पुस्तक के विषय में
मानव योनि, मनुष्य के लिए ईश्वर का सब से सुंदर वरदान है। यदि एैसा है तो यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा कि एक संत का जीवन पूरी मानव जाति के लिए ईश्वर की सब से उमदा भेंट है; क्योंकि एैसे जीवन से प्रेम, शांति, विश्वास तथा कृपा की वह अनंत धारा बहती है जो हमें इस दुख भरे संसार में राहत और सहारा देती है। संतो के जीवन में प्रेम का वो जादू होता है कि उन के स्पर्श मात्र से ही हमारे हृदय और जीवन में परिवर्तन आ जाता है उन के पास वो शक्ति होती है जिस से वे साधारण लोगों को पाक और साफ बना कर ऊँचा उठा लेते हैं।
साधु वासवानी: उनका जीवनी और शिक्षाएं! आधुनिक काल के महान् संत साधु वासवानी की जीवनी है । इस जीवन की विशेषता यह है कि यह सीधी उन के महान शिष्य और उत्तराधिकारी दादा जे० पी० वासवानी की मधुर यादों से निकली है। इसलिए यह पुस्तक दोहरे आशीर्वाद से भरी है।
स्वर्ग इंतज़ार कर लेगा
साधु वासवाणीजी को कभी स्वर्ग के सुखों की चाह नहीं थी । उनकी, मुक्ति, मोक्ष, या जन्म मरण के चक्रों से मुक्त होने की कोई कामना नहीं किसीने उनसे जब पूछा था:- क्या मुक्ति से भी बढ़ कर कुछ और है? वे बोले :- मुझे मुक्ति नहीं चाहिए। मैं तो फिर फिर जन्म लेना चाहता हूँ ताकि दु:खियों और दर्द से कराहते लोगों के कुछ काम आ सकूँ । साधु वासवाणी हमें हमेशा उस संत की याद दिलाया करते हैं जिसने ईश्वरीय स्नेह के कारण मानवता की सेवा करने का व्रत ले लिया था। उनका जीवन सादगी और नि:स्वार्थ सेवा का उदाहरण था । वे असाधारण कार्यों को भी असाधारण बना देते थे।
उनका जीवन ऐसे ही स्नेहपूर्ण कार्यों के उदाहरणों से भरा हुआ है। उनके जीवन का दर्शन बहुत सरल था। प्रसन्नता प्राप्त करने की उनकी विधि थी :- पहले दूसरों को प्रसन्न करो, तो तुम स्वयं प्रसन्न हो जाओगे। उनका संपूर्ण जीवन साक्षी है कि ईश्वर स्वयं उनके रूप में मानव स्वरूप धारण करके आये थे।
आज भी उनके चित्र हमें नई प्रेरणा से भर देते हैं । उनकी आत्मीय पवित्र रोशनी हमें दिव्य आशाओं से भर देती है। वे मनुष्य के रूप में स्वयं ईश्वर थे।
दादा. जे. पी. वासवानी के सादी के संस्मरण, उनके गुरू के चरनों में ऐसे श्रद्धा सुभन हैं जो लाखों दिलों को इसकी पवित्र सुगंध से महकायेगें।
विषय सूची
1
मुझे दादा कहो
2
क्या वह मेरा भाई नहीं है?
4
3
उठ जाग मुसाफिर भोर भई!
5
चल अकेला
6
भाग्यवान परिवार
7
सब के प्रति करुणा
13
अपहरण
14
8
जैसी करनी वैसी भरनी
15
9
शिवरात्री का मेला
16
10
गुरू नानक की भक्ति
17
11
मैं भूखा रहूंगा
19
12
दृढ़ता का परिचय
21
अपने दिल के दाग कैसे धोऊंगा?
22
प्रथम संयोग
23
प्रार्थना की शक्ति
24
दृढ़ संकल्प
25
एक नया अभियान
26
18
गुरू का आदर
28
आदर्श विद्यार्थी
29
20
नज़रबंद
30
सच्चाई पहले, दर्जा पीछे
32
पितृशोक
33
गरीब के दर्द में पूरी रात बेचैन रहे
34
गुरू का प्रभाव
35
अग्नि परीक्षा
37
एक कुशल वक्ता का उदय
39
27
एक विलक्षण विद्यार्थी
41
तरुण प्रोफेसर
43
ब्रह्मचर्य व्रत की प्रतिज्ञा
44
माँ के सपने
46
31
मैं एक पथिक हूँ
48
दक्षिणेश्वर मंदिर में दिन अनुभूति
49
गुरू के श्री चरणों में
51
प्रोफेसर अब शिष्य बना
53
तिलक का कलकत्ता में आगमन
55
36
प्रतापचंद्र मुज़मदर का प्रभाव
57
रविन्द्रनाथ टैगोर के साथ
59
38
अल्लाह का आसरा
61
छुटकारा
62
40
सच्चा आनंद
65
कराची का फायदा
67
42
एक विशेष आमंत्रण
68
चट्टान की तरह दृढ़
69
दूसरी प्रतिज्ञा
71
45
मैं आप के पास आत्मा का प्राचीन संदेश लाया हूं
73
एक क्रांतिकारी मशाल
75
47
एकता से निर्माण
77
उद्दोष
79
धर्म का रहस्य
81
50
स्वयं को समर्पित करो
82
विश्वास की जीत
84
52
अहंकार से मुक्ति
85
बहुत अच्छा
86
54
माँ ने मांगी मच्छली
87
माँ क्या मैं आपका सेवक नहीं हूँ?
90
56
कूच बिहार और पटियाला में
92
प्रिंसिपल का यात्रा भत्ता
95
58
माता की अंतिम सेवा
96
मुक्ताकाश
98
60
भिक्षु वासवानी
100
एक अलौकिक देश भक्त
101
नव भारत के शिल्पी
103
63
एक फकीर की दूर दृष्टि
105
64
युवा केंद्र
108
शक्ति आश्रम
109
66
शादी का प्रस्ताव
112
सखी सत्संग
114
एक अलौकिक शिष्या
119
अप्रत्यक्ष ईश्वर में छिपा जीवन
125
70
उच्च आदर्श
129
भाग्यशाली समय
130
72
अछूतों की सेवा ही ईश्वर की सेवा है
131
मीरा आदोलन का जन्म
133
74
आत्मा के गीत
140
मीरा की समाधि पर
143
76
एक विशेष मेहमान
145
एमरेल्ड द्वीप पर
147
78
अनुराधापुर और कोलंबो में
149
नये विश्व में नारी का स्थान
151
80
सखी भंडार
153
मित्र चिंतक और मार्ग दर्शक
155
आपका सामान कहाँ है?
157
83
मुखिया की समस्या
159
बोझ उठाने वाला
160
अपराधियों के बीच
161
गणतंत्र अमर रहे
163
मुझ पर दया करो
164
88
सत्य की राह
165
89
अकेली डगर
167
वे सब को क्षमा करते थे
168
91
आज का पापी कल संत भी हो सकता है
170
फोटो एक धोखा
172
93
प्रेम करना उनका स्वभाव था
174
94
मुझे लगा मैं माँ हूँ
176
एक स्वीकृति
178
सब से गहरी वेदना
180
97
भीतर जाओ
181
सब कुछ एक ऋण है
182
99
रक्षक
183
नवयुवक की दुर्दशा
184
सब से ज्यादा खुशी का क्षण
185
102
जन्मदिन का संदेश
187
गीता का सूक्ष्म ज्ञान
189
104
दरिद्र नारायण
192
साधु-बाबा के आश्रम में
193
106
ऋषि दयानंद
196
107
भारत का संदेश
198
भागवत रत्न साधुवासवानी
202
जमशेदपुर
204
110
युवक जो प्रभु के दर्शन करना चाहता था
207
111
विधवा का दान
209
वह तुम्हारे साथ है
210
113
विनित ही धन्य हैं
212
पंडित मालवीयजी से मुलाकात
214
115
शिक्षा में हिन्दू आदर्श
217
116
रामकृष्ण मिशन में
220
117
योग संदेश का अर्थ
222
118
मानवता की आशा
223
लालच से बचने का मार्ग
224
120
पशु भी प्राणी हैं
225
121
एक मजदूर के अतिथि
226
122
स्नेह का स्तंभ
227
123
गुरूदेव के साथ एक दिन
228
124
स्वर्ग और नर्क
237
पीर पराई जाने रे
239
126
साधुत्व की परिभाषा
241
127
महान दाता
242
128
शाह लतीफ़ की मज़ार पर
244
अभय
246
फैसले की रात
248
दरवेश दादा
251
132
पुणे कर्म भूमि बना
253
पुणे में सत्संग
255
134
अंतर की आवाज सुनना चाहो तो बहरे हो जाओ
257
135
मेरा कोई शत्रु नहीं
258
136
सेवा का फल
259
137
कहां है आपका घर
260
138
प्रेम का चमत्कार
262
139
करुणा का सागर
263
निर्दोष क्यों कष्ट झेलते हैं?
265
141
वृक्षों का मंदिर
269
142
बुरा मत देखो
272
दोहरा धोखा
273
144
तुम्हें कितना मांस चाहिए?
274
शक्ति आप के भीतर है
276
146
प्यार का जादू
278
सच्ची महानता
280
148
एक भिखारिन
281
पवित्र मानवीयता
283
150
मोची को जूते सीने दो
284
क्या चोर तुम्हारा भाई नहीं है?
286
152
बच्चों की संगति
288
मेरी जीवन गाथा
298
154
यदि मेरी लाख जुबानें होतीं
290
दीन बंधु
292
156
मेरी कोई जाति नहीं
294
शुक्र है शुक्र!
296
158
एक सुंदर सपना
होली के रंग
301
एक ऐतिहासिक मिलन
303
रुको सहर होने को है ।
305
162
सब में एक ही रब का प्रकाश
308
राहत देने वाली परछाईं
310
उनके जीवन की आकांक्षा
313
ईश्वर यहं। है
315
166
जीवन द्वारा साक्षी
317
मित्रहीनों के मित्र
318
जीवन सेवा को समर्पित
322
169
दो दिन के मेहमान
323
नित्य मुक्त
324
171
साधु वासवानी अभी भी जीवित हैं?
325
तलाश
333
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