ग्रन्थ-परिचत
साधना सरोवर आपके उपासना उपवन के सारस्वत संकल्प का महकता मधुमय आभास एवं मंत्राराधना के कुज में प्रज्वलित सुदीप का प्रकाश पुंज है। मंत्र शक्ति के अधिष्ठाता प्रभु की परम पावन पुनीत पदरज का दिव्य तिलक है साधना सरोवर। शास्त्र वाचन अथवा मंत्र जप की अपेक्षा कहीं अधिक महत्त्वपूर्ण है, साधक एवं साधना में एकरूपता जिसे गुणात्मकता से नामांकित किया गया है। साधना शास्त्र के अध्ययन, मनन, चिन्तन के अभाव में सीधे प्रायोगिक क्षेत्र में प्रवेश करने की चेष्टा करना आत्मघाती है। आधार भूमि की अनुपस्थिति में प्रयास निष्फल ही होता है।
साधना एक तपस्या है और तपस्या श्रेयस साधन है। श्रेयसाधन कार्यों में अनेक व्यवधान उत्पन्न होते हैं परन्तु विघ्न अथवा अवरोध के आभास से भयभीत हो जाना अकल्याणकर है । यही हमारी पात्रता की परीक्षा है। साधक का विश्वास, साहस, धैर्य और सम्पूर्ण निष्ठा ही उसके सहचर हैं। मंत्र अदृश्य विज्ञान है। देवता विश्वासलभ्य है। सिद्धि पात्रता का प्रमाण है। हमारी अचल श्रद्धा की शाश्वतता ही नवशक्ति केन्द्र का निर्माण सम्पन्न करती है जिसे साधना सरोवर के छह सुरभित, सुगंधित, संज्ञानवर्द्धक अग्रांकित अध्यायों में व्याख्यायित विभाजित किया गया है-गणनायक गणेश, कृपानिधान महाबली हनुमान, भगवान विष्णु: विविध आराधनाएँ, भगवान राम की आराधना एवं मंगलकामना, देवाधिदेव महादेव: करें सहायता सदैव, दुर्गतिनाशिनी दुर्गा के दिव्य अनुष्ठान।
साधना सरोवर स्वय में एक विलक्षण ग्रन्थ है जिसमें सभी महत्त्वपूर्ण देवी और देवताओं से सम्बन्धित विविध स्तोत्र, मंत्र, पूजा विधान तथा अनुष्ठान आदि सम्मिलित किए गये हैं। वस्तुत: साधना सरोवर मंत्र शक्ति का मानसरोवर है जिसमें अवगाहन करने मात्र से ही अनुकूल देवता की उपयुक्त आराधना प्रशस्त होती है एवं साधक की समस्त अभिलाषाएँ आकाँक्षाएँ, अपेक्षाएँ और इच्छाएँ साकार स्वरूप में रूपांतरित हो उठती हैं। साधना सरोवर का सविधि अनुकरण करने से इष्ट से साक्षात्कार संभव होता है और उसके साथ ही साथ संतप्त जीवन के समस्त संत्रास मधुरिम मधुमास में रूपांतरित हो उठते हैं। मंत्र शास्त्र से सम्बन्धित समस्त जिज्ञासु पाठकों के लिए साधना सरोवर पठनीय, अनुकरणीय और संग्रहणीय ग्रन्थ है।
संक्षिप्त परिचय
श्रीमती मृदुला त्रिवेदी देश की प्रथम पक्ति के ज्योतिषशास्त्र के अध्येताओं एव शोधकर्ताओ में प्रशंसित एवं चर्चित हैं। उन्होने ज्योतिष ज्ञान के असीम सागर के जटिल गर्भ में प्रतिष्ठित अनेक अनमोल रत्न अन्वेषित कर, उन्हें वर्तमान मानवीय संदर्भो के अनुरूप संस्कारित तथा विभिन्न धरातलों पर उन्हें परीक्षित और प्रमाणित करने के पश्चात जिज्ञासु छात्रों के समक्ष प्रस्तुत करने का सशक्त प्रयास तथा परिश्रम किया है, जिसके परिणामस्वरूप उन्होंने देशव्यापी विभिन्न प्रतिष्ठित एव प्रसिद्ध पत्र-पत्रिकाओ मे प्रकाशित 460 शोधपरक लेखो के अतिरिक्त 70 से भी अधिक वृहद शोध प्रबन्धों की सरचना की, जिन्हें अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्धि, प्रशंसा, अभिशंसा कीर्ति और यश उपलव्य हुआ है जिनके अन्यान्य परिवर्द्धित सस्करण, उनकी लोकप्रियता और विषयवस्तु की सारगर्भिता का प्रमाण हैं।
ज्योतिर्विद श्रीमती मृदुला त्रिवेदी देश के अनेक संस्थानो द्वारा प्रशंसित और सम्मानित हुई हैं जिन्हें 'वर्ल्ड डेवलपमेन्ट पार्लियामेन्ट' द्वारा 'डाक्टर ऑफ एस्ट्रोलॉजी' तथा प्लेनेट्स एण्ड फोरकास्ट द्वारा देश के सर्वश्रेष्ठ ज्योतिर्विद' तथा 'सर्वश्रेष्ठ लेखक' का पुरस्कार एव 'ज्योतिष महर्षि' की उपाधि आदि प्राप्त हुए हैं। 'अध्यात्म एवं ज्योतिष शोध सस्थान, लखनऊ' तथा 'द टाइम्स ऑफ एस्ट्रोलॉजी, दिल्ली' द्वारा उन्हे विविध अवसरो पर ज्योतिष पाराशर, ज्योतिष वेदव्यास ज्योतिष वराहमिहिर, ज्योतिष मार्तण्ड, ज्योतिष भूषण, भाग्य विद्ममणि ज्योतिर्विद्यावारिधि ज्योतिष बृहस्पति, ज्योतिष भानु एव ज्योतिष ब्रह्मर्षि ऐसी अन्यान्य अप्रतिम मानक उपाधियों से अलकृत किया गया है।
श्रीमती मृदुला त्रिवेदी, लखनऊ विश्वविद्यालय की परास्नातक हैं तथा विगत 40 वर्षों से अनवरत ज्योतिष विज्ञान तथा मंत्रशास्त्र के उत्थान तथा अनुसधान मे सलग्न हैं। भारतवर्ष के साथ-साथ विश्व के विभिन्न देशों के निवासी उनसे समय-समय पर ज्योतिषीय परामर्श प्राप्त करते रहते हैं। श्रीमती मृदुला त्रिवेदी को ज्योतिष विज्ञान की शोध संदर्भित मौन साधिका एवं ज्योतिष ज्ञान के प्रति सरस्वत संकल्प से संयुत्त समर्पित ज्योतिर्विद के रूप में प्रकाशित किया गया है और वह अनेक पत्र-पत्रिकाओं में सह-संपादिका के रूप मे कार्यरत रही हैं।
श्रीटीपी त्रिवेदी ने बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय से बी एससी के उपरान्त इजीनियरिंग की शिक्षा ग्रहण की एवं जीवनयापन हेतु उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत परिषद मे सिविल इंजीनियर के पद पर कार्यरत होने के साथ-साथ आध्यात्मिक चेतना की जागृति तथा ज्योतिष और मंत्रशास्त्र के गहन अध्ययन, अनुभव और अनुसंधान को ही अपने जीवन का लक्ष्य माना तथा इस समर्पित साधना के फलस्वरूप विगत 40 वर्षों में उन्होंने 460 से अधिक शोधपरक लेखों और 70 शोध प्रबन्धों की संरचना कर ज्योतिष शास्त्र के अक्षुण्ण कोष को अधिक समृद्ध करने का श्रेय अर्जित किया है और देश-विदेश के जनमानस मे अपने पथीकृत कृतित्व से इस मानवीय विषय के प्रति विश्वास और आस्था का निरन्तर विस्तार और प्रसार किया है।
ज्योतिष विज्ञान की लोकप्रियता सार्वभौमिकता सारगर्भिता और अपार उपयोगिता के विकास के उद्देश्य से हिन्दुस्तान टाईम्स मे दो वर्षो से भी अधिक समय तक प्रति सप्ताह ज्योतिष पर उनकी लेख-सुखला प्रकाशित होती रही । उनकी यशोकीर्ति के कुछ उदाहरण हैं-देश के सर्वश्रेष्ठ ज्योतिर्विद और सर्वश्रेष्ठ लेखक का सम्मान एव पुरस्कार वर्ष 2007, प्लेनेट्स एण्ड फोरकास्ट तथा भाग्यलिपि उडीसा द्वारा 'कान्ति बनर्जी सम्मान' वर्ष 2007, महाकवि गोपालदास नीरज फाउण्डेशन ट्रस्ट, आगरा के 'डॉ. मनोरमा शर्मा ज्योतिष पुरस्कार' से उन्हे देश के सर्वश्रेष्ठ ज्योतिषी के पुरस्कार-2009 से सम्मानित किया गया ।'द टाइम्स ऑफ एस्ट्रोलॉजी' तथा अध्यात्म एव ज्योतिष शोध संस्थान द्वारा प्रदत्त ज्योतिष पाराशर, ज्योतिष वेदव्यास, ज्योतिष वाराहमिहिर, ज्योतिष मार्तण्ड, ज्योतिष भूषण, भाग्यविद्यमणि, ज्योतिर्विद्यावारिधि ज्योतिष बृहस्पति, ज्योतिष भानु एवं ज्योतिष ब्रह्मर्षि आदि मानक उपाधियों से समय-समय पर विभूषित होने वाले श्री त्रिवेदी, सम्प्रति अपने अध्ययन, अनुभव एव अनुसंधानपरक अनुभूतियों को अन्यान्य शोध प्रबन्धों के प्रारूप में समायोजित सन्निहित करके देश-विदेश के प्रबुद्ध पाठकों, ज्योतिष विज्ञान के रूचिकर छात्रो, जिज्ञासुओं और उत्सुक आगन्तुकों के प्रेरक और पथ-प्रदर्शक के रूप मे प्रशंसित और प्रतिष्ठित हैं । विश्व के विभिन्न देशो के निवासी उनसे समय-समय पर ज्योतिषीय परामर्श प्राप्त करते रहते हैं।
अनुक्रमणिका
अध्याय-1
गणनायक गणेश
1
1.1
गणपति अथर्वशीर्ष
1.2
षड्क्षर वक्रतुण्ड मंत्र प्रयोग
6
1.3
उच्छिष्ट गणपति नवार्ण मंत्र
11
1.4
श्री गणपति
18
1.5
श्रीविष्णुकृत गणेशस्तोत्रम् (मनोकामना सिद्धार्थक स्तोत्र)
19
1.6
सकल कामना सिद्धबर्थ स्तोत्रम्
(विष्णुपदिष्टं गणेशनामाष्टकं स्तोत्रमम्)
22
1.7
विघ्ननाशक श्रीराधाकृतं गणेशस्तोत्रम्
24
1.8
सिद्धिदायक सभावशीकरण मन्त्रम्
(शनैश्चरं प्रति विष्णुनोपदिष्टं संसारमोहनं गणेशकवचम्)
गणपति सूक्त
27
1.10
गणपति स्तोत्रम्
1.11
सर्वसिद्धिदायक सप्ताक्षर गणपति मंत्र
29
1.12
गणपति पूजन विस्तृत विधान परिज्ञान
1.13
श्री गणेश की वैदिक पृष्ठभूमि
45
1.14
पुराणों में श्री गणेश का देवत्व एवं कर्तृत्व
1.15
श्री गणेश सम्बन्धी उपनिषदों में श्री गणेश का देवत्व
50
1.16
गणेश के स्वरूप
54
1.17
श्री गणेश के कतिपय दुर्लभ रूप
60
1.18
श्रीगणेश के अंग-प्रत्यंगों की प्रतीकात्मकता
62
1.19
अग्रपूज्यता की महिमा
67
1.20
श्रेँ। गणेश की मोदकप्रियता
69
1.21
श्री गणेश चन्द्रमौली कैसे हुए
1.22
लक्ष्मी-पूजन में गणेश पूजा क्यों
70
1.23
श्रीगणेश के पूजन में तुलसी वर्ज्य क्यों है
71
1.24
श्रीगणेश को दूर्वा क्यों प्रिय है?
1.25
गणेश यंत्र
72
1.26
चतुर्थी तिथि और गणेशोपासना
73
1.27
महागणपत्युपनिषत्
78
1.28
गणपति-स्तोत्रम्
80
1.29
देवताओं द्वारा गणेशाराधन
81
1.30
सर्व-सिद्धि प्रदायक, विघ्नहर्ता विनायक
देवताओं द्वारा श्रीगणेश का अभिनन्दन
84
1.31
श्रीगणेश द्वारा भक्त वरेण्य को अपने स्वरूप का परिचय
85
1.32
बाल्मीकिकृत मोक्षप्रदायक (काव्याष्टक) स्तवन
87
1.33
वेदोक्त श्रीगणेश-स्तवन
89
1.34
पारमार्थिक एवं लौकिक अभीष्टों की संसिद्धि:
कतिपय सिद्ध साधनाएँ
91
1.35
अतुल ऐश्वर्य प्रदायक, प्रचुर धनदायक,
विघन्हर्ता विनायक स्तोत्र
112
1.36
भोग, पुत्र, पौत्र एवं अर्थप्रदाता गणपति स्तोत्र
(श्रीशिवा-शिव द्वारा श्रीगणेश का गुणगान)
114
1.37
साम्राज्य एवं सिद्धिदायक गणपति स्तोत्र
115
1.38
सर्वाभीष्ट एवं सकल समृद्धि हेतु एकदंत शरणागति स्तोत्र
116
1.39
श्रीमच्छंकराचार्यकृत सर्वव्याधि विनाशक पंचरत्न गणपति स्तोत्र
122
1.40
सर्वसंपत्प्रद गणपति स्तोत्रम्
124
1.41
संसारमोहन गणेश कवच
125
1.42
श्री महागणपति वज्रपंजर-कवच
126
1.43
प्रेतात्मा, भय व्याधि विनाशक विनायक आराधना
130
1.44
गणेशमातृका न्यास:
132
1.45
अथ द्वितीयप्रकारा: गणपति षड्क्षर मंत्र
134
1.46
अथ वक्रतुण्डस्य निधिप्रद एकत्रिंशदक्षर मंत्र:
135
1.47
विरिगणपति
136
1.48
हेरम्ब गणपति
137
1.49
अथ चौरगणपति प्रयोग
1.50
लक्ष्मी-विनायक मंत्र प्रयोग
139
1.51
ऋणहर्तागणपति प्रयोग
141
1.52
अथ त्रैलोक्यमोहन गणेश विधान
143
1.53
अथ हरिद्रा गणेश प्रयोग
146
1.54
अथ दशाक्षर क्षिप्रप्रसादगणपति (विघ्नराज) मंत्र
148
1.55
महागणपति मंत्र
149
1.56
वक्रतुण्डगणेश विधान
152
1.57
पार्थिवगणेश
156
अध्याय-2
कृपानिधान महाबली हनुमान
157
2.1
अनुभूत हनुमत् साधना अनुष्ठान
161
2.2
हनुमत् देवता कतिपय अनुभव सिद्ध अनुष्ठान
163
2.3
अभीष्ट की संसिद्धि हेतु अनुष्ठान विधान
164
2.4
अनुभवसिद्ध प्रयोग
167
2.5
हनुमानजी के संकटनाशक अनुष्ठान
169
2.6
हनुमन्मनचमत्कारानुष्ठान-पद्धति
174
2.7
वैरिदुष्टानां वशविच्छेदकारक मन्त्र
177
2.8
विविध अभीष्ट की संसिद्धिं हेतु हवन में
उपयोग हेतु द्रव्य पदार्थ
180
2.9
हनुमद्व्रतकथा एवं उद्यापन विधान
181
2.10
हनुमद् व्रत विधान
183
2.11
हनुमरूतोद्यापन विधान
187
2.12
अविचल हनुमत् वंदना, दीपदान साधना एवं
प्रेतविद्रावण आराधना
188
2.13
द्वादशाक्षर हनुमत् मंत्र आराधना
200
2.14
हनुमान् का अन्य द्वादशाक्षर मंत्र अनुष्ठान
202
2.15
द्वादशाक्षर हनुमन्मन्त्र आराधना
204
2.16
हनुमत् अष्टदशाक्षर मन्त्र
211
2.17
प्रपंचसारसंग्रहोक्त हनुमन्मन्त्र प्रयोग
213
2.18
मन्त्रसारोक्त हनुमन्मन्त्र
214
2.19
विचित्रवीर हनुमन्माला मंत्र
215
2.20
श्रीलांगूलास्रशत्रुंजय हनुमक्तोत्रम्
216
2.21
कतिपय सुगम हनुमत् अनुष्ठान विधान
220
2.22
रक्षाकारक यन्त्र
221
2.23
कृमिकीटादिनाशन हनुमन्मालामन्त्र
222
2.24
अथ सुदर्शनसंहितोक्त मन्त्र
223
2.25
प्रेतबाधा शमन शान्तिप्रदाता मंत्र प्रयोग
2.26
शस्त्रास्त्रविषसर्पादि भयनाशक मन
224
2.27
हनुमत् साधना एवं सिन्दूर अर्पण
2.28
प्रेतबाधा निवारणार्थ अनुष्ठान
225
2.29
आंजनेयास्त्र शत्रुमर्दन हेतु सशक्त अनुष्ठान
226
2.30
अथ हनुमद् वडवानल स्तोत्रम्
228
2.31
संकष्टमोचनस्तोत्रम्
230
2.32
सुदर्शनसंहितोक्त विभीषणकृत हनुमत् स्तोत्रम्
233
2.33
सौभाग्य हनुमन्मन्त्र
236
2.34
सुदर्शनसंहितोक्त पंचमुखहनुमत्कवचम्
238
2.35
पंचमुख हनुमत् मंत्र
240
2.36
महाबली हनुमान की प्रसन्नता के निमित्त स्तोत्र पाठ
2.37
यातनाद्धारक प्राणेश स्तोत्रम्
243
2.38
श्रीमदाद्यशंकराचार्यकृतं श्रीहनुमत्पंचरत्नस्तोत्रम्
244
2.39
एकमुखिहनुमत्कवच
245
2.40
द्वादशाक्षरी-हनुमन्मन्त्र-यन्त्र
252
अध्याय-3
भगवान विष्णु: विविध आराधनाएँ
253
3.1
नारायणाथर्वशीर्ष
3.2
आत्मरक्षार्थ प्रबल नारायण कवच
255
3.3
विष्णुपंजरस्तोत्र का कथन
266
3.4
श्रीविष्णुअपामार्जन स्तोत्र
269
3.5
ब्रह्मादिकृतं श्रीनारायणस्तोत्रम्
283
अध्याय-4
भगवान राम की आराधना एवं मंगलकामना
285
4.1
श्रीरामदुर्ग कवच की महत्ता एवं महिमा
4.2
शत्रु सैन्य पलायन मंत्रम् (त्रैलोक्यविजया विद्या)
288
4.3
त्रैलोक्यविजयप्रदकवचम्
290
4.4
नष्टराज्य प्राख्यर्थ स्तोत्रम् (मालावतीकृतं महापुरुषस्तोत्रमक्)
294
अध्याय-5
देवाधिदेव महादेव : करें सहायता सदैव
299
5.1
रुद्राभिषेक एवम् शिवाथर्वशीर्ष
5.2
शिवाथर्वशीर्ष
302
5.3
शिव ताण्डव स्तोत्र
307
5.4
पाशुपतास्त्र संज्ञान एवं स्तोत्र
311
5.5
मंत्रसहितं संसारपावनं शिवकवचम्
317
5.6
कल्याणकारी शिवस्तोत्रम् (शुक्रकृतं शिवस्तोत्रम्)
319
5.7
सर्वमनोरथ सिद्धिव्रती स्तोत्र(हिमालयकृतं शिवस्तोत्रमू- )
321
5.8
मनोकामना पूरक स्तोत्रम् (हिमालयकृतं शिवस्तोत्रमा-)
322
5.9
असितकृतं शिवस्तोत्रम्
324
5.10
पुत्रप्रद शिव स्तोत्र
325
अध्याय-6
दुर्गतिनाशिनी दुर्गा के दिव्य अनुष्ठान
327
6.1
श्रीदेव्यथर्वशीर्ष और महत्त्व
6.2
श्रीदेव्यथर्वशीर्षम्
328
6.3
सर्वसंकटनाशन अभीष्ट मनोकामनासिद्धि स्तोत्रम्
(श्रीकृष्णकृतं दुर्गास्तोत्रम्)
335
6.4
सन्तानदात्री दुर्गा स्तोत्रम् (परशुरामकृतं दुर्गासग़ेत्रम्)
338
6.5
राज्यकोपादिष्ट शमन सिद्धार्थ मन्त्रम् (ब्रह्मकृतं जयदुर्गास्तोत्रम् - एतदेव गोपीकृतं सर्वमंगलस्तोत्रम्)
343
6.6
सिद्धकुंजिका स्तोत्र संज्ञान
347
6.7
रिपुनाशनम् स्तोत्रम् (शिवकृतं दुर्गास्तोत्रम्)
352
6.8
शौक-निवृति के लिए भगवती की प्रार्थना-विधि
354
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