट्रीय एवं जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका सहित कई अन्तर्राष्ट्रीय दीर्घाओं में प्रदर्शनी ।1996 से व्यावसायिक चित्रकार व कार्टूनिस्ट के रूप में कार्यरत ।
कला के क्षेत्र में कई राष्ट्रीय, अन्तर्राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित । चित्रकला के अलावा फिल्म व नाटक निर्देशन एवं लेखन में विशेष रुचि ।
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